BAREILLY: पिछले काफी वर्षो के सीटीईटी के मुकाबले इस बार के टेस्ट से कैंडिडेट्स की साइकोलॉजी कुछ सुधरी हुई नजर आई। टेस्ट के बाद हर बार स्टूडेंट्स की कंप्लेन रहती थी कि सीबीएसई पेपर्स काफी हार्ड सेट करता है। लेकिन इस बार टेस्ट में अपीयर होने के बाद कैंडिडेट्स के माथे पर वो हार्ड वाली टेंशन देखने को नहीं मिली। चेहरे पर अच्छे मार्क्स की उम्मीद साफ झलक रही थी। आसान पेपर्स से उनके चेहरे खिले थे। हालांकि इस संभावना से भी उन्होंने इनकार नहीं किया जा सकता है कि बेहतर मार्क्स आने से मेरिट लिस्ट हाई जाने वाली है।
समझ में आ गई साइकोलॉजी
कैंडिडेट्स को सबसे बड़ी राहत इस बात से मिली कि उन्हें चाइल्ड साइकोलॉजी समझ में तो आई। उन्होंने बताया कि पिछले कई टेस्ट में चाइल्ड साइकोलॉजी के क्वेश्चंस ज्यादा टफ पूछे गए थे। जिससे बेहतर मार्क्स न आने का डर बैठा हुआ था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। काफी सहज क्वेश्चंस पूछे गए थे। जब समझ में आया तो आंसर देना आसान हो गया। यही नहीं लैंग्वेज के पोर्शस भी सरल थे। इंग्लिश हो या फिर हिंदी, कैंडिडेट्स को इनके क्वेश्चंस को हल करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। सोशल साइंस, मैथ्स, साइंस, सोशल स्टडीज सब्जेक्ट्स से पेपर देने वाले स्टूडेंट्स को अपने सब्जेक्ट्स के सवालों में उलझना नहीं पड़ा।
एनसीईआरटी की बुक्स काम आई
हर बार टेस्ट देने के बाद कैंडिडेट्स का यही जवाब रहता था कि सीटीईटी के क्वेश्चंस किसी भी बुक्स के कंटेंट से मैच नहीं करते थे। लेकिन इस बार कैंडिडेट्स की कंप्लेन दूर हो गई। उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी की बुक्स के कंटेंट से मिलते-जुलते क्वेश्चंस पूछे गए।
भ् परसेंट रहे अब्सेंट
सीटीईटी सिटी के क्भ् सेंटर्स पर कंडक्ट किया गया। इनमें से चार सेंटर्स ऐसे थे, जिनपर दोनों पालियों में टेस्ट कंडक्ट किया गया। टेस्ट के लिए 8,99ब् कैंडिडेट्स रजिस्टर्ड थे। इनमें से करीब भ् परसेंट अब्सेंट रहे।
मेरा यह दूसरा अटेंप्ट है। पिछले पेपर के मुकाबले काफी आसान टेस्ट था। चाइल्ड साइकोलॉजी, हिंदी और मैथ्स काफी ईजी लगी। बेहतर मार्क्स आएंगे।
- श्वेता तिवारी, कैंडिडेट
इस बार का चाइल्ड साइकोलॉजी का पैटर्न काफी आसान था। मेरा दूसरा अटेंप्ट था। इंग्लिश के क्वेश्चंस भी काफी ईजी थे। सब्जेक्ट्स में मैने सोशल साइंस लिया था।
- निष्ठा, कैंडिडेट
इस बार जो क्वेश्चंस पूछे गए थे उनमें ज्यादा कैलकुलेशन करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। सीधे-सपाट क्वेश्चंस पूछे गए थे। इससे पहले काफी घुमावदार क्वेश्चंस पूछे जाते थे।
- रजनीश, कैंडिडेट
पेपर काफी ईजी लगा। हिंदी के क्वेश्चंस को भी सॉल्व करना काफी आसान था। मेरा दूसरा अटेंप्ट था। एनसीईआरटी की बुक्स को पढ़ने का काफी फायदा मिला।
- उदयवीर, कैंडिडेट
चाइल्ड डेवलपमेंट के क्वेश्चंस से काफी डर लगता था। लेकिन इस बार यही पोर्शन काफी आसान लगा। कुल मिलाकर पेपर पहले के मुकाबले काफी ईजी आया।
- राजेंद्र, कैंडिडेट