-स्वाइन फ्लू वायरस का इंसान से जानवरों में ट्रांसफर पॉसिवल

-पांच साल पहले डिटेक्ट हुए वायरस से जानवरों को बचाने के लिए नहीं बना कोई वैक्सीन

-आइसोलेशन है एक्रमात्र तरीका, इंसानों के करीबी पेट्स में वायरस की आशंका ज्यादा

BAREILLY: पिछले दिनों भूड़ के रहने वाले डॉ वर्मा ने कुवैत जाने के लिए वीजा अप्लाई किया, जिसमें उनके द्वारा अपने पेट डॉग को ले जाना भी मेंशन किया गया। इस पर कुवैत गवर्नमेंट की ओर से उन्हें अपने डॉग का स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंजा की जांच कराने का निर्देश दिया गया। इस पर उन्होंने आईवीआरआई से संपर्क किया। इस टेस्ट के लिए आईवीआरआई ने भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिसीज के लिए रेफर कर दिया। हालांकि स्वाइन फ्लू के जानवरों में फैलने की आंशका पर जांच की मांग का ये पहला मामला है, लेकिन बहुत कम ही हैं जिन्हें यह जानकारी है कि स्वाइन फ्लू हयूमन बीइंग्स से एनिमल्स में भी ट्रांसफर हो सकता है। जी हां, अगर आप पेट्स के शौकीन हैं तो खुद के साथ-साथ अपने पेट्स को भी स्वाइन फ्लू इंफेक्शन से सेफ रखिए। कैसे, जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट।

पेट्स पर भी केयर की जरूरत

अगर आपका पेट फीवर, जुकाम, खासी, बॉडी ऐक से परेशान है, जिसकी वजह से उसने खाना छोड़ दिया है या फिर वह चिड़चिड़ा हो गया है। तो उसपर विशेष ध्यान दीजिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपका डॉग, कैट, रैबिट या दूसरा कोई पेट इन्फ्लूएंजा वायसर से इंफक्टेड हो। जी हां, सुनने में भले आपको अजीब लगे लेकिन ये खतरनाक वायरस हयूमन बीइंग्स के साथ ही पेट एनिमल्स में भी इंफेक्शन फैलाने में सक्षम है। अगर आप स्वाइन फ्लू इंफेक्टेड हैं, तो अपने आसपास के लोगों के साथ ही अपने पालतू जानवर को भी खुद से दूर रखिए। जबकि अगर आपके पेट में ये सिम्टम्स हैं तो उसे तुंरत वेटरनिटी सेंटर पर दिखाएं, क्योंकि ये वायरस इंसानों से जानवर और जानवरों से इंसानों में ट्रांसफरेबल है।

हयूमन टू एनीमल व एनीमल से हयूमन में ट्रांसफरेबल

स्वाइन फ्लू वायरस का ओरिजन स्वाइन यानि पिग है। पिग से इंसान तक पहुंचे इस वायरस का इंसानों से दूसरे जानवर भी ट्रांसफर पॉसिवल है। ये खतरा इंसानों के करीब रहने वाले पेट्स में सबसे ज्यादा है। साथ ही स्वाइन फ्लू से इफेक्टेड पेट इंसानों में ये वायरस ट्रांसफर कर सकता है। हालांकि इस वायरस से किसी जानवर के इफेक्टेड होने का एक भी मामला अभी तक सामने नहीं आया है। लेकिन आईवीआरआई के सीनियर पैथोलॉजी साइंटिस्ट इस संभावना से इनकार नहीं करते। उनका कहना है कि ये वायरस इंसान से जानवर में एंटर करने में सक्षम हैं। लेकिन हयूमन टू हयूमन इस वायरस के बॉडी में डेवलप होने की रेट हयूमन टू एनीमल में डेवलपमेंट रेट से ज्यादा है। भले ग्रोथ रेट में अंतर हो, लेकिन जानवरों को इस वायरस से इफेक्टेड होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

