-कथा के माध्यम से सुधांशु जी महराज ने समय के महत्व को बताया
BAREILLY: 'समय ही जीवन है, भगवान ने हमारे खाते में रोजाना ख्ब् घंटे दिए हैं। जो लोग इस दुनिया के बाजार में समय रूपी सिक्के को सही से उपयोग नहीं कर पाते वह अक्सर जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं'। सैटरडे को परमपूज्य सुधांशु जी महाराज ने श्रद्धालुओं पर सत्संग कथावर्षा की। विश्व जागृति मिशन की ओर से त्रिवटीनाथ मंदिर कथास्थल में आयोजित सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन पूज्य गुरुदेव ने लोगों से जीवन के पलों को संयमित होकर उपयोग की सलाह दी। सत्संग के इसी क्रम में प्रवक्ता विजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि संडे को मंत्र दीक्षा 'नामदान' का कार्यक्रम होगा।
जीवन अनुशासन का दूसरा नाम
सत्संग में प्रवचन के क्रम में सैटरडे को सुधांशु जी महाराज ने जीवन में अनुशासन को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अनुशासन के बिना जिंदगी की कोई कीमत नहीं, हम अपने जीवन में समय का केवल ख्0 परसेंट ही उपयोग कर पाते हैं। प्रतिभाएं कब सुविधाओं की मोहताज होती हैं। हाथ की लकीरों पर यकीन करने के बजाय अपने अनुशासित कर्म पर यकीन करना ज्यादा प्रभावशाली होता है। अपने समय को किसी की निंदा, चुगली, बुराई में लगाने के बजाय समय को स्वास्थ्य, साधना, अध्ययन, परोपकार में लगाने की सलाह दी। समय की अजीब बात यही है कि एक ही समय में कहीं जन्म तो कहीं मृत्यु, कोई राजा तो कोई रंक बन रहा है। समय एक ही है पर सबके लिए अलग अलग है। इन्हंीं प्रवचनों के साथ सैटरडे को कथा का समापन हुआ।