इनके कब्जे में हैं चौराहे
सिटी में ट्रैफिक की समस्या बड़ी है। ऑटो-टैम्पो का रोड पर कोई सिस्टेमेटिक मूवमेंट नहीं है। रोड पर कहीं भी रुक जाते हैं। कहीं भी सवारियां भरने लगते हैं। सभी चौराहे टैम्पो वालों के कब्जे में रहते हैं। ट्रैफिक प्लान को ढंग से इंप्लीमेंट नहीं किया जा रहा है। सड़क पर इनकी वजह से कब जाम में फंसना पड़ जाए, कुछ पता नहीं। एक्सीडेंट होने का डर बना रहता है। कई बार एक्सीडेंट होते-होते बचा हूं। ट्रैफिक प्रॉब्लम दूर करने के लिए प्रॉपर प्लानिंग करनी चाहिए। टैम्पो सड़क पर ढंग से चलें, इसके लिए रूल्स फॉलो कराने पड़ेंगे। पब्लिक की प्रॉब्लम सुनकर व सुझाव लेकर ट्रैफिक सिस्टम को सुधारना होगा।
-सुमित अग्रवाल, आर्किटेक्ट
खराब कर दिया traffic system
टैम्पो रियली शहर के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। इन्होंने शहर के ट्रैफिक सिस्टम को पूरी तरह से खराब कर रखा है। पुलिस इन पर कंट्रोल नहीं करती है। इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए दूसरे शहरों की तरह नगर निगम को मल्टी लेवल पार्किंग बनानी चाहिए। मल्टी लेवल पार्किंग से जगह भी कम लगेगी । इसके अलावा टैम्पो वालों के लिए प्रॉपर स्टैंड बनाने चाहिए। ट्रैफिक पुलिस को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। अगर कोई टैम्पो वाला ट्रैफिक रूल्स तोड़ता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लेना चाहिए।
-मुकेश पठानिया, डिप्टी जनरल सेक्रेट्री, एसबीआई बैंक स्टाफ एसोसिएशन
इनसे दूरी बनाकर चलें
टैम्पो कहीं भी बीच सड़क में रुक जाते हैं। रोड पर चलने के दौरान टैम्पो वालों से दूरी बनाकर चलना पड़ता हैं। ये एकदम से चल देते हैं और ब्रेक लगा देते हैं। टैम्पो ड्राइवर जहां भी सवारी देखते हैं, बस वहीं रुक जाते हैं। उन्हें कोई मतलब नहीं होता कि इससे एक्सीडेंट हो रहा है या कुछ और। ऐसा लगता है कि रोड पर केवल वे ही चल रहे हैं। रोड पर अचानक से यू टर्न ले लेते हैं। इंडिकेटर तो कभी देते ही नहीं। इन पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक रूल्स का कड़ाई से पालन करवाना होगा। यह काम पुलिस ही कर सकती है।
-अनिल शर्मा, फिजीशियन
नाबालिग चलाते हैं टैम्पो
तेजी से बढ़ती शहर की दूरियों को कम करने में टैम्पो की एक अहम भूमिका है लेकिन जिस तरह से ये सड़क पर चलते हैं इनसे डर लगने लगा है। आज शहर की बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था के लिए जितना अतिक्रमण जिम्मेदार है, उतना ही टैम्पो वालों का गैर जिम्मेदाराना रवैया है। नाबालिग बच्चे टैम्पो चलाते हैं। उन्हें न तो नियम-कानून का पता है और न ही रफ्तार पर नियंत्रण रहता है। सवारी देखते ही तुरंत कहीं भी ब्रेक लगा देते हैं। इससे कई बार एक्सीडेंट्स तक हो जाते हैं। प्रशासन और यातायात अधिकारियों को चाहिए कि टैम्पो वालों पर रवैया बदलने का दबाव बनाएं। न मानने पर सख्त सजा दें ताकि टैम्पो एक सुविधाजनक सवारी बन सके।
-पूर्णिमा अनिल, अंगे्रजी विभागाध्यक्ष, बरेली कॉलेज
टैम्पो वालों का गुंडाराज
शहर में टैम्पो वालों ने गुंडाराज चला रखा है। कब रोड पर सामने से आ जाएं, पता ही नहीं चलता। रोड पर सही साइड में भी चलने पर एलर्ट रहना पड़ता है। एक बार रोड क्रॉस करते समय अचानक एक टैम्पो सामने आ गया, मेरा एक्सीडेंट होते-होते बच गया। टैम्पो वाले तो हॉर्न बजाने पर भी साइड नहीं देते। गलत तरीके से ओवरटेक करते हैं। कोई विरोध करे तो मिसबिहेव करते हैं। टैम्पो वालों पर लगाम लगाने के लिए स्ट्रिक्ट रूल बनाने होंगे और उन्हें फॉलो कराना होगा। जो रूल्स नहीं मानेगा उसे पकडऩे के लिए सीसीटीवी कैमरे चौराहों पर लगाने चाहिए।
-संगीता सरन, मेंबर जेसीआई क्लब
टैम्पो सिस्टम से नहीं चलते
रोड पर कहीं भी टैम्पो खड़े दिख जाते हैं। बीच सड़क में अचानक आ जाते हैं। इनकी वजह से कई एक्सीडेंट भी हो चुके हैं। ट्रैफिक पुलिस अपनी जिम्मेदारी ढंग से नहीं निभाती है। डेलापीर के पास टैम्पो रोड के किनारे खड़े रहते हैं। पिछले दो-तीन साल में इनकी संख्या भी बढ़ गई है। सवारियों के लिए ये फायदेमंद हैं लेकिन जब ढंग से चलेंगे, सुरक्षित तभी बन सकेंगे। टैम्पो कहां से सवारियां बैठाएंगे, इसके लिए एरिया डिसाइड होने चाहिए। सिस्टेमेटिक प्लान होना चाहिए।
-श्रद्धा खंडेलवाल, बिजनेसवुमन