- एक समुदाय के लोगों ने कांवडि़यों का रास्ता रोका

- कांवडि़ए उसी रास्ते से जाने की जिद पर अड़े

- दोनों पक्ष के लोगों ने समझौतेनामे पर किए हस्ताक्षर

BAREILLY: कलारी गांव में वेडनसडे को सरहद खिंच गई। एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के एरिया में नहीं जाएंगे। कांवडि़यों के रूट को लेकर उपजा विवाद पुलिस प्रशासन की चौकसी और समझदारी से सुलझा लिया गया और अमन चैन के दुश्मनों के मंसूबों पर पानी फिर गया। हालांकि वेडनसडे को दिन भर विवाद चलता रहा। कांवडि़ये गांव के अंदर से जाने को लेकर धरने पर बैठ गए। पथराव की भी अफवाह फैली। कई बार नारेबाजी हुई। भारी संख्या में फोर्स तैनात रही, लेकिन बाद में दोनों पक्षों की ओर से समझौता हो गया और कांवडि़यों को दूसरे रास्ते से निकाल दिया गया। समझौता तो हो गया लेकिन अंदर ही अंदर लोगों में गुस्सा पनप रहा है। एहतियातन फोर्स अभी गांव में तैनात है।

भीड़ को फोर्स ने खदेड़ा

ट्यूजडे दोपहर क्ख् बजे कलारी गांव के कावडि़यों को कछला से जल लेने जाना था। गांव में पहले से कांवडि़यों के रूट को लेकर चल रहे विवाद के चलते पुलिस फोर्स तैनात थी। कांवडि़ए रास्ते में रुके थे। गांव के बाहर मंदिर में एसीएम लक्ष्मीशंकर, सीओ थर्ड धर्म सिंह मार्छाल, सीओ एलआईयू की मौजूदगी में पंचायत चल रही थी। इसी दौरान सूचना आई कि गांव में दूसरे पक्ष की ओर से कांवडि़यों पर पथराव कर दिया गया है। लोग घर की छतों पर हाथों में ईट-पत्थर व हथियार लेकर खड़े हो गए हैं। वहां मौजूद अधिकारी फोर्स के साथ दूसरे पक्ष की ओर पहुंचे, लेकिन वहां सिर्फ भीड़ इक्ट्ठा मिली, जिसे फोर्स ने खदेड़ दिया। माहौल बिगड़ता देख एसीएम ने गांव में आरएएफ बुला ली और कुछ देर बाद एसपी सिटी व एडीएम सिटी भी पहुंच गए।

आरोप-प्रत्यारोप

कांवड़ पक्ष के लोगों की जिद थी कि वे गांव के रास्ते से ही जाएंगे और वो पहले भी इसी रास्ते से जाते रहे हैं, लेकिन दूसरे पक्ष का कहना था कि कांवडि़ए इस रास्ते से कभी नहीं निकले हैं। यहां नई परंपरा डाली जा रही है, वो कांवडि़यों को इस रास्ते से नहीं जाने देंगे। गांव में दोनों पक्ष के सैकड़ों लोग इक्ट्ठा होकर नारेबाजी कर गुस्से का इजहार कर रहे थे। गांव में बच्चे से लेकर बुजुर्ग और महिलाओं तक सभी यही कह रहे थे जो हो रहा है वो अच्छा नहीं है। कई घंटे बाद करीब ब् बजे दोनों पक्षों से अलग-अलग बातचीत हुई तो समझौते की बात बनी। दोनों पक्षों को गांव के बाहर बुलाया गया, लेकिन यहां भी नोकझोंक शुरू हो गई। करीब आधा घंटे बाद समझौता लिखा गया।

ये हुअा समझौता

क्- मुस्लिम वर्ग का कोई त्यौहार व जुलूस आज दिनांक फ्0 जुलाई ख्0क्ब् से किसी भी हिंदू मोहल्ले में नहीं जाएगा

ख्-हिंदुओं का कोई त्यौहार व जुलूस मुस्लिम बस्ती में नहीं जाएगा

फ्-मुस्लिम मोहर्रम का जुलूस निसार अहमद के घर तक जाकर वहीं से वापस हो जाएगा

ब्-मोहर्रम इजाज अहमद के घर से वापस हो जाएगा, इरशाद के घर तक जुलूस जाएगा। बाहर वालों के लिए यहां तक फिर वापस सद्दीक, शब्बीर, के घर तक, चादरें हिंदू मोहल्ले से नहीं जाएंगी

भ्-हिंदुओं का सिंहासन टीकाराम नेताजी के यहां से वापस हो जाएगा। जाटवों के मुहल्ले से सिंहासन जाते हुए बाहर से वापस होगा

