बरेली: शहर की मार्केट या फिर रोड्स महिलाओं को टायलेट के लिए प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। क्योंकि शहर में महिलाओं के लिए पिंक टायलेट की बात करें तो अधिकांश एरिया में पिंक टायलेट तो है ही नहीं। अब ऐसे में वर्किंग वीमेन जो मार्केट या फिर ऑफिसेस के लिए जाती है उनको भी प्रॉब्लम होती है। दूर-दराज से भी शहर में शॉपिंग के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं तो सबसे अधिक प्रॉब्लम उन महिलाओं को होती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने थर्सडे को वर्किंग वीमेन से बात की तो महिलाओं का कहना था कि जिम्मेदार ही बताएं कि मेरा पिंक टायलेट कहां है।

दूसरे जिलों से भी आती है महिलाएं

वर्किंग वीमेन की ही बात करें तो बरेली शहर में आसपास के जिलों और तहसील क्षेत्र से भी बड़ी सख्या में वर्किंग वीमेन आती है। अब ऐसे में कहीं इन वर्किंग वीमेन के लिए टायलेट जाना भी पड़े तो उन्हें पिंक टायलेट तलाशने से भी नहीं मिलेगा। शहर में पिंक टायलेट बनाने और महिलाओं को सुविधा देने का सिर्फ दावा तो किया जा रहा है लेकिन हकीकत कहीं परे है। महिलाओं को अभी तो शहर के किसी भी एरिया में पिंक टायलेट तलाशना पड़ता है। वहीं शहर की वर्किंग वीमेन का कहना है कि महिलाओं की समस्या जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।

बोली वर्किंग वीमेन

मार्केट नहीं होने से हम लोगों को प्रॉब्लम होती है। कई जगह तो पब्लिक टायलेट में ही महिलाओं के लिए टायलेट बना दिए हैं उसके ऊपर से मार्केट वालों ने टायलेट पर अतिक्रमण कर दिया है। इसीलिए मुझे तो ऐसे टायलेट बिल्कुल पंसद नहीं है। पब्लिक टॉयलेट हमारे लिए सेफ भी नहीं है इसीलिए पिंक टायलेट होने चाहिए, इतना ही नहीं पिंक टायलेट में केयर टेकर भी महिला हो तो ज्यादा बेहतर होगा। वहां पर हम लोग फिर खुद को सेफ महसूस करेंगे। मैंने तो देखा है कि बुजुर्ग महिलाएं भी मार्केट में आती है उनको पिंक टॉयलेट नहीं होने से बड़ी समस्या फेस करनी हो है वह टायलेट जाना भी चाहती है लेकिन पब्लिक टायलेट में गंदगी के चलते वहां जाना पंसद नहीं करती है।

शिखा सिंह, वर्किंग वीमेन

---

एक बार मुझे मार्केट में टायलेट जाना था तो देखा मार्केट में कहीं टायलेट नहीं था, काफी तलाशने पर एक पब्लिक टायलेट मिला, लेकिन उसके बाहर ठेला वालों ने अतिक्रमण कर रखा था। अब ऐसे में जहां पुरुषों के साथ टायलेट महिलाओं के लिए बना दिए हैं वहां पर महिलाएं कैसे टायलेट के लिए जा सकती है। ऐसी जगह पर तो महिलाएं टायलेट के लिए जा ही नहीं सकती हैं। इसके साथ ही पब्लिक टायलेट में गदंगी इतनी अधिक होती है कि टायलेट में एंट्री भी करने का मन नहीं करता है।

पूनम, वर्किंग वीमेन

--------

-घर से शहर में कहीं भी जाना होता है तो पहले सोचना पड़ता है कि कहीं टायलेट न जाना पड़े। क्योंकि शहर में पिंक टायलेट तो हैं नहीं और जहां कहीं एक दो पिंक टायलेट हैं भी वहां पर केयर टेकर नहीं होने से गंदगी रहती है या फिर उन टायलेट में लॉक लगी रहती है। जिस कारण हम लोग उन टायलेट का यूज ही नहीं कर पाते हैं। इसीलिए कहीं जाने से पहले तैयारी करके ही निकलते हैं।

आरती, वर्किंग वीमेन

--------------

-महिलाओं के लिए पिंक टायलेट की समस्या है इस बात को जिम्मेदार भी जानते हैं लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है। रीजन है कि उनको इस बात से मतलब ही नहीं, लेकिन ऐसी सोच को बदलना चाहिए। क्योंकि शहर में भी महिलाएं हर क्षेत्र में काम करती है। महिलाओं को भी किसी भी समय कहीं जाना होता है तो मुशिकल होती है।

सपना, वर्किंग वीमेन

---------------

-जिम्मेदारों की जिम्मेदारी होती है कि वह पुरुषों की तरह ही महिलाओं की भी समस्या को समझे। शहर में पिंक टायलेट महिलाओं के लिए बनवाएं। क्योंकि जहां पर भी महिलाओं को कही निकलती है तो वहां पर टायलेट की समस्या फेस करनी होती है। इसीलिए जरूरी है कि शहर की हर मार्केट में कम से कम एक ंिपक टायलेट तो होना ही चाहिए।

कामता, वर्किंग वीमेन

-------------

-स्मार्ट सिटी के तहत पिंक टायलेट शहर में बनाए गए लेकिन एक बार मुझे जीआईसी मार्केट में टायलेट जाना था तो पिंक टायलेट में लॉक लगी मिली। अब ऐसे में पिंक टायलेट बनाने का क्या औचित्य है। इससे अच्छा तो पिंक टायलेट बनाना बेकार है। शहर में पिंक टायलेट बनाने के साथ उनको शुरू भी कराना चाहिए, और जहां कहीं भी पिंक टायलेट नहीं बने हैं वहां पर पिंक टायलेट बनाने चाहिए।

