6 महीने से था मैनेजर
जितेंद्र माथुर उर्फ बंटू मूलरूप से बिहारीपुर का निवासी था। पिछले करीब एक साल से वह अपनी पत्नी सरिता और बेटी रिया व जिया के साथ दुर्गा नगर में किराए पर रह रहा था। वह करीब 6 माह से केयू बैंक्वेट हॉल में मैनेजर के पोस्ट पर कार्य कर रहा था। बैंक्वेट हॉल के मालिक का नाम इस्लाम साबिर है जो जिले के एक बड़े नेता हैं। इससे पहले जितेंद्र प्रभा पैलेस में काम करता था। जितेंद्र थर्सडे सुबह अपने घर से बैंक्वेट हॉल जाने के लिए निकला था लेकिन घर वापस नहीं आया।
रेलिंग से लटकी मिली लाश
फ्राइडे सुबह करीब 11 बजे बैंक्वेट हॉल के मालिक ने चौकीदार से हॉल का शटर उठवाया। देखा कि जितेंद्र हॉल में बाईं तरफ से दूसरी मंजिल को जाने वाली सीढिय़ों की रेलिंग से लटका हुआ था। उसके गले में पतली रस्सी बंधी हुई थी और गर्दन मुड़ी हुई थी। उसके पास से मोबाइल भी बरामद हुआ है। वारदात की सूचना पाकर मौके पर पुलिस पहुंची और जितेंद्र की डेडबॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बैंक्वेट हॉल की चाबी जितेंद्र के पास ही रहती थी।
बच्चों को दिए थे पैसे
जितेंद्र की मौत के बाद उसकी पत्नी सरिता, दोनों बेटिया, मां चंद्रवती, बहन, भाई महेश और देवेश का रो-रोकर बुरा हाल है। सरिता हार्ट की पेशेंट है। वो पोस्टमार्टम हाउस पर कई बार गश खाकर गिर गई। सरिता ने बताया कि जितेंद्र थर्सडे सुबह घर से नाश्ता कर बैंक्वेट हॉल चले गए थे। वे सुबह काफी खुश थे और दोनों बच्चों को पैसे भी देकर गए थे।
जितेन्द्र पर था काफी कर्ज
जितेंद्र के भाई महेश का आरोप है कि कई साल पहले भूपेश अग्रवाल ने जितेंद्र के साथ मिलकर टवेरा गाड़ी खरीदी थी। गाड़ी को किसी कंपनी में लगाने की बात हुई थी। भूपेश ने गाड़ी के लिए जितेंद्र के बिहारीपुर के मकान को गिरवी रख दिया था। ये पता चलने पर महेश का जितेंद्र के साथ झगड़ा भी हुआ था। उसके बाद से ही जितेंद्र अलग रह रहा था। महेश ने बताया कि कुछ दिन पहले जितेंद्र ने दूल्हा-दुल्हन पर जयमाल के दौरान फूल बरसाने वाली मशीन पौने दो लाख रुपए में खरीदी थी। इसी के चलते जितेंद्र पर काफी कर्ज हो गया था।
थर्सडे से बंद था हॉल
बैंक्वेट हॉल के चौकीदार मेघनाथ ने बताया कि थर्सडे सुबह से बैंक्वेट हॉल बंद था। थर्सडे शाम बैंक्वेट हॉल के मालिक इस्लाम साबिर बैंक्वेट हॉल खुलवाने आए तो उन्होंने मैनेजर के बारे में पूछा था। उसके बाद मैनेजर के बारे में पता ना होने और चाबी न होने की वजह से वह चौकीदारी करने की बात कहकर चले गए थे। उसके बाद फ्राइडे सुबह फिर से मालिक आए तो उन्होंने शटर खोलने के लिए कहा। जितेंद्र की डेडबॉडी रेलिंग से लटकी मिली। थर्सडे शाम इस्लाम साबिर के पहुंचने से पहले ठेकेदार अमित भारती भी बैंक्वेट हॉल पहुचे थे लेकिन हॉल बंद होने से वह वापस चले गए थे। अमित भारती ने बताया कि जितेंद्र ने उन्हें फोन करके पैसे ले जाने के लिए बुलाया था। अमित भारती ने ही जितेंद्र के कहने पर चौकीदार को यहां पर लगवाया था।
फोन पर मिली सूचना
जितेंद्र की बहन ने बताया कि उसकी भाभी सरिता का कॉल थर्सडे दोपहर उसके पास आया था। भाभी ने बताया था कि भइया सुबह घर से बैंक्वेट हॉल गए हैं लेकिन घर वापस नहीं आए। उनका फोन भी नहीं मिल रहा है। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उसने प्रभा पैलेस के मालिक भूपेश अग्रवाल को फोन करके जितेंद्र के बारे में पूछा। उसने फोन पर भूपेश के गायब होने की रिपोर्ट लिखाने की बात बोली। इस पर भूपेश ने कहा कि रिपोर्ट ना लिखाएं। जितेंद्र सुबह तक घर आ जाएगा। उसका आरोप है कि अगर भूपेश को कुछ पता नहीं था तो उसने कैसे कह दिया कि उसका भाई सुबह तक आ जाएगा।
मौत पर खड़े हुए कई सवाल
-अगर जितेंद्र ने आत्महत्या की तो आत्महत्या का कारण क्या है? क्या जितेंद्र ने कर्ज के कारण आत्महत्या की है?
-हत्या हुई है तो हत्यारोपी कौन है और वह बैंक्वेट हॉल के अंदर कैसे पहुंचा?
-थर्सडे शाम को बैंक्वेट हॉल के मालिक ने शटर ना खुलवाकर फ्राइडे सुबह क्यों खुलवाया?
-प्रभा पैलेस के मालिक भूपेश ने कैसे कह दिया कि सुबह तक जितेंद्र वापस आ जाएगा?
-क्या चौकीदार को किसी के अंदर जाने की भनक तक नहीं लगी?