बरेली(ब्यूरो)। प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के जीवन का सबसे सुंदर पल होता है। इस समय में घर की प्रेगनेंट लेडी की परिवार के लोग स्पेशली बहुत केयर करते हैं। सबका प्रयास यह ही होता है कि उसे हर समय प्रसन्न रखा जाए, जिससे उसे और उसके बच्चे को कोई प्रॉब्लम क्रिएट न हो। लेकिन इसके बाद भी प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को एक अलग ही टेंशन रहती है। नॉर्मल डिलीवरी सही होती है या फिर सिजेरियन, फस्र्ट प्रेग्नेंसी के समय यह प्रश्न अक्सर हर महिला के मस्तिष्क में करवटें बदलता रहता है। वह इस बात के विषय में ही सोचती रहती है कि किस तरह की डिलीवरी उसके और उसके बच्चे के लिए सही रहेगी। एक्सपर्ट्स के अनुसार नॉर्मल कंप्रेटिवली देखा जाए तो नॉर्मल डिलीवरी दि बेस्ट होती है पर इधर हाल के कुछ सालों में लेडीज में सिजेरियन का क्रेज बढ़ता जा रहा है। डिलीवरी के समय होने वाले पेन से बचने के लिए वे इसका सहारा ले रही हैं। बीते तीन वर्षों के आकड़ों पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि हर साल नॉर्मल डिलीवरी कम हो रही हैं, जबकि सिजेरियन केसेस में वृद्धि हो रही है।
बढ़ रही सिजेरियन डिलीवरी
जिला महिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष दर वर्ष सामान्य प्रसव के केसेस कम हो रहे हैैं। एक ओर जहांं 2019 में सामान्य प्रसव कराने वालों की संख्या 3199 थी, वहीं यह 2020 में घटकर 3174 रह गई और 2021 में यह संख्या 3065 तक पहुंच गई। वहीं अगर सिजेरियन केसेस की संख्या को देखा जाए तो पता चलता है कि पहले से काफी बढ़ गया है। जिला महिला अस्पताल में आए सिजेरियन प्रसव कराने वालों की संख्या 2019 में 973 थी, वहीं यह 2020 में बढक़र 1015 हो गई। साथ ही 2021 में इनकी संख्या बढक़र 1204 हो गई। यह आंकड़ें दर्शाते हैैं कि सामान्य डिलीवरी के केसेस की संख्या कम हो रही है। वहीं सिजेरियन डिलीवरी के केसेस लगातार बढ़ रहे हैैं।
यह है डिफरेंस
जिला महिला अस्पताल में आने वाले डिलीवरी केसेस में सिजेरियन डिलीवरी कराने वालों की संख्या पिछले वर्ष के अपेक्षा बढ़ रही है। इसमें भी नॉर्मल डिलीवरी करने वालों का आंकड़ा साल दर साल गिर रहा है। इसको लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि नॉर्मल डिलीवरी सिजेरियन के अपेक्षा काफी सेफ होती है। नॉर्मल डिलीवरी में पेशेंट दो घंटे के बाद ही सामान्य कार्य कर सकते हैैं। वहीं सिजेरियन डिलीवरी में पेशेंट 12 से 14 घंटे तक स्वयं सामान्य कार्य नहीं कर सकता है।
प्रेगनेंसी में कैसी हो डायट
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के लिए संतुलित आहार और स्वस्थ आहार बहुत महत्वपूर्ण है। पोषक तत्वों की कमी से बच्चे के विकास में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ही सोच समझकर आहार लेना चाहिए। क्योंकि इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में पड़ सकता है। दूध, छाछ, पनीर, दही आदि लेना चाहिए। दूध कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत है। इसमें फॉस्फोरस, विटामिन बी, मैग्नीशियम और जिंक उच्च मात्रा में पाए जाते हैैं। वहीं दही तो विशेष रूप से प्रेगनेंट महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसके अलावा मसूर की दाल, मटर, सेम की फलियां, चने, सोयाबीन और मूंगफली आदि का सेवन करना अच्छा होता है। क्योंकि इनमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन और कैल्सियम बहुत अधिक मात्रा मिलता है।
समान्य डिलीवरी बेहतर
विशेषज्ञ मानते हैैं कि सामान्य प्रसव कम क्षति पहुंचाने वाली और प्रकृति द्वारा नियोजित प्रक्रिया है। इसमें मां के जननंगों से शिशु तक पहुंचने वाले बैक्टेरिया, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में हेल्प करते हैैं। साथ ही बच्चे को होने वाले कई छोटे-मोटे संक्रमणों से भी बचाता है। इसमें लंग्स और सांस की समस्याओं की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा बाहर आने के लिए संघर्ष और प्राकृतिक रूप से रोना उसकी श्वसन प्रक्रिया की सक्रिया करता है। साथ ही शिशु की छोटी सी छाती और फेफड़ों का प्रसार करने में हेल्प मिलती है। ब्रेस्ट फीडिंग भी जल्द शुरू हो जाती है, जो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
वर्जन विद फोटो
गयानोकॉलजिस्ट डॉ। दरक्शा अब्बास बताती हैं कि स्पेशल डे पर बच्चों की डिलीवरी करवाने में लोगों की रुचि बढ़ रही है। लोग एक जनवरी, पंद्रह अगस्त एवं अन्य स्पेशल डेज पर डिलीवरी कराना पसंद करते हैैं। हालांकि इन केसेस की संख्या यहां काफी कम है और यह तब ही संभव होता है, जब स्पेशल डेट के आसपास ही डिलीवरी होने की डेट हो। इस कंडीशन में अधिकांश महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी करवाती है।
गायनोकॉलजिस्ट डॉ। अनुजा सिंह का कहना है कि उनके पास जितने भी पेशेंट आते हैैं, उनमें वह नॉर्मल डिलीवरी ही प्रिफर करती है। कंडीशन के अकॉर्डिंग ही सिजेरियन डिलीवरी की जाती है। उनके पास कई ऐसे केसेस आते हैैं, जहां पर किसी ने सिजेरियन के लिए रेफर किया होता है। लेकिन, जांच के बाद वह सेफली सामान्य डिलीवरी कर देती हैं। इससे लेडी कई कॉम्पलीकेशंस से बच जाती है।
परिजन नहीं मानते हैैं
गायोनोकॉलजिस्ट डॉ। शैव्या बताती हैं कि उनके पास कई ऐसे पेशेंट्स आते हंै, जिन्हें सिजेरियन डिलीवरी के लिए बोलकर रेफर कर दिया जाता है। उसके बाद जांच में अगर नॉर्मल डिलीवरी सेफ लगती है, इसके बारे में परिजनों को बताया जाता है। लेकिन, कई बार वे कांप्लीकेशन के डर से सिजेरियन पर ही जोर देते हैैे। अधिकांश केसेस में ऐसे ही होता है।
आंकड़ों पर नजर
प्रसव वर्ष 2019 2020 2021
सामान्य प्रसव 3199 3174 3065
सिजेरियन प्रसव 973 1015 1204