बरेली(ब्यूरो)। एक तरफ जहां आशा वर्कस के कंधों पर स्वास्थ्य विभाग के तमाम अभियानों को सफल बनाने का जिम्मा है। इस से इतर वे मरीजों को खोज कर उन्हें दवा मुहैया कराने का काम भी कर रही हैैं। ऐसी ही एक आशा हैैं मोनी जिन्होंने पीएम के संकल्प से प्रभावित हो कर टीबी को खत्म करने की ठान ली है। वह टीबी मरीजों को अवेयर करती हैैं, अब तक 300 टीबी मरीजों को स्वास्थ्य लाभ भी दिलवा चुकी हैैं। काम के प्रति उन के समर्पण की अधिकारी भी प्रशंसा करते हैैं।
करती रहती हैैं अवेयर
मझगवां ब्लॉक के गैनी गांव निवासी मोनी वर्ष 2006 से बतौर आशा कार्यकर्ता काम कर रही हैं, वह बताती हैैं कि टीबी के प्रति समर्पण भाव चार साल पहले आया जब पीएम ने देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया। इस के बाद मोनी भी जुट गईं और गांव में जो भी खांसता-छींकता इंसान दिखता, उसका हालचाल लेतीं। उसे बतातीं कि अगर खांसी लगातार 14 दिन से आ रही है तो जांच जरूर कराएं। ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। गांव के कई लोग इस बात की गवाही देते हैं कि आशा कार्यकर्ता मोनी की वजह से ही उनको इस बीमारी की पहचान हुई और सरकारी अस्पताल से बिना खर्च के दवा मिली। छह महीने तक लगातार दवा खाने की हिदायत से ही वह ठीक हो पाए।
पहले झिझकते थे ग्रामीण
आशा मोनी ने बताया कि गांव में गर्भवती महिलाओं की देखभाल के अलावा अन्य बीमारियों को ले कर सीएचसी पर दिखाते थे, लेकिन यहां टीबी बड़ी समस्या थी। लोग खांसी और बुखार से महीनों तक जूझते रहते थे, मगर टीबी की जांच नहीं कराते थे। धीरे-धीरे जब लोगों को अवेयर करते हुए जांच कराई गई तो वह टीबी से ग्रसित निकले। कुछ वर्ष पहले तक टीबी छुआछूत की बीमारी मानी जाती थी। लोगों को समझाने और छह महीने तक लगातार इलाज करवाने के बाद जब लोग ठीक होना शुरू हो गए, तो इस गांव में टीबी के प्रति काफी जागरूकता आ गई।
अधिकारी भी प्रभावित
आशा मोनी के काम के प्रति समर्पण को देखते हुए अधिकारी भी उन के कार्य की प्रशंसा करते हैैं। मोनी 2006 में आशा कार्यकर्ता के पद पर नियुक्त हुई, तक से अब तक वह टीबी के 200 से अधिक मरीजों का रजिस्ट्रेशन करवा चुकी है। मझगवां के एसटीएस अतुल कुमार ने बताया कि आशा मोनी मरीजों को प्रोत्साहित करने का कार्य बहुत ही अच्छे तरीके से करती हैं, जिससे मरीज अपनी दवा का कोर्स बिना किसी विलंब के पूरा करता है। डीटीओ डॉ। केसी जोशी ने बताया कि मोनी गुप्ता जैसी आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं। वह जनता के बीच में रहकर उनकी बीमारी का पता लगाकर इलाज करवाती हैं जो समाज को स्वस्थ रखने में बहुत सहायक साबित हो रहा है।