उपलब्धियों के अलावा विवादों से गहरा रिश्ता रहा है डॉ। आरपी सिंह का
- 600 करोड़ रुपए के घोटाले में शामिल होने का आरोप
BAREILLY : बीसीबी के पूर्व प्रिंसिपल डॉ। आरपी सिंह ने अपने जीवन के क्8 वर्ष कॉलेज को दिए। उनके कार्यकाल के दौरान कॉलेज ने कई उपलब्धियां प्राप्त कीं। एकेडमिक से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर के प्लेटफॉर्म पर नए आयाम गढ़े, लेकिन इस बीच उन्होंने विवादों की बदौलत खूब सुर्खियां भी बटोरीं। जब वे प्रिंसिपल थे तभी मेरठ यूनिवर्सिटी के वीसी भी नियुक्त किए गए। अपने वीसी के कार्यकाल के दौरान वे विवादों के चलते काफी चर्चा में रहे। उसके बाद उन्होंने कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में दोबारा पारी खेली। जो काफी हद तक सक्सेफुल कही जा सकती है। हालांकि इस दौरान व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के अपने ही दिए हुए आदेशों को वे कभी कड़ाई से लागू नहीं करा पाए।
टर्मिनेट किए गए थे वीसी के पद से
डॉ। आरपी सिंह बीसीबी में प्रिंसिपल नियुक्त होने से पहले क्988 से क्990 तक आरएसएम कॉलेज, धामपुर और क्99क् से क्99भ् तक केजी कॉलेज, मुरादाबाद में अपनी सेवाएं दे चुके थे। उन्होंने अक्टूबर क्99म् में कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया। ख्00क् से ख्00ख् तक उन्हें कमिशन का मेंबर भी बनाया गया। वे ख्00ख्-0फ् में मेरठ यूनिवर्सिटी के वीसी नियुक्त किए गए और ख्00भ्-0म् तक वहां पर बने रहे, जब तक उन्हें टर्मिनेट नहीं किया गया। यही वह कार्यकाल रहा जब वे सबसे ज्यादा विवादित हुए। तमाम कॉलेजेज को मान्यता देना, कोर्सेज को ओपन करने में म्00 करोड़ रुपए के घोटाला करने का आरोप लगा, जिसमें करीब फ्00 करोड़ रुपए का घोटाला सीपीएमटी कंडक्ट करने को लेकर था। इस संबंध में तत्कालीन राज्यपाल की जांच समिति में वे आरोपित हुए और टर्मिनेट कर दिए गए। उसी दौरान डॉ। कविता चौधरी के चर्चित मर्डर केस में भी उनका नाम उछाला गया, हालांकि उन पर कोई आरोप नहीं लगे।
दूसरी पारी में की सटीक बैटिंग
टर्मिनेट होने के बाद उन्होंने दोबारा बीसीबी का प्रिंसिपल पद संभाल लिया। इस दौरान उन्हें पद से हटाने के लिए मैनेजमेंट की तरफ से कोर्ट में केस भी किया गया, लेकिन उसमें कुछ साबित नहीं हो सका और वे पद पर बने रहे। उनकी यह दूसरी पारी काफी कामयाब मानी जाती है। कॉलेज को नैक से ए प्लस ग्रेड दिलाने के साथ यूनिवर्सिटी का प्रपोजल तैयार करने का श्रेय इनको ही जाता है। चुनौतियां भी कोई कम नहीं थी इनके सामने। ख्0क्फ् के स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में नॉमिनेशन की प्रक्रिया होने के बाद उन्होंने इलेक्शन रद कर दिया था। जिसके बाद उन्हें काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने डिसीजन वापस नहीं लिया। इस कार्यकाल के दौरान स्टूडेंट्स लीडर्स की अराजकता की वजह से उन्होंने व्यवस्था बदलने के कई डिसीजन लिए, लेकिन वे खुद उन पर खरे नहीं उतरे।
ये हैं इनकी उपलब्धियां
- क्997 में पहली बार पीजी डेवलपमेंट के लिए क्फ् सब्जेक्ट्स को ग्रांट मिला। हर सब्जेक्ट के लिए ख् लाख ग्रांट सेक्शन हुई।
- ख्008 में एनवायरमेंटल साइंस सब्जेक्ट में एमएससी की शुरुआत की गई।
- ख्008 में बॉटनी डिपार्टमेंट को डीएसटी के फीस्ट के तहत फ्0 लाख रुपए का ग्रांट मिला।
- पहली बार नैक की ग्रेडिंग हुई और कॉलेज को ए प्लस गे्रड मिला।
- कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने के प्रपोजल के लिए पहल की।
- इसके साथ ही इन्हीं के कार्यकाल में गर्ल्स हॉस्टल, जिम, लॉ डिपार्टमेंट और एमएड डिपार्टमेंट का निर्माण किया गया। साथ ही करीब क्म् डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज ओपन किए गए।