- गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग के स्टूडेंट्स की डिग्रीयों के फर्जी होने का डर
- आरयू ने भी आईएनसी के डॉक्यूमेंट में दर्ज नाम पर नहीं उठाई आपत्ति
- कई साल से नाम सही न कराने वाले इंस्टीट्यूट की नीयत पर भी सवाल
BAREILLY: गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिग में एडमिशन लेकर मेडिकल सेक्टर में बेहतर करियर बनाने का सपना संजो रहे सवा सौ स्टूडेंट्स की डिग्रियों पर फर्जी होने का खतरा मंडरा बढ़ गया है, जो स्टूडेंट्स इस इंस्टीट्यूट से पास आउट हो शानदार नौकरी पाने की चाह पाले थे उनके करियर की राह में इंस्टीट्यूट का नाम बड़ा रोड़ा बन गया है। आरयू से इंस्टीट्यूट को मान्यता तो मिली है, लेकिन इन स्टूडेंटस की डिग्री इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट में फिट नहीं बैठती, जिससे काउंसिल इन स्टूडेंट्स को अपने यहां रजिस्टर्ड नहीं कराएगा। ऐसे में कोर्स पूरा करने के बाद सरकारी तो दूर प्राइवेट सेक्टर में भी इन स्टूडेंट्स को सिर्फ इनकी डिग्री के आधार पर नौकरी मिलना नामुमकिन है।
विभागों के खेल में फंसे स्टूडेंट
गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग का इंडियन नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रूेशन किसी और नाम से है। काउंसिल में इंस्टीट्यूट का रजिस्ट्रेशन गंगाशील कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन से हुआ है। रजिस्ट्रेशन के बाद इंस्टीट्यूट को मान्यता दिलाने के लिए आरयू का दरवाजा खटखटाया है और शासन से अपील की गई। इंस्टीट्यूट को मान्यता भी मिल गई, लेकिन मान्यता देते समय काउंसिल के अप्रूवल लेटर को ध्यान में नहीं रखा गया। आरयू की ओर से काउंसिल में दर्ज नाम से इतर इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स की डिग्री जारी की गई, जिनके आधार पर पास आउट स्टूडेंट्स को कहीं नौकरी नसीब न हुई।
ख्009 से नहीं सही करा पाए गलती
गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग की शुरुआत ख्00फ् से हुई, लेकिन बीएससी नर्सिंग कोर्स का आगाज साल ख्009 से हुआ। साल ख्009 से ख्0क्फ् तक इंस्टीट्यूट के मालिकान काउंसिल में रजिस्ट्रूेशन की गलती में सुधार नहीं करा सके। ऐसे में इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट पर लगाए गए स्टूडेंट्स के आरोप बेबुनियाद नजर नहीं आते। वहीं काउंसिल में रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी की जानकारी और स्टूडेंटस के विरोध के बावजूद मैनेजमेंट का इस मुद्दे को गंभीरता से न लेना उनकी नीयत पर सवाल खड़े करता है।
आरयू भी कटघरे में
स्टूडेंट्स के करियर के साथ हो रहे इस खिलवाड़ में आरयू की भूमिका भी संदेह में है। इंस्टीट्यूट को मान्यता दिलाने की प्रोसेस में आरयू को काउंसिल में इंस्टीट्यूट के रजिस्ट्रेशन और इसके अप्रूवल डॉक्यूमेंट को वरीफाई करना था, लेकिन इंस्टीट्यूट के नाम में ही हुई इतनी बड़ी गड़बड़ी पर मान्यता दिया जाना बहुत बड़ी चूक है। ऐसे में जगह जगह खुल रहे इंस्टीट्यूट को मान्यता दिलाने में किस तरह का खेल होता है और जिम्मेदार कितनी गंभीरता से काम करते है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्ख्7 स्टूडेंटस की डिग्री पर खतरा
इंस्टीट्यूट में ख्009 में बीएससी नर्सिंग में एडमिशन लेने वाला क्क् स्टूडेंट्स बैच ख्0क्फ् में पास आउट हुआ। इनमें से किसी एक को भी कहीं नौकरी नहीं मिली। वहीं बाद में ख् को इंस्टीटयूट ने ही अपने यहां फैकल्टी रख लिया। मौजूदा समय में इंस्टीट्यूट में कुल क्ख्7 स्टूडेंटस पढ़ रहे हैं, जिनमें से फर्स्ट ईयर में ब्ख्, सेकेंड ईयर में फ्ख्, थर्ड ईयर में ख्भ् और फोर्थ ईयर में ख्8 स्टूडेंट्स हैं। स्टूडेंट्स हर साल डेढ़ लाख रुपए फीस खर्च कर रहे हैं। बावजूद इसके काउंसिल में गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग का रजिस्ट्रेशन न होने से इन्हें भी रजिस्टर्ड नहीं कराया जाएगा, जिससे इनकी डिग्री ही फर्जी साबित होगी।
आरयू से हमारे इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स की डिग्री जारी होती है। डिग्री में भी गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग नाम से जारी होता है। काउंसिल में और शासन को इस गड़बड़ी में सुधार के बारे में लेटर भेजा चुका है।
- डॉ। एनके गुप्ता, चेयरमेन, गंगाशील स्कूल ऑफ नर्सिंग