आखिरी डेट निकली, राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए डीआईओएस विभाग को नहीं मिला एक भी दावेदार
उत्कृष्ट शिक्षण कार्यो के लिए शिक्षकों को किया जाता है इस पुरस्कार से सम्मानित
BAREILLY:
देश के भविष्य यानि बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देने वाले शिक्षकों को राष्ट्रपति व राज्य पुरस्कार का सम्मान मिलता है। कभी इस पुरस्कार को पाने के लिए शिक्षकों में होड़ होती थी। बरेली में भी इस सम्मान से तमाम शिक्षक नवाजे जा चुके हैं, लेकिन इस साल तो सम्मान लेने वाले शिक्षकों की बरेली में जैसे कमी हो गई है। इसे देश व समाज के लिए समर्पित शिक्षकों की कमी क हें या फिर बाजारू होती शिक्षा का दोष, जिसके चलते पुरस्कार पाने के लिए माध्यमिक से एक भी शिक्षक ने आवेदन नहीं किया। हालांकि, बेसिक शिक्षा से चार शिक्षकों ने आवेदन जरूर किया है।
शैक्षिक उत्थान के लिए दिया जाता है ये अवार्ड
शिक्षक के बारे में कहा जाता है कि ये कोई पेशा नहीं, बल्कि समाज की नई पीढ़ी को जीवन जीने की कला सिखाने का नाम है। राष्ट्रपति व राज्य पुरस्कार इसी कला की परख कर उसे पुरस्कृत करने के उद्देश्य से दिया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार के लिए कुल ख्9 मानकों पर आवेदक शिक्षक का मूल्यांकन किया जाता है, जिसमें शैक्षिक उत्थान के लिए किये गए उत्कृष्ट कार्य, शिक्षा से जुड़ी योजनाओं का व्यक्तिगत स्तर पर प्रचार, शिक्षक द्वारा पढ़ाई कक्षाओं के रिजल्ट, शिक्षक द्वारा छात्रों को खेल-कूद, स्काउट-गाइड, रेड क्रास या किसी अन्य के लिए जागरूक करना आदि प्रमुख बिन्दु है। इन ख्9 बिंदुओं को मूल्याकंन का आधार बनाकर जिला स्तरीय कमेटी फिर राज्य स्तरीय कमेटी में आवेदक शिक्षकों को परखा जाता है। साथ ही इन आवेदकों का इंटरव्यू भी लिया जाता है। इन सभी के आधार पर इनमें से विशिष्ट आवेदकों का चुनाव राष्ट्रपति पुरस्कार व राज्य पुरस्कार के लिए किया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार व राज्य पुरस्कार प्रदेश के राज्यपाल द्वारा दिया जाता है।
पुरस्कार की दावेदारी साल दर साल घटी
समाज को दिशा देने वाले सराहनीय कार्य करने वाले शिक्षक को दिए जाने वाले इन पुरस्कारों के लिए साल दर साल आवेदकों की संख्या घटती गई। अब आलम ये है कि इस पुरस्कार के लिए बीएसए आफिस को सिर्फ चार आवेदन ही मिल सके, जबकि डीआईओएस विभाग में एक भी माध्यमिक स्कूल के शिक्षक ने पुरस्कार के लिए आवेदन नही किया। ये स्थिति तब है जबकि इस समय जिले में एक लाख से अधिक शिक्षक प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों में पढ़ा रहे है। पिछले सालों की बात करें तो बीएसए व डीआईओएस विभाग में इस पुरस्कार के लिए किये गए आवेदनों की संख्या दहाई का आंकड़ा पार नही कर सकी है। और अब ये स्थिति लगभग शून्य पर जा पहुंची है। पिछले साल बीएसए विभाग में 8 आवेदन आये, जबकि माध्यमिक को 7 आवेदन प्राप्त हुए। इससे पहले यानि ख्0क्ख् में बेसिक के दस शिक्षकों ने आवेदन किये थे जबकि माध्यमिक के 8 शिक्षकों ने ही दावेदारी पेश की थी। बता दें कि इस साल उप्र से क्9 शिक्षकों को ये पुरस्कार दिए जायेंगे, जिसमें दो हेंडीकैप्टेड शिक्षक होंगे।
अब शिक्षक ज्यादा पेशेवर हो गए है, समाज के उद्धार के लिए काम करना अब इनकी प्राथमिकताएं नहीं रही, इस साल किसी भी शिक्षक का आवेदन न करना इस बात का खुला सुबूत है।
- डा। मिथिलेश भदौरिया, राष्ट्रपति पुरस्कार ख्0क्0, प्रिंसिपल-आर्यपुत्री इंटर कालेज
शिक्षक अब भी काम कर रहे है, हां इनकी संख्या जरूर सिमट गई है। इस पुरस्कार के लिए आवेदन न कर पाने के पीछे एक कारण अवेयरनेस भी है। विभाग द्वारा इन चीजों का ज्यादा प्रचारित नहीं किया जाता।
- मानवेंद्र मोहन, राष्ट्रपति पुरस्कार ख्0क्ब्, सहायक शिक्षक-जूनियर हाईस्कूल कांधरपुर
ये बरेली का सौभाग्य है कि पिछले तीन सालों से इस जिले को लगातार ये विशिष्ट पुरस्कार मिल रहा है, इस साल कम आवेदन आये हैं। ये हैरान करने वाला है।
- कंचन कनौजिया, राज्य पुरस्कार ख्0क्फ्, जिला गाइड कैप्टन
शिक्षक भौतिकवादी होते चले गए, और इसीलिए समाज के लिए काम करने की भावना उनमें खत्म होती जा रही है। आज शिक्षक और छात्र के बीच ग्राहक और दुकानदार वाला संबंध स्थापित हो गया है। अब काम ही नहीं हो रहा तो पुरस्कार के लिए आवेदन किस बिना पर करें।
- डा। सुरेश रस्तोगी, राज्य पुरस्कार प्राप्त क्999, प्रिंसिपल-पीसी आजाद इंटर कालेज
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आखिरी तारीख तक हमें इस पुरस्कार के संबंध में एक भी आवेदन नहीं प्राप्त हुआ। ये स्थिति चौंकाने वाली है। हो सकता है कि आवेदन की डेट बढ़े, इसलिए यदि कोई शिक्षक आवेदन करना चाहता है तो आज ही विभाग में आकर संपर्क करे।
- आशुतोष भारद्वाज, डीआईओएस
फ्क् जनवरी तक आवेदन मंगाए गए थे, हम तक चार आवेदन पहुंचे जो पिछले सालों के मुकाबले कम है। आखिरी तारीख बढ़ने के संबंध में कोई निर्देश प्राप्त नही हुए है।
- विशू गव्र्याल, उप बेसिक शिक्षा अधिकारी