-104 के सापेक्ष 103 को मिली नियुक्ति, लखनऊ में मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को पत्र सौंपकर दीं शुभकामनाएं
बरेली: लंबे वक्त से सहायक शिक्षकों का नियुक्ति को लेकर चल रहा संघर्ष खत्म हो गया। अभ्यर्थियों को मेहनत का फल मिला तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। शुक्रवार को संजय कम्युनिटी हॉल में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 104 शिक्षकों के सापेक्ष 103 को नियुक्ति पत्र दिया गया। लखनऊ में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लखनऊ में चल रहे कार्यक्रम का का संजय कम्युनिटी हॉल में लाइव प्रसारण चल रहा था। कहा कि मन लगाकर च्च्चों को शिक्षित करेंगे। इस बात का खुद से संकल्प कर लें।
भावुक हो गए शिक्षक
यहां नियुक्ति पत्र मंच से शिक्षकों को मुख्य अतिथियों द्वारा प्रदान किए गए। इस दौरान कई शिक्षक अपने संघर्षों के दिन को याद कर नियुक्ति पत्र लेते हुए भावुक हो गए। इस मौके पर मंडलायुक्त आर रमेश, जिलाधिकारी नितीश कुमार, महापौर डा। उमेश गौतम, विधान परिषद सदस्य डा। जयपाल सिंह व्यस्त, शहर विधायक अरुण कुमार, जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल, सीडीओ चंद्र मोहन गर्ग, संयुक्त शिक्षा निदेशक अजय कुमार द्विवेदी, डायट प्राचार्य शशि देवी शर्मा, डीआईओएस अमरकांत सिंह, मीरगंज विधायक डीसी वर्मा, बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्रा, बहेड़ी विधायक छत्रपाल गंगवार, भोजीपुरा विधायक मनोहर लाल मौर्य, फरीदपुर विधायक डा। श्याम बिहारी लाल समेत सभी खंड शिक्षाधिकारी मौजूद रहे।
बच्चों का भविष्य संवारें
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी विनय कुमार ने कहा कि यह खुशी का क्षण है कि हमारे शिक्षक परिवार में नए सदस्य जुड़े। इससे शिक्षा का स्तर और अधिक मजबूत होगा। कहा कि आपका शिक्षक बनने का सपना पूरा हो गया है.च्अब बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए मनोयोग के साथ जुट जाएं।
परिवार के साथ सेल्फी लेकर जाहिर की खुशी
नियुक्ति पत्र मिलने के बाद किसी ने माता-पिता तो किसी ने अपने दोस्तों के साथ ही खुशी का इजहार किया। वहीं तमाम शिक्षकों ने परिवार के साथ सेल्फी लेकर खुशी जताई।
क्या बोले शिक्षक
खुशी का ठिकाना नहीं है। इस लम्हें को जाहिर करने के लिए जैसे कोई शब्द ही नहीं बचा है अब। पिता का सपना था कि मैं शिक्षक बनूं। बस उनका सपना पूरा हो गया।
- खुशबू, नवनियुक्त शिक्षक
काफी संघर्षों के बाद सफलता मिली है। मैं बहुत सामान्य परिवार से हूं। घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, इसलिए ट्यूशन पढ़ाकर घर में पिता का सहयोग करता था।
- उमाकांत, नवनियुक्त शिक्षक