UP से पहला selection
संजय नगर की यशस्वी कुमार उर्फ कैथी ने तीन महीने पहले इवा यूनिवर्सिटी में तीन साल के डिग्र्री कोर्स के लिए ऑनलाइन एग्जाम दिया था। इसमें उनका सेलेक्शन हो गया है। यशस्वी यह अचीवमेंट हासिल करने वाली बरेली ही नहीं यूपी की पहली ताइक्वांडो प्लेयर हैं। उन्हें इवा यूनिवर्सिटी के सियोल स्थित स्पोट्र्स एंड साइंस सेंटर में जल्द से जल्द पहुंचना है। यशस्वी के सेलेक्शन से उनकी पूरी फैमिली में खुशी का माहौल है.
VISA में problem
यशस्वी के फादर और कोच अनिल कुमार ने बताया कि साउथ कोरिया जाने के लिए उन्होंने अपनी तरफ से सारे डॉक्युमेंट रेडी कर दिए हैं। दो दिन पहले वह वीजा के लिए दिल्ली गए थे, जहां साउथ कोरिया के किसी लोकल व्यक्ति को गार्जियन बताकर वेरीफिकेशन कराना था। इसके लिए अनिल कुमार ने साउथ कोरिया में रहने वाले अपने कोच चांग सांग डांग से कॉन्टेक्ट किया। चांग सांग डांग ने यशस्वी का गार्जियन बनने और वेरीफिकेशन के लिए सारी फॉर्मेलिटीज पूरी करने की बात एक्सेप्ट कर ली है। अब सिर्फ इंडियन गवर्नमेंट की तरफ से यशस्वी के साउथ कोरिया में जाने का वीजा मिलने की देर है। यशस्वी का कहना है कि वह वीजा मिलते ही साउथ कोरिया के लिए निकल लेंगी।
4 साल की उम्र में पहला gold
यशस्वी ने बताया कि तीन साल की उम्र से उन्होंने ताइक्वांडो सीखना शुरू किया था। यशस्वी के पिता अनिल कुमार उर्फ बॉबी ताइक्वांडो के सफल खिलाड़ी और कोच हैं। इसलिए उन्होंने अपने पिता से ही इंस्पिरेशन लेकर ताइक्वांडो खेलना शुरू किया। उन्होंने चार साल की एज में पहला गोल्ड मेडल हासिल कर लिया था। तभी से ही उन्होंने ताइक्वांडो में करियर बनाने और सफल होने का तय कर लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
Achievements
यशस्वी ने डिस्ट्रिक्ट लेवल पर ऑर्गनाइज होने वाले 10 काम्पिटिशंस में पार्टिसिपेट किया। इन सभी में गोल्ड मेडल हासिल किया।
इसी तरह ताइक्वांडो जोनल चैंपियनशिप में यशस्वी ने 10 बार पार्टिसिपेट किया। इसमें उन्हें 9 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल मिला।
यशस्वी ने ताइक्वांडो स्टेट चैंपियनशिप में 7 बार पार्टिसिपेट किया। इसमें 2 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज और 1 गोल्ड समेत 6 मेडल मिले हैं। एक प्रतियोगिता में वह मेडल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थीं।
यशस्वी ने नेशनल लेवल के तीन कॉम्पिटिशन में पार्टिसिपेट किया। तीनों बार उन्हें गोल्ड मेडल मिला।
4 साल की एज में 1995 में सियोल से ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर चुकी हैं। इसी साल उन्हें बरेली डिस्ट्रिक्ट ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल मिला। यह उनकी लाइफ का पहला गोल्ड मेडल था।
Supportive family
यशस्वी कहती हैं कि पिता के ताइक्वांडो प्लेयर होने और घर में बेहतर माहौल होने की वजह से उन्हें ज्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा। फैमिली का बेहतर सपोर्ट मिलने की वजह से ही उन्होंने डिस्ट्रिक्ट, जोनल, स्टेट और नेशनल लेवल पर बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया। इवा यूनिवर्सिटी में सेलेक्शन के लिए फैमिली के सपोर्ट को वह अहम मानती हैं।
Sports & science का scope
इवा यूनिवर्सिटी की तरफ से स्पोर्ट्स एण्ड साइंस का डिग्र्री कोर्स चलाया जाता है। इसमें आनलाइन एग्जाम के थ्रू स्टूडेंट्स का सेलेक्शन करने की फैसिलिटी अवलेबल है। सेलेक्शन होने के बाद स्टूडेंट को स्टार्टिंग के थ्री मंथ लैंग्वेज सिखाई जाती है। इसके लिए 40,000 रुपये फीस जमा कराई जाती है। इसके साथ ही तीन साल में होने वाले तीन सेमेस्टर की फीस अलग से लगती है। जो हर सेमेस्टर के लिए 1.5 लाख रुपये जमा कराई जाती है। इस कोर्स के लिए होने वाले कांपिटीशन बहुत टफ होता है। इसलिए इंडिया से बहुत ही कम प्लेयर्स का सेलेक्शन होता है। यहां एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को इंटरनेशनल लेबल के प्लेयर्स के साथ पढ़ाई करने और गेम खेलने का मौका मिलता है। डिग्र्री कोर्स करने के बाद उनके लिए कोच बनने के रास्ते भी खुल जाते हैं।
Reported by: Prabhat Tiwari