स्वाइन फ्लू केवल सिर्फ एचक्एनक् नहीं

आईवीआरआई के सांइटिस्ट डॉ। जी साई कुमार कहते हैं कि इन्फ्लूएंजा स्वाइन फ्लू वायरस को सिर्फ एचक्एनक् समझना गलत है। इन्फ्लूएंजा के एच कंपाउंड में क्7 व एन कंपाउंड में क्क् सब-टाइप्स हैं। ये वायरस हर इंडिविजुअल की बॉडी में अगल तरह का एच व एन कंपाउंड पैदा करता है। इनमें से अमूमन के सिंटम्स सेम हैं। इसलिए ये वायरस ज्यादा खतरनाक और उपचार की कम संभावनाओं वाला है। डॉ। साई के मुताबिक इस समय शहर में स्वाइन फ्लू सस्पेक्टेड कई केसेस की जांच हुई है, लेकिन कुछ केसेस में ही स्वाइन फ्लू पाजिटिव पाया गया। क्योंकि ज्यादातर केसेस में सिर्फ एचक्एनक् वायरस की ही जांच पैथोलॉजी द्वारा की जा रही है। जबकि दूसरे कंपाउंड्स भी उतने ही खतरनाक हैं।

जानवरों की मौत की हो जांच

अभी तक स्वाइन फ्लू से जानवरों के मरने का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है, इस पर सांइटिस्ट का कहना है कि दरअसल, लोगों को इस वायरस के जानवरों में फैलने का अंदाजा ही नहीं है, इसलिए ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया। प्रशासन स्तर पर इस सीजन में मरे जानवरों की संख्या व कारण का पता लगाना चाहिए। इससे इस रोग की जानवरों में पहुंच का पता चल सकेगा। इस रोग से जानवरों को बचाने के लिए उन्हें मास्क पहनाए जाने का सुझाव भी उन्होंने दिया।

कैसे बचाएं अपने पेट्स को

-अगर आप स्वाइन फ्लू इफेक्टेड हैं तो अपने जानवर को खुद से दूर रखें।

-पेट को मास्क पहनाएं, क्योंकि बाहर घूमने के दौरान किसी इंफेक्टेड व्यक्ति या एनिमल के संपर्क में आने से उसे इंफेक्शन हो सकता है।

-पेट की एक्टिविटीज पर ध्यान दें, अगर वह सुस्त हो गया है, जुकाम और बुखार से पीडि़त है, तो इसे हल्के में न लें।

-अगर पेट इस वायरस से इंफेक्टेड है, तो उसे आइसोलेटेड एन्वायरमेंट में रखें।

-आप भी हमेशा मास्क पहनकर ही पेट के पास जाएं।

स्वाइन फ्लू से इंफक्टेड पेट से डरने की बजाय सावधानी से उसकी केयर करें।

-आपको स्वाइन फ्लू है तो बुखार उतरने के ख्0 घंटे बाद ही पेट के संपर्क में आए।

एनिमल्स के लिए वैक्सीन नहीं

स्वाइन फ्लू से पालतू जानवरों को बचाने के लिए ज्यादा अवेयर होना पड़ेगा, क्योंकि अभी तक इस वायरस से जानवरों को बचाने कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है। इंडियन वेटरनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट आईवीआरआई के पैथोलॉजी डिवीजन के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डा। जी साई कुमार का कहना है कि पिछले पांच सालों में जानवरों के बचाव के लिए पूरे व‌र्ल्ड में कोई वैक्सीन न बन पाना निराशाजनक है। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से इस ओर वेटरनिटी इंस्टीटयूशंस को कोई इंस्ट्रक्शंस भी नहीं भेजे गए हैं। लेकिन जानवरों का पैथालॉजी टेस्ट करके वायरस की जांच की जा सकती है। इसके लिए इसका ब्लड सैंपल रिक्वायर्ड है। बता दें कि स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंजा वायरस का सन ख्009 में मैक्सिको में पहला केस सामने आया था। जबकि साल ख्0क्ख् में ये वायरस इंडिया में विकराल रूप में सामने आया। इस वायरस के जानवरों में फैलने पर डब्ल्यूएचओ द्वारा चिंता जताई गई थी। इसके बाद इस संस्था ने व‌र्ल्ड की सभी वेटरनिटी सेंटर्स को इस ओर काम करने के निर्देश दिए थे।

स्वाइन फ्लू इंफ्लूएंजा वायरस से इफेक्टेडेट हयूमन से एनिमल्स में ट्रांसफर हो सकता है। जानवरों को इस वायरस से बचाने के लिए आमजन में अवेयरनेस की सख्त जरूरत है। साथ ही प्रशासन स्तर पर भी जानवरों के बचाव के लिए कदम उठाये जाने चाहिए।

- डॉ। जी साई कुमार, प्रिंसिपल साइंटिस्ट-डिवीजन ऑफ पैथोलॉजी, आईवीआरआई