गंगा, वर्किंग वीमेन

---------------

-वर्किंग वीमेन को सबसे अधिक दिक्कत होती है जब वह कहीं मार्केट या फिर मार्केट से आना-जाना होता है। मैं तो यहीं कहूंगी कि स्मार्ट सिटी में भी महिलाओं की समस्या को ध्यान देते हुए पिंक टायलेट के निर्माण कराए जाएं। पिंक टायलेट नहीं होने से समस्या फेस करनी पड़ती है। महिलाओं को पब्लिक टायलेट में कहीं जाना पड़ता भी है तो वह खुद को सुरक्षित नहीं समझती है।

संजोली, वर्किंग वीमेन

------------

-जिम्मेदारों को चाहिए कि कुछ एरिया है जहां पर महिलाओं को अधिक आना जाना होता है। लेकिन वहां पर कभी किसी महिला को टायलेट जाना पड़ता है तो कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में फिर ऐसी मार्केट में महिलाएं भी जाने से बचती है। क्योंकि एक बार मैंने देखा कि पब्लिक टायलेट में महिला टायलेट जो बनी थी उसमें पुरुष एंट्री किए हुए था। अब ऐसे में महिलाएं कहां जाएं।

मुदिता, वर्किंग वीमेन

-----

शहर को स्मार्ट बनाने की जिद्दोजहद जोर शोर से तो चल रही है लेकिन इसमें महिलाओं की सुरक्षा शामिल नहीं है तो यह सोचने का विषय है। शहर में पिंक टायलेट की बात तो की गई लेकन नाम मात्र के औपचारिकता केलिए यह पिंक टायलेट्स बनाए गए। इनपर भी कभी जाना होता है तो किसी में ताला लगा मिलता है तो किसी में गंदगी मिलती है। शहर टायलेट की स्थित बहुत ही खराब है ऐसे में मार्केट के लिए हम सभी जब आते हैं तो पहले से सोचना पड़ता है कई बार तो महिलाएं खासकर जो दूर दराज से आती हैं उनको सबसे अधिक प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। शहर की जो मेन मार्केट है या जिन रोडस से लोगों का आना-जाना होता है उसे रोड्स पर कम से कम पर्याप्त पिंक टायलेट होना चाहिए।

======================

सोशल मीडिया कमेंट

पिंक टॉयलेट जैसे होने चाहिए हमारे शहर में जो टायलेट हैं उनमें सफाई होना, पानी की अच्छी व्यवथा होना जरूरी है। इस तरह की व्यवथा किसी भी टॉयलेट में नहीं है, इसलिए हम टॉयलेट यूज नही करते हैं। क्योंकि गंदा टॉयलेट यूज करने से हमें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पडता है ।

भावना पाल स्टूडेंट

रास्तों पर ज्यादातर पिंक टॉयलेट शहर में नहीं हैं, अगर हैं तो एक या दो वो भी सुविधाजनक नहीं हैं। हमें इस वजह से आये दिन का सामना करना पडता है। चाहे ऑफिस से घर कितनी भी क्यों न दूर हो हम टॉयलेट यूज नहीें क सकते हैं।

स्वाती इंप्लॉय

मैं जब भी ऑफिस जाती हूं, तो यह सोचकर निकलती हूं कि रास्ते में टॉयलेट न जाना पड़े। कम से कम पानी पीती हूं ताकि टॉयलेट के लिए न रूकना पड़े। रास्ते में जो पिंक टॉयलेट हैं। वहुत गन्दे हैं, जो यूज नहीें किये जा सकते इसलिए जरूरी है कि उनका पूर्ण रूप से नवीनीकरण कराया जाए।

प्रियंका गोला स्टूडेंट

हमें घर से निकलने से पहले यह सोचना पड़ता है, कि हमें रास्ते में कहीं टॉयलेट न जाना पड़े। शहर में जो पिंक टॉयलेट की कंडीशन है, उन्हें देखकर आपको यह बताती कि हम महिलाओं के लिए वे टॉयलेट यूज करने के लायक नहीं हैं।

पूनम इंप्लॉय

मेरे ऑफिस के रास्ते में कोई पिंक टॉयलेट नहीं है, अगर कोई टॉयलेट है तो वह सार्वजनिक है। जिसमें महिलाओं का जाना उचित नहीं है, क्योंकि उनमें आए दिन वहुत सी घटनाए सुनने को मिलती हैं। जिनसे हम बहुत आहत रहते है और असुरक्षित महसूस करते हैं। प्रतिभा गंगवार ग्रहणी

शहर में एक दो रास्तों पर पिंक टॉयलेट हैं, पर उसकी हालत इतने गंदे है। महिलाएं उन्हें यूज करना पसंद भी नहीं करती, क्योंकि वह असुविधाजनक हैं। जिसको यूज करने से बहुत सी परेशानियां होने का खतरा है। सेफ रहने के लिए हम टॉयलेट यूज नहीं करते ।

मधु सक्सेना इंप्लॉय

शहर में आने-जाने वाले रास्तों में कहीं पर पिंक टॉयलेट हैं, वहां अतिक्रमण करने वालों ने उसे ढक रखा है। ऐसे में पिंक टायलेट होते ही भी यूज नहीं कर सकते हैं। उसे ज्यादातर पुरूष इस्तेमाल करतें हैं। इस वजह से महिलाऐं उसे यूज नहीें कर पाती। वहां कोई केअर टेकर होना चाहिए।

बब्ली स्टूडेंट