बरेली (ब्यूरो)। स्पोट्र्स स्टेडियम में नौ करोड़ तीस लाख की लागत से स्टैंडर्ड सिंथेटिक ट्रैक तैयार किया जा रहा है। इसके लिए तैयारी पूरी हो गई है, लेकिन इसके बनने के लिए खिलाडिय़ों को थोड़ा इंतजार करना होगा। नेशनल और इंटरनेशनल कंपटीशन में खिलाडिय़ों की मदद करने के लिए यह ट्रैक तैयार किया जा रहा है, जिससे प्लेयर्स का खेल के लिए रुझान और भी बढ़ जाए। ट्रैक के लिए जरूरी सारी फॉरमैलिटीज पूरी हो गई हैैं। बस काम शुरू करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन इस पूरे प्रोसीजर में एक खामी भी नजर आ रही है, जो गेम के लिए काफी जरूरी है। स्टेडियम में एथलेटिक्स का कोई कोच अवेलेबल नहीं है। ऐसे में बिना कोच के ट्रैक का प्लेयर्स किस तरह लाभ ले पाएंगे यह एक प्रश्न बना हुआ है।
क्या है सिंथेटिक टै्रक
सिंथेटिक ट्रैैक के जरिए प्लेयर्स को अपने गेम का स्टैैंडर्ड मेंटेन करने और बढ़ाने में हेल्प मिलेगी। इसके अलावा मौसम का भी इस पर असर नहीं होता है। खिलाड़ी किसी भी मौसम में अपना हुनर दिखा सकते हैं। इसके कंस्ट्रक्शन के लिए कई तरह की राख, रेत, चट्टïानों को मिक्स करके बनाया जाता है। इसके साथ ही रबर की कुशनिंग की जाती है। इससे बॉडी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है।
मिला असाइनमेंट
पूरे ट्रैक को बनाने का असाइनमेंट महाराष्ट्र की एक कंपनी सिडको को दिया गया है। उसने ग्राउंड की मैपिंग और लेवलिंग पूरी कर ली है। वहीं ग्राउंड में निर्माण कार्य को जल्द शुरू करने की बात कही जा रही है। सिडको टीम के मेंबर्स का कहना है कि इस असाइनमेंट को दो साल के अंदर पूरा करने का प्लान किया जा रहा है, जिससे प्लेयर्स को खेल के लिए सहूलियत मिल सके।
400 प्लेयर्स हैैं रजिस्ट्रर्ड
स्पोट्र्स स्टेडियम में वैसे तो कई गेम खिलाए जाते हैैं। इसमें 2023 के रजिस्ट्रेशन के अनुसार 400 प्लेयर्स रजिस्टर्ड हैं, जो रेगुलर प्रैक्टिस के लिए आते हैं। वहीं अन्य कई नॉन रेगुलर प्लेयर्स भी खेेलने आते हैैं। ट्रैक के बनने के बाद से प्लेयर्स को गेम में खेलने और आगे बढऩे में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा शहर में अन्य प्लेयर्स का भी रुझान खेल खेलने में काफी तेजी से बढ़ेगा। स्टेडियम को मॉर्डन फैसिलिटीज से अपग्रेड किया जा रहा है।
खेले जा सकेंगे गेम्स
लॉन्ग जंप
डिस्कस शो
हैमर थ्रो
ट्रिपल जंप
शॉर्टफुट
पॉल वाल्ट
जैबलिन आदि
अभी नहीं है कोई कोच
एथलेटिक्स फेडरेशन के सचिव साहिबे आलम का कहना है कि स्टेडियम में ट्रैक बन रहा है। यह काफी अच्छी बात है, लेकिन जिस तरह बिना ड्राइविंग सीखे कार नहीं चलाई जा सकती है, उस ही तरह प्लेयर्स बिना कोच के ट्रैक पर ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएंगे। स्टेडियम में काफी समय से कोई भी एथलेटिक्स कोच अवेलेबल नहीं है। इसकी वजह से सभी प्लेयर्स सेल्फ प्रैक्टिस के जरिए ही गेम को बरकरार रख रहे हैं। उन्हें प्रॉपर ट्रेनिंग देने वाला कोई मिल ही नहीं पा रहा है। स्टेडियम के आरएसओ जितेंद्र यादव खुद भी एक एथलीट हैैं, शायद ट्रैक बन जाने से एथलीट्स को कोच मिल जाए और वे अच्छे से प्रेक्टिस करके शहर का नाम नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर रोशन कर सकें।
क्लोज्ड बॉक्सिंग रिंग
स्टेडियम में सांसद संतोष गंगवार की पहल से क्लोज्ड बॉक्सिंग रिंग भी बनाया जा रहा है। इस रिंग को बनाने के लिए लगभग नौ लाख का बजट तय हुआ है। इसे प्रॉपर बीम के जरिए तैयार किया गया है। इसके बाद मौसम के अनुसार प्लेयर्स को खेल रोकने के लिए डिपेंडेंट नहीं रहना पड़ेगा।
लगभग नौ करोड़ रुपयों की लागत से ट्रैैक बन कर तैयार होगा। इसके बनने से स्टेडियम में और भी रौनक आएगी। प्लेयर्स को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा। हमारी ओर से प्लेयर्स के हित के लिए कदम उठाया जा रहा है।
-जितेंद्र यादव, आरएसओ
अब तक शहर में सिर्फ यूनिवर्सिटी में ही ट्रैक बना हुआ है। उसकी भी हालत खराब हो रखी है। स्टेडियम में ट्रैक बन जाने से सभी को एक मौका मिलेगा खेलने का। इसके अलावा ट्रैक बनने के साथ-साथ कोच भी अपॉइंट करना चाहिए। जिससे प्लेयर्स को खुद को प्रूव करने का मौका मिल सके।
साहिबे आलम, सचिव, एथलेटिक्स फेडरेशन
स्टेडियम में ट्रैक बनने से प्लेयर्स को काफी हेल्प मिलेगी। इसके बनने से प्लेयर्स नेशनल और इंटरनेशनल लेवेल के गेम खेल पाएंगे, जो उन्हें आगे बढऩे में मदद करेगा। इसके साथ ही शायद इसके बनने के बाद कोच भी आ जाए।
अविनाश कुमार, कनिष्ट सहायक, स्टेडियम