बरेली (ब्यूरो)। एआई की फैसिलिटी को बढ़ावा देने के लिए एमजेपीआरयू में अटल सेंटर फॉर एआई को बनाया गया है। इसका उद्देश्य लोगों के जीवन में पॉजिटिव सुधार लाना और लोगों को एआई फ्रेंडली बनाकर उनकी मदद करना है। इस सेंटर में एआई रिलेटिड कई रिसर्चेस चल रही हैं, जिनका आम लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में बहुत लाभ मिलेगा।

लोगों का है इंटरेस्ट
आज के टाइम में एआई टूल्स हाइली डिमान्डिंग है। अटल सेंटर से दुनिया भर के कई लोगों को शामिल किया गया हैै। जिसके लिए सरकार भी पूरी तरह मदद कर रही है। अटल सेंटर के कोऑर्डिनेटर डॉ। ब्रजेश कुमार ने बताया कि सेंटर को एक्जीक्यूटिव काउंसिल के थ्रू एस्टेब्लिश किया गया था। इसका गोल एआई बेस्ड रिसर्च को प्रमोट करना है। इसके चलते अटल सेंटर से जुडक़र टोटल सात स्टूडेंट्स रिसर्च कर रहे हैैं। उन्होंने बताया कि एआई के एप्लीकेशन हर फील्ड में हैं फिर चाहे वह मैडिसिन, एग्रीकल्चर, टेकनोलॉजी, एजुकेशन आदि क्यों न हो। लोग इसमें बढ़ चढ़ कर पार्ट ले रहे हैैं।

टीम और कोलेबोरेशन
डॉ। ब्रजेश के अनुसार एआई के एस्टेब्लिशमेंट के लिए कई लोगों से कोलेबोरेशन किया गया हैै, जिससे स्टूडेंट्स को प्रॉपर गाइडेंस दिया जा सके और टेक्नो फ्रैैंडली बनाया जा सके। इसमें डॉ। ब्रजेश के साथ यूनिवर्सिटी के दो को-कोऑर्डिनेटर भी हैं। ये सीएसआईटी डिपार्टमेंट के डॉ। एसएस बेदी और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन के डॉ। योगराज सिंह हैैं। इनके अलावा कई रिसर्च कोलैबोरेटर्स भी हैं। टोकियो यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर के डिपार्टमेंट ऑफ बायोप्रोडक्शन एंड एनवॉयरमेंट इंजीनियरिंग के प्रो। स्वाहिको शिमाडा, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेकनोलॉजी तिरुवनंतपुरम के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ एंड स्पेस इंजीनियरिंग के डॉ। रामा राव निदामनपुरी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी जम्मू के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के डॉ। दिव्येश वरदे शामिल हैैं।

21.5 लाख की मिली ग्रांट
स्टूडेंट्स को हर तरह की फैसिलिटी प्रोवाइड करने और एआई के लिए सर्विस क्रिएट करने के लिए ग्रवर्नमेंट ऑफ यूपी की ओर से 21.5 लाख की ग्रांट प्रोवाइड की गई है। अटल सेंटर में स्टूडेंट्स के लिए कई हाईटेक फैसिलिटी लाई गई हैं, जो आमतौर पर लोगों के लिए अवेल नहीं होती हैं। इसमें हाई एंड कंप्यूटर, जीपीयू बेस्ड सर्वर, इमेज ड्रोन, एग्रीकल्चर ड्रोन, थर्मल कैमरा, मल्टीस्पेक्ट्रल आदि कई चीजें शामिल हैैं।

केंद्र से मिले 21.91 लाख
केंद्र के डीएसटी यानी डिपार्टमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से रिमोट सेंसिंग बेस्ड रिसर्च के लिए 21.91 लाख की ग्रांट दी गई है। इस प्रोजेक्ट का ऑब्जेक्टिव है रिमोट सेंसिंग डिवाइस को बढ़ावा देना और एक सॉफ्टवेयर डेवलप करना। डॉ। ब्रजेश ने बताया कि यह प्रोजेक्ट उन्हें फिक्स्ड टाइम इंटरवल में पूरा करना है।

कई फील्ड पर काम
एआई की डिमांड को देखते हुए स्टूडेंट्स कई फील्ड पर काम कर रहे हैैं। इनमें एग्रीकल्चर, रिमोट सेंसिंग, इमेज क्लासिफिकेशन, लैग्विजि प्रोसेसिंग पर काम किया जा रहा है। तीन साल में कई जर्नल्स पब्लिश किये गये हैंै।

किसानों के लिए हेल्पफुल
एआई की मदद से फसलों की डिसीज का पता लगाने के लिए काफी समय से रिसर्च चल रही है। जिसके लिए एक साफ्टवेयर भी डेव्लप किया जा रहा हैैं। यह एप्लीकेशन 2023 के लास्ट तक लोगों के लिए तैयार कर दी जाएगी। इससे किसानों को फसलों में पैदा होने वाली डिसीज कर आसानी से पता लग जाएगा।

हाइपर स्पेक्ट्रल इमेज
किसी हाइट वाली जगह से इमेज को सही और क्लियरली देखने के लिए हाइपर स्पेक्ट्रल सेंसिंग डिवाइस की जरूरत होती है। इसको इेवलप करने के लिए एमजेपीआरयू और आईआईटी कानपुर ने कोलेबोरेशन कर इसरो को एक रिमोट सेंसिंग डिवाइज डेवलप करके दी। यह हजार्ड और अपातकालीन स्थिति में लोगों की हेल्प कर सकता है। इसके अलावा स्पेस वर्क में मददगार साबित होगा और भी कई काम हैं, जिसमें यह हेल्पफुल होगा।

कोई भी स्टूडेंट कर सकता है ज्वाइन
इसे कोई भी स्टूडेंट्स ज्वाइन कर सकता है। इसमें सिर्फ स्किल की रिक्वायरमेंट होती हैै। आने वाले समय में एआई लोगों के लिए बहुत मददगार होगी। सेंटर देश-विदेश के कई लोगों के साथ कोलेबोरेट कर रहा है, जिससे स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा गाइडेंस मिल पाए।
-डॉ। ब्रजेश कुमार, कोऑर्डिनेटर