(बरेली ब्यूरो)। कहते हैं पुलिस चाहे तो किसी को पाताल से भी ढूंढ लाती है, पर विशारतगंज के दंपति के छह महीने पहले लापता हुए पुत्र का पुलिस अब तक सुराग तक नहीं लगा सकी है। तब से पुत्र वियोग में दर-दर की ठोकर खा रहे इस दंपति की लाचारी मंडे को एसएसपी आफिस की चौखट पर जगजाहिर हुई। बेटे को तलाशने में पुलिस के ढुलमुल रवैये से आहत यह दंपति मंडे को एसएसपी आफिस गेट पर घंटों धरने में बैठा रहा। पुलिस की ओर से एक बार फिर आश्वासन मिलने पर दंपति आंखों में आंसू लिए देर शाम एसएसपी आफिस की चौखट से घर लौट गया।


सितंबर से गुम है दंपति का युवा पुत्र
विशारतगंज के महेन्द्र पाल की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में कहा गया है कि 13 सितंबर 2021 को उनका 22 वर्षीय पुत्र शिवम घर से जयपुर परीक्षा देने को कहकर निकला था। घर से जाने के बाद दिन में तो उनका बेटे से मोबाइल पर संपर्क होता रहा, पर शाम होते-होते उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। उसी शाम को उनके मोबाइल पर अलीगढ़ से पारुल नाम की एक लडक़ी की कॉल आई। उसने बताया कि उनका बेटा शिवम उसके पास आया था और वह अलीगढ़ के बनवारी होटल में दो घंटे रुके थे। इस दौरान शिवम खाना लाने की बात कहकर होटल से निकला था, पर उसके बाद लौट कर नहीं आया। उसका बैग होटल में ही रखा है वह आकर ले जाएं। इसके बाद उन्होंने विशारतगंज थाने में बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराने को तहरीर दी, पर वहां से मामला अलीगढ़ का होने की बातकर उन्हें टरका दिया गया। इसके बाद काफी मिन्नतें करने पर 25 सितंबर को उनकी गुमशुदगी दर्ज की गई। इसके बाद पुलिस जांच को उनके साथ अलीगढ़ तो गई थी, पर न तो लडक़ी से गहनता से पूछताछ हुई और न ही होटल संचालक से।

सीएम से भी लगाई गुहार
बेटे की तलाश के लिए महेन्द्र पाल सिंह और उनकी पत्नी ने हर दर खटखटाया है, पर उन्हें अब तक कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल सकी। बेटे के वियोग में मंडे को एसएसपी आफिस के बाहर धरने में बैठे महेन्द्र सिंह ने बताया कि उन्होंने जिला और मंडल स्तरीय उच्चाधिकारियों से लेकर सीएम और मानवाधिकार आयोग तक गुहार लगाई है। इसके बाद भी उनके बेटे को तलाशने में पुलिस की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बेटे के अपहरण और उसकी हत्या तक की आशंका जताई है।

झूठे आश्वासन पर दिया धरना
जवान बेटे के गुम हो जाने के गम में व्याकुल माता-पिता का दर्द भले ही पुलिस न समझ सकी हो, पर एसएसपी आफिस की चौखट पर बैठे दंपति के आंसू से यह दर्द दूसरों ने जरूर महसूस किया। महेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि 21 फरवरी को भी वह यहां आए थे, तब उन्हें यहां के अधिकारियों ने एक महीने में उनके बेटे को खोजने का आश्वासन दिया था। आश्वासन का समय पूरा होने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उन्हें पत्नी सहित मजबूरी में यहां धरना देना पड़ा।

शाम को जबरन उठा ले गई पुलिस
एसएसपी ऑफिस की चौखट पर धरने पर बैठे दंपत्ति को यहां से उठाने के लिए पुलिस ने आखिरकार वही रूप दिखाया जो वह अमूमन धरना प्रदर्शन करने वालों को हटाने के लिए दिखाती है। धरने के संबंध में जब रात दस बजे दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के प्रतिनिधि ने महेन्द्र पाल के मोबाइल पर संपर्क साधा तो उनकी पत्नी ने बताया कि पुलिस उन्हें वहां से जबरदस्ती गाड़ी में डालकर ले गई है। पुलिस उन्हें कहां लेकर जा रही है, यह भी उन्हें पता नहीं है। इस दौरान मोबाइल पर पुलिस की गाड़ी के सायरन और आपसी नोकझोंक की आवाज भी सुनाई दे रही थी।

वर्जन
धरने में बैठा दंपति निर्दोष लोगों को जेल भेजने के लिए पुलिस पर दबाव बनाना चाहता है। उनके मामले में थाना पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है। धरने से उठने के लिए पुलिस उन्हें समझाती रही, पर जब वह नहीं माने होंगे तो पुलिस को उन्हें उठाना पड़ा होगा।
रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी बरेली