बरेली(ब्यूरो)। विश्वविद्यालय ने प्राइवेट परीक्षाओं के लिए 44 केंद्र बनाए हैं। परीक्षा के लिए विवि ने प्रवेश पत्र भी जारी कर दिए हैं। इस बार विवि ने स्नातक, परास्नातक प्रथम वर्ष के फार्म भरवाने में केवल जिले का आवेदन कराया था, जबकि केंद्रों का निर्धारण विवि ने इस बार स्वयं ही किया है। प्रवेश पत्र में अन्य परीक्षाओं की तरह इस बार भी काफी त्रुटियां हैं। वहीं दूसरी ओर छात्राओं का सेंटर 40 से अधिक किलोमीटर दूरी पर बना दिया है। इसके विरोध में समाजवादी छात्र सभा के सदस्यों ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर तालाबंदी कर जमकर विरोध किया।


समाजवादी छात्र सभा के जिलाध्यक्ष मुकेश यादव, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शिव प्रताप ङ्क्षसह यादव के नेतृत्व में तालाबंदी कर कुलपति कार्यालय पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। छात्र नेताओं का कहना था कि प्राइवेट परीक्षा फार्म के प्रवेश पत्रों में फोटो हस्ताक्षर विषय आदि की त्रुटियां काफी है। तमाम छात्रों के प्रवेश पत्र भी ब्लैंक आ रहे हैं। इसके अलावा विवि ने छात्र-छात्राओं के परीक्षा केंद्र 30 से लेकर 100 से अधिक किलोमीटर की दूरी पर डाल दिये हैं। विवि के कर्मचारियों की गलतियों के कारण छात्रों को परीक्षा देने के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाना होगा। विश्वविद्यालय के पास छात्रों की समस्याओं का निराकरण तो दूर उनका जवाब भी नहीं है। छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय को उनकी गलतियों को सुधार का दो दिन का मौका दिया गया। इसका निराकरण न होने पर सछास आंदोलन के लिए बाध्य होगी। धरना प्रदर्शन करने वालों में जिलाध्यक्ष समाजवादी युवजन सभा गजेंद्र कुर्मी,, जिला महासचिव सछास पाल विक्रांत ङ्क्षसह, छात्र नेता राशिद मेवाती, मंजीत ङ्क्षसह ,रितेश जौहरी, नरेंद्र ङ्क्षसह यादव, सुमित यादव, प्रदीप गौतम, रवि पंडित आदि रहे।


संशोधन के लिए काफी संख्या में पहुंचे छात्र-छात्राएं

प्रवेश पत्र में त्रुटियों का संशोधन कराने के लिए सोमवार को काफी संख्या में छात्र-छात्राएं पहुंचे। छात्र-छात्राओं का कहना था कि उनके घर के पास में परीक्षा केंद्र होने के बाद भी विश्वविद्यालय ने उन्हें काफी दूरी पर परीक्षा केंद्र दिया है। बता दें कि इस बार बीए प्रथम वर्ष में 13,430, बीकाम प्रथम वर्ष में 816, एमए प्रथम वर्ष 23,632 व एमकाम प्रथम 1803 ने आवेदन किया था।


वर्जन:
छात्रों ने आवेदन करते समय जिस जिले को प्राथमिकता दी थी उसी के मुताबिक ही केंद्रों का निर्धारण किया गया है। किसी के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ है। छच्त्रों की इच्छानुसार ही उसी जिले में केंद्र उन्हें परीक्षा के लिए दिया गया है। इसके बाद भी छात्रों की शिकायतों का निस्तारण विश्वविद्यालय स्तर पर किया जा रहा है।
- डा। अमित ङ्क्षसह, मीडिया प्रभारी एमजेपीआरयू