म्-अलम का जुलूस झंडे व ढोल के साथ नहीं जाएगा। पैदल-पैदल शांति पूर्वक जाएंगे, बाहर से ट्रैक्टर-ट्रॉली या बाइक से चंद्रपुर बिचपुरी जाने पर हिंदू-मुस्लिम को कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर भविष्य में कोई समस्या पैदा होती है तो दोनों धर्मो के लोग बैठकर आपस में सुलझाएंगे

7-हिंदू पक्ष से समझौते पर वेदराम, चंद्रसेन, टीकाराम और हरीश कुमार ने और मुस्लिम पक्ष से शौकत अली, रहीम खां, आसिफ अली और करीम खां ने साइन कर सहमति दी।

टाइम लाइन

क्ख्:00 पीएम - गांव के मंदिर में कांवडि़यों के रूट को लेकर पंचायत

क्ख्.क्भ् पीएम -कांवडि़यों पर पथराव की सूचना

क्ख्:ख्0 पीएम- दूसरे पक्ष के एरिया में एसीएम फोर्स के साथ पहुंचे, वायरलेस पर आरएएफ बुलायी

क्ख्:फ्0 पीएम- गांव में दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी हुई

क्ख्:ब्0 पीएम - गांव में एडीएम सिटी व एसपी सिटी पहुंचे

फ्:ब्भ् पीएम - दोनों पक्ष के लोग समझौता करने को हुए राजी

ब्:00 पीएम- गांव के बाहर शुरू हुई बातचीत, लेकिन नोकझोंक बरकरार

ब्:क्भ् पीएम- फाइनली समझौतानामा लिखना शुरू हुआ

ब्:ब्भ् पीएम - म् प्वांइट पर समझौता हुआ

ब्:भ्0 पीएम- कांवडि़यों को दूसरे रूट से निकाला गया

भ्:00 पीएम- गांव से अधिकारी वापस लौटे

क्या प्रधानी का चुनाव वजह तो नहीं?

कलारी गांव का इतिहास काफी पुराना है। यहां करीब म् हजार लोग रहते हैं, जिसमें ख्ब्00 वोटर हैं। गांव में वर्तमान में भूपराम की पत्‍‌नी वीरादेवी मौर्या प्रधान हैं। इससे पहले प्रधानी वेदराम के पास थी। वेदराम से पहले यहां शौकत अली प्रधान थे। यहां क्98ख् से हुए एक मर्डर के बाद से अनबन चलती आ रही है। लोग दोस्त भी हो जाते हैं और दुश्मन भी, लेकिन कहीं न कहीं इसकी वजह प्रधानी का चुनाव भी है। क्योंकि जो मौजूदा विवाद भी चल रहा है उसमें प्रधान व पूर्व प्रधान भी अपने-अपने को मजबूती से पेश कर रहे हैं।

तो पहले बन सकती थी बात

गांव में करीब पांच घंटे कांवडि़यों के रूट को लेकर विवाद होता रहा। पांच घंटे बाद समझौता भी हो गया, लेकिन सवाल खड़ा होता है कि क्या यह समझौता पहले भी हो सकता था। क्योंकि सीनियर पुलिस अधिकारी एक ही पक्ष से बातचीत करने में लगे हुए थे। कुछ अधिकारी आरएएफ के साथ कांवडि़यों के सामने बैठे हुए थे। इंस्पेक्टर इज्जतनगर मोहम्मद कासिम भी मुस्लिम लोगों से बातचीत करने को राजी नहीं थे, लेकिन जब इंस्पेक्टर किला विद्याराम दिवाकर ने मुस्लिम पक्ष में जाकर बातचीत की तो कुछ बात बनी। फिर सीओ एलआईयू बात के लिए पहुंचे और सबकुछ फाइनल हो गया।

पास्ट हिस्ट्री

कलारी गांव में मंडे को अहलादपुर के कांवडि़यों के निकलने को लेकर विवाद हो गया। गांव में मुस्लिम पक्ष के लोगों ने कांवडि़यों को निकलने से रोक दिया था। मौके पर पहुंची फोर्स ने कांवडि़यों को दूसरे रूट से निकाल दिया, लेकिन उसके बाद गांव के हसीन व मन्नन की खुराफातियों ने अहलादपुर के पास हाइवे पर पिटाई कर दी। गांव में फोर्स तैनात कर दी गई। फिर ट्यूजडे को मौलाना जावेद और छोटे शाह व उसके परिवार के लोगों को पिटाई कर दी, जिससे गांव में तनाव पैदा हो गया था।