स्टूडेंट लीडर और सॉल्वर के इंट्रेंस टेस्ट को रद करने की संस्तुति

लेकिन कड़ी कार्रवाई करने से हाथ पीछे खींचे

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ: आरयू के एमएससी इंट्रेंस टेस्ट में स्टूडेंट्स लीडर्स द्वारा सॉल्वर बिठाने की मोडस ओपरेंडी की पुष्टि हो गई है। आरयू ने भी माना कि इंट्रेंस एग्जाम में फर्जी फॉर्म भरवाकर सॉल्वर को बिठाया गया था। सॉल्वर का कमरा चेंज कर दिए जाने से उनकी मोडस ओपरेंडी पूरी तरह से फेल हो गई थी। इंट्रेंस टेस्ट की कमेटी और प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने अपनी इंटर्नल जांच में इसकी पुष्टि कर ली है। ट्यूजडे को स्टूडेंट लीडर और उसके मिलते-जुलते नाम वाले सॉल्वर को कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए पेश होना था। स्टूडेंट लीडर तो पेश हुआ लेकिन सॉल्वर गायब था। जाहिर है जब उस नाम का कोई दूसरा स्टूडेंट है ही नहीं तो कैसे पेश होता। इंट्रेंस टेस्ट की कमेटी ने वीसी प्रो। मुशाहिद हुसैन को अपनी रिपोर्ट सौंप कर स्टूडेंट लीडर और सॉल्वर के इंट्रेस टेस्ट को कैंसिल करने की संस्तुति की है। आई नेक्स्ट ने 21 मई को पब्लिश की गई न्यूज में स्टूडेंट लीडर और सॉल्वर के बीच के गठजोड़ का खुलासा कर दिया था।

स्ह्लह्वस्त्रद्गठ्ठह्ल द्यद्गड्डस्त्रद्गह्म ने रखा पक्ष

एमएससी का इंट्रेंस टेस्ट 18, 19 और 20 मई को कंडक्ट किया गया था। 19 मई को बीसीबी में सॉल्वर बिठाने की इंफॉर्मेशन मिली थी। इसमें एबीवीपी के दो स्टूडेंट्स लीडर्स सुमित गुर्जर और हर्षित का नाम आ रहा था। स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में हर्षित एबीवीपी की तरफ से वाइस प्रेसीडेंट का कैंडीडेट भी रह चुका है। ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर इंट्रेंस टेस्ट की कमेटी के समक्ष हर्षित और उसके नाम से मिलते जुलते सॉल्वर को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था। इंट्रेंस टेस्ट के चीफ कोऑर्डिनेटर और चीफ प्रॉक्टर प्रो। वीपी सिंह व दूसरे मेंबर्स के सामने पक्ष रखना था। ट्यूजडे को स्टूडेंट लीडर हर्षित कमेटी के सामने पेश हुआ। सोर्सेज की मानें तो हर्षित ने अपने सभी आरोपों को कबूल कर लिया है। उसने बताया कि कैसे सॉल्वर का फॉर्म भरवाकर उसे एग्जाम में बिठाया गया था।

केवल फॉर्म हैं सबूत

प्रो। वीपी सिंह ने बताया कि स्टूडेंट लीडर हर्षित और सॉल्वर हर्षित शर्मा के इंट्रेंस टेस्ट के फॉर्म ही सबूत हैं। उन्होंने बताया कि फॉर्म जमा करने के साथ किसी भी प्रकार का डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराया जाता है। दोनों फॉर्म में डिटेल्स एक जैसी थीं। नाम, एड्रेस, प्रिवियस मा‌र्क्स सभी सेम थे। बस बर्थ डेट अलग थी। एक ही नाम से दो फॉर्म होने की वजह से आरोप सिद्ध करने में और बल मिला। उन्होंने बताया कि दोनों के इंट्रेंस टेस्ट को रद करने की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट वीसी को सौंप दी है। आगे की कार्रवाई वीसी के आदेशानुसार होगी।

क्या है मामला

19 मई को हुए एमएससी के इंट्रेंस एग्जाम में बीसीबी के कमरा नम्बर 41 में सॉल्वर को बिठाने की पूरी प्लानिंग थी। एबीवीपी के सुमित और हर्षित के बीच में सॉल्वर हर्षित शर्मा को बैठना था। तीनों को सीरीज में रोल नम्बर अलॉट किए गए थे, लेकिन एग्जाम शुरू होने के बाद सॉल्वर 5 मिनट लेट हो गया। एग्जाम रूम में इंट्री करने से पहले ही ऑब्जर्वर ने उसे पकड़ कर सारी डिटेल जानी, जिसके बाद उन्हें शक हुआ। उन्होंने उस सॉल्वर को दूसरे कमरे में बिठा दिया। इस तरह से स्टूडेंट्स लीडर्स की मोडस ओपरेंडी फेल हो गई।

बस टेस्ट रद करने की सजा

स्टूडेंट्स लीडर्स द्वारा इंट्रेंस टेस्ट के प्रोसेस की गोपनियता और शुचिता को भंग करने जैसे गंभीर मामले में आरयू द्वारा केवल उनके टेस्ट को रद करने की संस्तुति करना कई सवाल खड़ा करता है। आरयू की कार्रवाई की मंशा पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। स्टूडेंट लीडर हर्षित फर्जी स्टूडेंट का फॉर्म भरवाकर सेटिंग के हिसाब से अपने आगे का रोल नम्बर अलॉट करवाता है। बावजूद इसके उसके ऊपर स्ट्रिक्ट कार्रवाई की संस्तुति नहीं की गई। कायदे से तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ उसे आजीवन इंट्रेंस टेस्ट में बैठने से बैन कर देना चाहिए था। दूसरे प्रोफेशनल एग्जाम में ऐसे मामलों में यही कार्रवाई होती है। वहीं इसमें कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उनके ऊपर भी कार्रवाई की संस्तुति होनी थी। दूसरे स्टूडेंट लीडर सुमित गुर्जर के खिलाफ कोई सबूत ना मिलने पर उसे छोड़ दिया गया। सोर्सेज की मानें तो सॉल्वर दोनों को नकल कराने आया था।