कानून से लंबे हैं अवैध कारोबारियों के हाथ

कौन सा पीस अच्छा है? 12 का और 15 का क्या दाम है? देसी का क्या चल रहा है? विदेशी कैसे मिलेगी? कोई लफड़ा तो नहीं होगा? अवैध हथियारों के सौदागर कुछ इन्हीं कोड वड्र्स का इस्तेमाल कर आपस में बातचीत करते हैं। कुछ हालिया घटनाओं और सोर्सेज के एकॉर्डिंग, बरेली डिस्ट्रिक्ट में अवैध हथियार बनाने की कई फैक्ट्रियां चल रही हैं। आपराधिक वारदातों में खुलेआम इनका यूज हो रहा है। पुलिस ने सितंबर में ही अलीगंज तथा फरीदपुर में दो अवैध हथियारों की फैक्ट्रियां पकड़ी थीं लेकिन न जाने कितनी ऐसी होंगी जिन तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच सके हैं। यही नहीं दंगों के दौरान भी शहर में इन्हीं फैक्ट्रियों से अवैध हथियारों की सप्लाई की गई थी। मतलब ये है कि शहर में धड़ल्ले से मौत का अवैध सामान बिक रहा है लेकिन पुलिस इस पर पूरी तरह से लगाम कसने में नाकामयाब साबित हुई है।

रूरल एरिया में बनते हैं हथियार

बरेली जिले में कई जगह अवैध हथियार बनते हैं। ज्यादातर ये रूरल एरिया जैसे आंवला, फरीदपुर, बहेड़ी, अलीगंज में बनाए जाते हैं। डिस्ट्रिक्ट के बॉर्डर पर भी हथियारों का निर्माण किया जाता है। यहीं नहीं अवैध हथियार पड़ोसी जिलों शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत व रामपुर में बनाकर बरेली जिले में सप्लाई किए जाते हैं। शाहजहांपुर के कटरा, तिलहर, कटरी, जलालाबाद व अन्य एरिया, बदायूं में गंगा किनारे कादर चौक, इसके अलावा रामपुर व पीलीभीत के भी कुछ एरिया में इस अवैध हथियारों की बड़ी खेप तैयार की जाती है।

ढूंढते हैं सुनसान इलाका

अवैध हथियार ज्यादातर सुनसान, नदी के किनारे खाली पड़े इलाकों या फिर ऐसी जगह बनाए जाते हैं, जहां पर किसी को शक न हो। फैक्ट्री में बाकायदा भारी संख्या में लोहे का पाइप साइकिल के धुरे व अन्य लोहे व लकड़ी के सामान रखे होते हैं। लोहे को गोलाकर शेप में लाने के लिए लोहार की तरह आग व पंखे का इंतजाम होता है।  

दलाल के जरिए supply

हथियारों की सप्लाई जिम्मेदारी भी अलग-अलग तरीकों से डिस्ट्रीब्यूट की जाती है। सप्लाई डिमांड के हिसाब से होती है। तस्कर दलाल के माध्यम से अपने ग्राहक से संपर्क करते हैं। दलाल ही ग्राहक की तलाश करता है। दलाल की पूरी जिम्मेदारी होती है कि माल सही सलामत ग्राहक तक पहुंच जाए और इसकी कानोंकान पुलिस को खबर न लगे। फैक्ट्री मेड वीपेंस की अपेक्षा अवैध हथियारों की कीमत कम होती है लेकिन दलाल के हाथों में जाने पर इसमें थोड़ा इजाफा जरूर होता है। दलाल कस्टमर के हिसाब से हथियार का रेट तैयार कर लेता है।

Demand पर supply

दंगे के दौरान जमकर शहर में अवैध हथियारों की सप्लाई हुई। लाइसेंस आसानी से न मिलने के चलते अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त बहुत होती है। क्रिमिनल्स 315 बोर के तमंचे की ज्यादा डिमांड करते हैं क्योंकि इसकी नाल मजबूत होती है। इसके अलावा इसकी फायरिंग भी दमदार होती है। 312 बोर के तमंचे की फायरिंग हल्की रहती है। हालांकि कम रेट होने के चलते 312 बोर की डिमांड भी अच्छी खासी है। बरेली से बाहर के जिलों में भी अवैध हथियारों की सप्लाई की जाती है।

लाइसेंसधारकों से लेते हैं कारतूस

हथियारों के साथ-साथ यहां कारतूस भी बनाए जाते हैं। इनकी सप्लाई भी बाहर कई जगह होती है। कारतूस के लिए तस्कर दलालों की मदद से लाइसेंसी बंदूक धारकों से संपर्क करते हैं। लाइसेंसी बंदूकधारक अपने लाइसेंस के बेस पर दुकान से कारतूस खरीद लेते हैं और बाद में उनको ज्यादा रेट पर बेच देते हैं। एक लाइसेंस पर एक साल में 20 कारतूस मिलते हैं लेकिन लाइसेंसधारक इतने कारतूस खत्म नहीं कर पाते और खराब होने तथा खत्म होने के बहाने फिर से कारतूस ले लेते हैं।

पकड़ी जा चुकी हैं फैक्ट्रियां

पुलिस की कार्रवाई में भारी संख्या में अवैध हथियारों का जखीरा पकड़ा जा चुका है।

-28 सितंबर को फरीदपुर पुलिस ने जंगल में टाल डालकर चलाई जा रही फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया।

-10 सितंबर को किला पुलिस ने अलीगंज में तीन मकानों में चल रही अवैध हथियारों की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने रंगे हाथों दो लोगों को पकड़ा था।

-अगस्त में कोतवाली एरिया से पुलिस ने पूर्व सभासद के घर से कई अवैध हथियार पकड़े थे।

-कफ्र्यू के दौरान ही बहेड़ी में पुलिस ने एक अवैध हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी थी। साथ ही भारी संख्या में हथियार बरामद किए थे।

-जून के लास्ट वीक में कोतवाली पुलिस ने रोडवेज बस से भारी संख्या में अवैध हथियार पकड़े थे।

अवैध हथियारों की rate list

 हथियार                               रेट

 312 बोर का देसी कट्टा     1,500 से 4,000 रुपए

 315 बोर का देसी कट्टा     2,500 से 5,000 रुपए

 पिस्टल                     30,000 से 35,000 रुपए

 रिवॉल्वर                    40,000 से 50,000 रुपए

Code words पर चलता है धंधा

पुलिस से बचने के लिए हथियारों के सौदागर कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। अवैध हथियार को ये अपनी भाषा में 'पीसÓ बोलते हैं। 312 और 315 बोर के तमंचे को 12 व 15 का पीस कहा जाता है। रायफल के लिए 'देसीÓ कहते हैं। इसके अलावा विदेशी पिस्टल को उसके देश के नाम से पुकारा जाता है। जैसे कि इटालियन, चाइनीज या अमेरिकन पीस कैसे मिलेगा। सभी पीस के दाम भी कोड में ही तय कर लिए जाते हैं।

अवैध हथियारों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस निरंतर कार्रवाई कर रही है। पिछले दिनों भी कई अवैध फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया जा चुका है। अगर कहीं और भी अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं तो पुलिस उनका भी खुलासा करेगी।

-एलवी एंटनी देवकुमार, डीआईजी, बरेली