बरेली (ब्यूरो)। यात्रियों की सुरक्षा के लिए रात में बसों का संचालन बंद करने का सरकार का फरमान आनन-फानन में लागू करना पैसेंजर्स के लिए ही परेशानी का सबब बन गया। कड़ाके की ठंड में कोई दिल्ली जाने के लिए परिवार के साथ बस स्टेशन पहुंचा, कोई बेटी को एम्स में दिखाने के लिए तो कोई परीक्षा देने के लिए। कई पैसेंजर्स तो ऐसे कि जो रात में सफर कर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए दूसरे जिलों से यहां पहुंच गए। ट्यूजडे लेेेट नाइट पुराना बस स्टेशन और सैटेलाइट बस स्टेशन पर ऐसे कई पैसेंजर्स बस पकडऩे के लिए परेशान भटकतेे रहे। यहां उन्हें बसें तो कई खड़ी मिली, पर वह सरकार के फरमान से लॉक हो गई। स्टेशन पर उन्हें यही जानकारी मिली कि अब रात में बसें नहीं चलेंगी। ऐेसे में हैरान, परेशान पैसेंजर्स को यही समझ में नहीं आया कि वह अब करें तो क्या करें और जाएं तो कहां जाएं। स्टेशन पर मौजूद रोडवेज स्टाफ को पैसेंजर्स की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा।
ओल्ड रोडवेज से नहीं चली बसें
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम रात दस बजे जब सैटेलाइट बस स्टैैंड पहुंची। उस समय वहां से लखनऊ की कुछ बसों को रवाना किया जा रहा था। इनके अलावा सिर्फ उत्तराखंड डिपो की बसें ही चलाई जा रही थी। वहीं दिल्ली के लिए कंडक्टर द्वारा बसें न चलने की बात कही जा रही थी। पुराना बस स्टैैंड पर न तो दिल्ली और न ही लखनऊ की बसों को रवाना किया जा रहा था। यहां भी सिर्फ उत्तराखंड डिपों की बसें गंतव्य के लिए जा रही थीं। यहां पर न तो कंडक्टर और न ही इंक्वारी काउंटर पर यात्रियों को कोई सूचना दी जा रही थी। जोकि जिम्मेदारों की अधूरी प्लानिंग की पोल खोल रही थी।
पहले देनी चाहिए थी सूचना
रात में बसें न चलने की सूचना पहले से न मिलने से यात्री काफी परेशान दिखे। कई यात्री लंबा सफर करके बस स्टैैंड पर बस मिलने की आस में पहुंचे थे। लेकिन, स्टंंैड पर आकर उनका हाथ निराशा लग रही थी। पैसेंजर्स का कहना था कि अगर बसों को रात में कैंसिल ही करना था तो इसकी सूचना परिवहन विभाग को पहले से दे देनी चाहिए थी। इस तरह से यहां पहुंचकर समय और पैसा तो नहीं वेस्ट होता।
ऑफिस के बाहर लगी कतार
सैटेलाइट बस स्टैैंड पर सीनियर स्टेशन इंचार्ज के ऑफिस के बाहर निराश पैसेंजर्स की लंबी कतार लगी हुई थी। पैैसेंजर्स का कहना था कि परिवहन की वजह से सर्दी में परेशानी उठानी पड़ रही है। बस स्टैैंड पर आ तो गए हैैं, अब आगे के लिए सफर बस नहीं मिल रही है। तो घर जाने के लिए रात में सवारी मिलना भी काफी कठिन होगा। वहीं बस स्टैैंड पर अनाउंसमेंट न होने के कारण पैैंसेंजर्स कंफ्यूज हो रहे थे।
यात्रियों को समझाते रहे कंडक्टर
बस कैंसिल होने की सूचना को लेकर भले ही पैैंसेंजर्स की सवालों का जवाब अधिकारी न दे पा रहे हों। लेकिन, वहां मौजूद कंडक्टर पैैंसेंजर्स को समझाने का प्रयास कर रहे थे। कंडक्टर समझाते हुए कह रहे थे कि सरकार की ओर से कोहरे में आप लोगों की सुरक्षा को देखते हुए रात में बसों को कैंसिल किया गया है। सुबह से बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।
बस स्टैैंड से लेकर स्टेशन तक यात्री परेशान
अपने गंतव्य तक पहुंचने की लेकर यात्रियों को सर्दी व कोहरे के कारण परेशानी उठानी पड़ रही है। बस स्टेशन पर बस कैैंसिल होने से तो स्टेशन पर पैैंसेंजर्स को ट्रेनों के समय से लेट होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि कोहरे को देखते हुए रेलवे की ओर से कुछ ट्रेनें निरस्त कर दी गई है। उसमें भी जो ट्रेन आ रही हैैं वह कई घंटे लेट पहुंच रही हैैं।
निजी वाहनों की चांदी
रोडवेज बसें रात में कैंसिल होने से निजी वाहनों की चांदी हो गई है। सैैटेलाइट बस स्टैैंड पर इसकी सूचना मिलने पर स्टैैंड के सामने ही निजी वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैैं। वे सब रोडवेज की सवारियों को वाहन में बैठाने का प्रयास करते नजर आ रहे थे। वहीं गंतव्य तक समय पर पहुंचने की आस में मजबूरी में यात्रियों को निजी वाहनों का रुख करना पड़ रहा है।
पैसेंजर्स की परेशानी
इलाहाबाद जाना था इसलिए घर से जल्दी निकला था। लेकिन, यहां आकर जानकारी मिली कि बसें रात में नहीं जाएंगी। इससे काफी परेशानी हो रही है। वेडनसडे को कोर्ट पहुंचना जरूरी है।
-केके उपाध्याय, पैसेंजर
जब रात में बसें नहीं चलानी थी तो ऑनलाइन टिकट क्यों बुक किए जा रहे थे। वेडनसडे को मेरा दिल्ली में एग्जाम में और बस स्टैैंड पर आकर यह सूचना मिल रही है।
-शशिकांत सक्सेना, पैसेंजर
बेटी का इलाज कराने दिल्ली एम्स जाना था। कल उसका नंबर लगा हुआ है, यहां आकर जानकारी मिल रही है। रात में बसों के कैैंसिल होने की सूचना पैसेंजर्स को दिन में ही दे देनी चाहिए थी। इससे रात में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती।
-जतेंद्र सक्सेना, पैसेंजर
लखीमपुर खीरी जाना था इसलिए इतना किराया खर्च करके बस स्टैैंड तक पहुंचे थे। लेकिन, अब जानकारी मिल रही है बसों के नहीं जाने की। अब शायद रात यहीं स्टैैंड पर ही गुजारनी पड़ेगी।
-गुड्डू गंगवार, पैसेंजर