फॉर्म भरने की व्यवस्था नहीं

एजुकेशन डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स का दावा है कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहां पर स्टूडेंट्स को फॉर्म फिल करना है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान स्टूडेंट्स को इनवॉल्व नहीं किया गया है। सारी प्रोसीजर विभागीय स्तर पर ही निपटाना है। स्कूल-कॉलेजेज अपने यहां इनरोल्ड स्टूडेंट्स की लिस्ट सौंपेगे। जिन्हें एजुकेशन डिपार्टमेंट वैरीफाई कर शासन को फॉरवर्ड कर देगा। स्टूडेंट्स को केवल स्कीम का लाभ पहुंचाना है। इसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन फॉर्म फिल करने की आवश्यकता नहीं है।

9 बिंदुओं का है ब्यौरा

बाजार में बिक रहे फॉर्म पर एक बारगी नजर डालें तो वह पूरी तरह से फर्जी दिखता है। फॉर्म किसी भी रूप में यह प्रतीत नहीं होता है कि वह सरकारी है। ऐसा लगता है कि जैसे सादे कागज पर खुद ही कम्प्यूटर से टाइप कर प्रिंटआउट निकाल दिया गया हो। फॉर्म में स्टूडेंट्स को 9 बिंदुओं का ब्यौरा फिल करना है। अपना और पिता का नाम, एड्रेस, क्लास, पासआउट स्कूल का नाम, अभिभावक का काम, जाति समेत ब्यौरा देना है। यही नहीं इस फॉर्म को न केवल स्टूडेंट्स बल्कि अभिभावक और पासआउट स्कूल के प्रिंसिपल से सेल्फ अटेस्टेड भी करवाना है।

Certificat के लिए परेशान

फॉर्म में फोटो के साथ स्टूडेंट्स को अपनी मार्कशीट की फोटोकॉपी भी अटैच करनी है। साथ ही उन्हें जाति और बोनाफाइड सर्टिफिकेट भी अटैच करना है। इन सर्टिफिकेट्स को बनवाने के लिए स्टूडेंट्स नोटरी के चक्कर काट रहे हैं।

कॉलेजेज असेप्ट नहीं कर रहे फॉर्म

सारी व्यवहारिक दिक्कतों के बाद जब स्टूडेंट्स फॉर्म फिल कर कॉलेज में जमा कराने जाते हैं तो कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन उसे असेप्ट करने से मना कर देता है। कॉलेज को ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है, जिसमें उन्हें स्टूडेंट्स से डायरेक्ट फॉर्म असेप्ट करना है।

नहीं है ठगी की information

सिटी में बड़े पैमाने पर ठग स्टूडेंट्स को अपना शिकार बना रहे हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी कोई इंफोर्मेशन नहीं है। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के अलावा एजुकेशन ऑफिसर्स इस बात से अंजान हैं कि  उनके नाक के नीचे यह गोरखधंधा चल रहा है। उन्हें इस बात का संज्ञान ही नहीं है कि ऐसे फर्जी फॉर्म किन स्थानों पर बेचे जा रहे हैं।

बिक रहे हैं फर्जी फॉर्म

लैपटॉप और टैबलेट की डिमांड के लिए फर्जी फॉर्म उन्हीं चुनिंदा जगहों पर बेचे जा रहे हैं, जहां पर स्टूडेंट्स का अक्सर वास्ता पड़ता है। मसलन कचहरी और कॉलेजेज के बाहर बुक्स और फॉर्म काउंटर्स पर। चोरी छिपे नहीं सरेआम बेचे जा रहे हैं। जाति व इंकम सर्टिफिकेट और एफिडेविड बनाने के लिए अक्सर स्टूडेंट्स कचेहरी के बाहर बने काउंटर्स पर चक्कर काटते देखे जा सकते हैं। ऐसे ही काउंटर्स पर ये फॉर्म दस रुपए में आसानी से अवेलेबल हैं।

लैपटॉप और टैबलेट प्राप्त करने की स्कीम के लिए विभाग ने किसी भी प्रकार के आवेदन फॉर्म नहीं निकाले हैं। स्टूडेंट्स को ऐसे फॉर्म भरने के कोई डायरेक्शंस नहीं दिए गए हैं। हाईस्कूल और इंटर पास करने के बाद स्टूडेंट्स जहां पर इनरोल्ड हुए हैं, उनके प्रिंसिपल से लिस्ट मंगाई गई है। करीब सभी स्कूल और कॉलेजों ने अपने स्टूडेंट्स की लिस्ट भेज दी है। वही लिस्ट ऑडिट कर आगे के लिए फॉरवर्ड की जाएगी। स्टूडेंट्स से अपील है कि वे ऐसे किसी भी फर्जीवाड़े में न पड़ें।

- केपी सिंह, डीआईओएस

कॉलेज में यूजी कोर्सेज के फस्र्ट ईयर में एडमिशन ले चुके ऐसे तमाम स्टूडेंट्स आवेदन फॉर्म लेकर जमा कराने के लिए हमारे पास पहुंच रहे हैं। कुछ स्टूडेंट्स तो फॉर्म की भी डिमांड कर रहे हैं। जबकि ऐसा कोई रूल नहीं है। रोजाना काफी संख्या में स्टूडेंट्स आते हैं। उनको मना करते हैं तो वे मानते ही नहीं। बकायदा फोटो सहित अपनी फॉर्म भरकर ऑफिस में जमा करने चले आते हैं। बिना किसी डायरेक्शंस के हम कैसे फॉर्म एक्सेप्ट कर लें। इस पर स्टूडेंट्स गुस्से से भड़क भी जाते हैं।

- डीके गुप्ता, डीएसडब्लू, बीसीबी