स्कूल में नही है लाइट की व्यवस्था, फटी चटाई पर बैठते है बच्चे
विभाग सुनता नही, मकान मालिक डपटने चला आता है
BAREILLY:
सालों से किराए की बिल्डिंग में चल रहे शहरी एरिया के ब्8 प्राइमरी स्कूलों की स्थिति सालों से मरम्मत न कराये जाने के चलते बद से बदतर हो चुकी है। इन बिल्डिंगों की बीमार हालत पर शिक्षा विभाग ने अपनी आंखे मूंद रखी है, जबकि इन भवनों के मालिक जब-तब अपनी बिल्डिंग से स्कूल खाली कराने की मांग करते रहते है। इन स्कूलों की असुरक्षित बिल्डिंग और अनहाईजेनिक वातावरण में पढ़ रहे बच्चों की हेल्थ और फ्यूचर के बारे में सोचने का शायद इस सरकारी तंत्र के पास वक्त ही नही है। आईनेक्स्ट ने इन स्कूलों की पड़ताल की तो स्थिति कुछ यूं दिखी, आइए बताते है
क् :: प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क्
मकान मालिक ने स्कूल में बना दी गोशाला, अब बरामदे का सहारा है, ये कहना है प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क् की इंचार्ज टीचर शिवानी का। किराये की बिल्डिंग में चल रहे इस स्कूल के इकलौते कमरे की कडि़यां टूट चुकी है। जिससे बच्चों की क्लास सालों से कमरे के बाहर बने बरामदे में चल रही है।
मकान मालिक ने गोशाला बना दिया स्कूल
किराये की बिल्डिंग का मालिक स्कूल के इस टूटे कमरे में अपनी गाय बांधने लगा है। स्कूल इंचार्ज का इस पर कहना है कि हमारे बार-बार कहने पर भी मालिक गाय नही हटा रहा। मालिक ने पूरे कमरे और आधे बरामदे में गोबर कंडे इकट्ठे कर और गाय बांधकर कब्जा कर रखा है।
स्कूल में नही है बिजली-पानी की व्यवस्था
बरामदे में चल रहे इस स्कूल में इलेक्ट्रिीसिटी की सुविधा नही है। मकान मालिक ने बिजली कनेक्शन काट रखा है। इसके अलावा 7फ् बच्चों के इस स्कूल में पीने के लिए कोई नल भी नही है। बच्चे को अपने घर से पानी की बोतल लेकर आना पड़ता है। फर्नीचर के नाम पर टीचर के बैठने के लिए एक स्टूल है और बच्चे कुछ फटी हुई चटाईयों पर बैठ पढ़ते है।
किराये की बिल्डिंग में स्कूल होने के कारण बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं, बिल्डिंग के मकान मालिक ने अपनी गाय बांधना शुरू कर दिया है। जिससे बच्चों को बैठाने में बहुत दिक्कत हो रही है। खुले में बैठाकर पढ़ाती हूं। मकान मालिक के खिलाफ नगर खंड विकास अधिकारी से कहकर एफआईआर भी दर्ज करा चुकी हूं। नल न होने से बच्चे इधर-उधर पानी पीने के लिए भटकते है।
- शिवानी, इंचार्ज टीचर, प्राइमरी स्कूल गंगापुर
हम सब खुले में पढ़ते है, बारिश में क्लास नही लग पाती। अब सर्दी आ गई है तो जमीन पर बैठने में ठंड लगती है। नल नही है इसलिए पानी की बोतल साथ लेकर आना पड़ता है।
- पूनम, क्लास- ब्
हम सब अलग-अलग क्लास के बच्चे है लेकिन चटाई एक ही है इसलिए एक साथ ही बैठते है। सबकी किताबे अलग होती है तो एक साथ पढ़ाई करने में समझ में नही आता।
- संदीप, क्लास - फ्
ख् :: प्राइमरी स्कूल नेकपुर -ख्
किराये की बिल्डिंग में संचालित इस प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होने से इसे प्राइमरी स्कूल नेकपुर-क् की बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया है। जो कि यहां मात्र क्0 गुणाक्0 वर्ग फीट के कमरे में चल रहा है। इस छोटे से कमरे के स्कूल में 7क् बच्चे रजिस्टर्ड है।
इतने छोटे से कमरे में कैसे चले सभी क्लासेस
एक से लेकर पांचवी तक की क्लासेस इस छोटे से कमरे में चलना तो दूर, इन 7क् बच्चों का इस कमरे में बैठ पाना ही असंभव है। सीलन से भरे कमरे में जगह जगह प्लास्टर टूट कर गिर रहा है। बच्चे चटाई पर बैठ कर पढते मिले। कमरा इतना छोटा है कि उसमें सीलिंग फैन लग ही नही सकता।
सीलन से भरे कमरे में गिर रहा है प्लास्टर
इस बिल्डिंग में दो प्राइमरी स्कूल संचालित है, बिल्डिंग की हालत बहुत ही जर्जर है। सीलन सी महक से भरे कमरे में प्लास्टर आधे से ज्यादा टूट चुका है। बिल्डिंग में लाइट की व्यवस्था नही है, कमरे तक रौशनी पहुंचने का कोई जरिया नही है।
स्कूल में पड़ा है पड़ोसी घरों का मलवा
स्कूल की बिल्डिंग में घुसते ही बल्ले, ईट, सरिया आदि चीजें फैली मिली, टीचर से पूछा गया तो उन्होने बताया कि पड़ोस में रहने वाले लोगों के घर में कंस्ट्रक्शन चल रहा है। हमारे विरोध करने के बाद भी पड़ोसियों ने मलवा और दूसरी चीजें इधर डाल दी है। जिससे इंटरवेल में खेलते वक्त हमारे एक स्टूडेंट के गंभीर चोट भी लग चुकी है। लेकिन किराये की बिल्डिंग होने के चलते हमारी बात पड़ोसी भी नही सुनते।
इतना छोटा कमरा है, जिस दिन बहुत सारे बच्चे आ जाते है उस दिन बैठने की जगह ही नही बचती। पानी पीने के लिए पड़ोसी घरों के दरवाजें पर जाना पड़ता है।
- लक्ष्मी, क्लास - पांच
हमारा स्कूल जिस बिल्डिंग में था, वो पूरी तरह से टूट चुका है। इसलिए स्कूल प्राइमरी स्कूल नेकपुर-क् की बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया। ये बिल्डिंग भी किराए की है, परेशानियां तो है, लेकिन हमारे वश में तो कुछ है नही। कई वार अधिकारियों तक शिकायत पहुंचा चुके है। छोटे से कमरे में पढ़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है लेकिन क्या कर सकते है।
- बबिता त्यागी प्रधानाध्यापक