- 1876 शिक्षामित्रों में से 1854 पा चुके हैं नियुक्ति
BAREILLY: बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय विद्यालयों में बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हो चुके शिक्षामित्रों को अब अपनी नौकरी खतरे में लगने लगी है। काफी संघर्षो के बाद शासन ने इन्हें शिक्षक का दर्जा देने की प्रक्रिया अमल में लाई थी, लेकिन मंडे को सुप्रीम कोर्ट के आये एक आदेश ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं कोर्ट ने बाकी बचे सभी शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने आदेश देने को लेकर जिस कथन को आधार बनाया है उससे कई शिक्षामित्र मान कर चल रहे हैं कि न्यायालय का अंतिम फैसला उनके पक्ष में नहीं आएगा। ऐसे में शिक्षामित्रों को अब बर्खास्तगी का डर सताने लगा है।
1876 की होनी थी नियुक्ति
डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न परिषदीय विद्यालयों में करीब 1876 शिक्षा मित्र पढ़ा रहे थे। ये सभी शिक्षामित्र ग्रेजुएट डिग्री होल्डर थे। वर्ष 2011 में आरटीई लागू हुआ। शासन के आदेशानुसार इन शिक्षामित्रों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा देने की प्रक्रिया स्टार्ट की गई। वर्ष 2012 से शासन ने इनको पत्राचार के माध्यम से बीटीसी कराने का निर्देश दिया। दो वर्षीय कोर्स पूरा करने के बाद बैच के अनुसार रिजल्ट जारी होने के बाद इनकी नियुक्ति प्रक्रिया स्टार्ट कर दी गई। अब तक 1854 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी जा चुकी है। अभी करीब 22 शिक्षामित्र रिक्त पदों पर नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
रिकवरी भी हो सकती है
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद शिक्षा मित्र काफी डरे हुए हैं। एनसीटीई की गाइडलाइंस की बात करें तो परिषदीय विद्यालयों में बिना टीईटी के सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती। अभी हाल ही में जितने भी नियुक्तियां हुई हैं उनमें शिक्षामित्रों को पहले वरियता दी गई बाद में टीईटी पास वालों को। नतीजा यह हुआ कि सैकड़ों टीईटी धारक शिक्षक बनने रह गए, जबकि शिक्षामित्रों को आराम से नियुक्ति मिल गई। यहीं से यह मामला न्यायालय की शरण में चला गया। अब सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति के बाद शिक्षा मित्रों को यह डर सता रहा है कि कहीं नियुक्ति को अवैध करार न कर दिया जाए। ऐसे में वे बर्खास्त हो सकते हैं। जो सैलरी उठा चुके हैं उनसे रिकवरी भी हो सकती है।