(बरेली ब्यूरो)। यूपी विधानसभा के इतिहास में बरेली विधानसभा सीट का नाम कहीं न कहीं स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। यह इसलिए कि इस विधानसभा सीट के मतदाओं ने प्रदेश को पहला मुख्यमंत्री दिया है। तब से अब तक इस सीट के मतदाताओं ने 17 विधायकोंं को चुनकर विधानसभा में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है, पर इसमें आधी आबादी की हिस्सेदारी शून्य है। इतने सालों में भले ही यहां की आधी आबादी कितनी ही सशक्त क्यों न हुई हो, राजनीति में उनका सशक्तिकरण अभी भी शक्तिहीन जान पड़ता है। इस आबादी के वोट हासिल करने के लिए तरह-तरह के वादे-दावे करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने भी इनकी शक्ति का परचम विधानसभा में लहराने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। विधानसभा में बरेली सीट से अब तक किसी भी महिला विधायक का न पहुंच पाना इसका ही परिणाम है।
पार्टियों ने नहीं दिखाई इच्छा शक्ति
वोट के लिए महिला शक्ति के आगे नतमस्तक होने का दिखावा करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने इनकी शक्ति को अपनी ताकत बनाने की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। वर्ष 1951 से वर्ष 2017 तक के चुनावों में किसी भी असरदार पार्टी ने आधा आबादी को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया। इतने चुनावों में कई बार ऐसे मौके आए जब पार्टी विशेष की लहर रही और इस लहर में बेअसर प्रत्याशी भी जीत गए। ऐसी स्थिति में इन पार्टियों ने अगर किसी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा होता तो वह भी जीतकर विधानसभा में इस सीट की आधी आबादी का परचम लहरा सकती थी। आधी आबादी को यह मौका प्रदान करने में कहीं न कहीं राजनीतिक पार्टियों में इच्छा शक्ति की कमी रही है।
70 सालों में महिला सशक्तिकरण की स्थिति
वर्ष 1951 से वर्ष 2017 तक बरेली सीट से राजनीतिक पार्टियों में महिला सशक्तिकरण की स्थिति को इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट भी उजागर कर रही है। विधानसभा चुनाव में इस सीट पार्टी प्रत्याशियों की डिटेल वर्ष 1977 से उपलब्ध है। वर्ष 1977 और 1980 के चुनाव में कोई भी महिला प्रत्याशी यहां से मैदान में नहीं रही। वर्ष 1985 में निर्दलीय प्रत्याशी वीना मैदान में उतरी। इसके बाद वर्ष 1989 में बीएसपी ने मेराज हसन को अपना प्रत्याशी बनाया, पर उन्हें मात्र 351 वोट ही मिले। इस चुनाव में हिन्दू महासभा ने भी तारावती को अपना प्रत्याशी बनाया, पर उन्हें 155 वोट ही मिले। वर्ष 1991 में निर्दलीय प्रत्याशी राम देवी को मात्र 135 वोट हासिल हुए। वर्ष 1993 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शांति देवी को मात्र 15 वोट प्राप्त हुए। इसके बाद वर्ष 1996 और वर्ष 2002 के चुनाव मेें महिला प्रत्याशियों का अभाव रहा। वर्ष 2007 के चुनाव में लोकदल प्रत्याशी सरोज को भी 132 वोट ही मिले। वर्ष 2012 के चुनाव में राष्ट्रीय विकलांग पार्टी से प्रत्याशी रही सरोज को दूसरी बार में 1034 वोट मिल सके। वर्ष 2017 के चुनाव में माधवी शाहू बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरी और उन्हें 592 मतदाताओं ने ही अपना वोट दिया। इस तरह बरेली सीट से 70 सालों में आधी आबादी का चुनावी सफर मंजिलविहीन ही रहा।
वर्ष 1951 से 2017 तक के विजेता
वर्ष : कंडिडेट : पार्टी : वोट
1951 - गोविंद बल्लभ पंत - आईएनसी -
1957 - जगदीश सरन अग्रवाल - आईएनसी
1962 - जगदीश सरन अग्रवाल - आईएनसी
1967 - जगदीश सरन अग्रवाल - आईएनसी
1969 - राम सिंह खन्ना- भारतीय क्रांति दल
1974 - सत्य प्रकाश - भारतीय जन संघ
1977 - सत्य प्रकाश - भारतीय जनता पार्टी
1980 - राम सिंह खन्ना- आईएनसी
1985- दिनेश जोहरी - भारतीय जनता पार्टी
1989- दिनेश जोहरी - भारतीय जनता पार्टी
1991- दिनेश जोहरी - भारतीय जनता पार्टी
1993 - राजेश अग्रवाल - भारतीय जनता पार्टी
1996 - राजेश अग्रवाल - भारतीय जनता पार्टी
2002 - राजेश अग्रवाल - भारतीय जनता पार्टी
2007 - राजेश अग्रवाल - भारतीय जनता पार्टी
2012 - डॉ। अरुण कुमार - भारतीय जनता पार्टी
2017 - डॉ। अरुण कुमार - भारतीय जनता पार्टी
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वर्ष 2017
बीजेपी से डॉ। अरुण कुमार
आईएनसी से प्रेम प्रकाश अग्रवाल
बीएसपी से ई। अनीस अहमद खान
वर्ष 2012
बीजेपी से डॉ। अरुण कुमार
एसपी से डॉ। अनिल शर्मा
बीएसपी से डॉ। अनीस बेग
आईएनसी से मुजाहिद हसन खान
वर्ष 2007
बेजीपी से राजेश अग्रवाल
आईएनसी से डॉ। अनिल शर्मा
एसपी से डॉ.अरुण कुमार
बीएसपी से सुनील मेहता
आईएनडी से डॉ। आईएस तोमर
वर्ष 2017 में कुल मतदाता 416136 53.98 परसेंट
वर्ष
वर्ष 2012 54.31 परसेंट 185484 ने किया वोट
वर्ष 2007 में 31.25 परसेंट ने किया वोट 85317