फैक्ट एंड फिगर
90 करोड़ रुपये की लागत से होना था निर्माण
850 मीटर लंबा बनाया जाना था आरओबी
90 करोड़ रुपय का स्वीकृत हुआ था बजट
19 करोड़ रुपये की किस्त भी दे दी गई
बरेली(ब्यूरो)। सुभाष नगर में लंबे समय से ओवरब्रिज की बाट जोह रहे लोगों को राहत मिलने क आसार नजर नहीं आ रहे हैं। यूं भी कह सकते हैं कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। स्मार्ट सिटी की ओर से यहां पर ओवर ब्रिज बनाने को लेकर जो कवायद स्टार्ट की गई थी, उसमें रोड़ अटक गया है। कई बार निरीक्षण होने और बजट स्वीकृत होने के बाद अब उच्च्च स्तरीय जांच समिति ने दो टूक कह दिया है कि यहां पर पुल नहीं बन पाएगा। पुलिया को सुधारकर आगे संपवेल बनाकर पानी निकालने की सिफारिश समिति द्वारा की गई है।
काफी समय से कर रहे मांग
सुभाषनगर की ओर से सिटी में आने के लिए रेलवे ट्रैक के नीच स्थित संकरी सी पुलिया ही एकमात्र रास्ता है। पहले इतनी समस्या नहीं हुआ करती थी। लेकिन, जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, लोगों के पास वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई तो समस्या विकराल रूप धारण करती चली गई। वर्तमान में पुलिया का मार्ग संकरा होने के कारण रोज ही यहां भीषण जाम लगता है। लोग काफी समय से यहां ओवरब्रिज की मांग करते चले आ रहे थे। इसको लेकर नेताओं ने कई बार यहां के हालात देखे, आश्वासन दिए पर बात आगे नहीं बढ़ सकी। लगभग डेढ़ वर्ष पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत ओवरब्रिज निर्माण की पहल की गई। अधिकारियों ने इंजीनियर्स के साथ स्थलीय निरीक्षण किया। बजट भी पास हो गया। 10 करोड़ रुपए भी मिल गए। अब जब लोगों को राहत की उम्मीद जाबी थी, ऐन वक्त परच्उच्च जांच समिति की ओर से घोषण कर दी गई कि ओवरब्रिज नहीं बन पाएगा। ऐसे में यहां के लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फिर गया है।
इनसेट
इंजीनियर्स संग डीआरएम ने किया था निरीक्षण
पिछले वर्ष मुरादाबाद रेल मंडल के मंडल रेल प्रबंधक ने ओवरब्रिज का निर्माण शुरू कराने के निर्देश दिए थे। तय प्लान के अनुसार सुभाष नगर पुलिस चौकी से शुरू होकर यह ओवरब्रिज रेलवे मैदान के पास समाप्त होना था। स्मार्ट सिटी योजना के तहत 90 करोड़ रुपये की लागत से 850 मीटर लंबा ओवरब्रिज बनाया जाना प्रस्तावित था। इसके लिए धन आवंटन की व्यवस्था पूरी करने के साथ नक्शा भी बना लिया गया था। अक्टूबर 2021 में मुरादाबाद मंडल के डीआरएम अजय नंदन ने इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों के साथ नक्शे का अवलोकन करने के साथ ही पुलिस चौकी से लेकर रेलवे ग्राउंड तक निरीक्षण किया था। उन्होंने अधिकारियों से रेलवे के हिस्से का काम समय से शुरू कराते हूए निर्धारित समय से पहले इसे पूर्ण कराने के निर्देश दिए थे।
धराशायी हुआ प्लान
समस्या को देखते हुए करीब पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, महापौर डॉ। उमेश गौतम ने स्मार्ट सिटी परियोजना से सुभाषनगर पुलिया पर ओवरब्रिज निर्माण के लिए अधिकारियों को पत्र भेजा था। इसके बाद रेलवे, सेतु निगम, स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों के साथ जाकर संयुक्त सर्वे भी किया था। रेलवे के अधिकारियों ने अपने हिस्से का करीब 52.88 करोड़ रुपये का प्राथमिक एस्टीमेट बनाया। रेलवे अधिकारियों ने इस एस्टीमेट से दो फीसद करीब 81.36 लाख रुपये विस्तृत एस्टीमेट और ड्राइंग बनाने के लिए मांगे। पुल के बचे हुए हिस्से का निर्माण करीब 38 करोड़ रुपये से किया जाना तय हुआ था। करीब सात सौ मीटर लंबा पुल होगा, जिसमें 125 मीटर भाग रेलवे का होना था। लेकिन, प्लान धरातल पर उतरने से पहले ही धराशायी हो गया।
यह लगा अंडंगा
पुल के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना से 10 करोड़ रुपये स्वीकृत भी हो चुके हैं। लेकिन, अब ऐन वक्त पर इसके निर्माण की राह में अड़ंगा लग गया है। आरओबी का कंस्ट्रक्शन करने के लिए रेलवे की भूमि की आवश्यकता है। अत: रेलवे द्वारा एस्टीमेट व डिजाइन के लिए धन की मांग की गई थी। लेकिन, बिना डिजाइन स्मार्ट सिटी से धनराशि दी नहीं जा सकती। बीते दिनों यह तय हुआ था कि आधा धन पीडब्ल्यूडी भी देगा। लेकिन, उन्होंने इसे देने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया। इस पर कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे ने सिटी मजिस्ट्रेट राजीव पांडेय के नेतृत्व में टीम तैयार की। सिटी मजिस्ट्रेट के अनुसार टीम ने जांच के बाद पाया है कि पुल अगर बनता भी है तो उस पर से बड़े वाहन नहीं आ-जा सकेंगे। टीम का कहना है कि अगर अटल सेतु से सुभाषनगर पुलिया की ओर पुल बनाया जाए तो खर्च अधिक बढ़ जाएगा, इसलिए पुलिया में ही सुधार करना ठीक रहेगा। इसके साथ हीच्उच्च स्तरीय समिति ने सुझाव दिया है कि पानी की निकासी के लिए पुलिया के आगे एक संपवेल बनाया जाए, जो पानी को जल्द दूसरी ओर निकाल दे।
बोले लोग। कब तक झेलें समस्या
काफी समय से हम समस्या से जूझ रहे हैं। जब पुल को लेकर काम स्टार्ट होने की बात पता चली तो काफी खुशी हुई थी। लगने लगा था कि अब जाम और जलभराव की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। पुल नहीं बनेगा, जानकर निराशा हुई।
अगर पुल नहीं बनाना था तो इतना सब ड्रामा किसलिए किए गया। आखिर कब तक हम लोग इस परेशानी से जूझते रहेंगे। लगता है इस मुसीबत से कभी छुटकारा नहीं मिलने वाला। पुल नहीं बन सकेगा, इस बात को जानकर बहुत दुख हुआ है।