40 वर्ष बाद कोर्स में बदलाव

पर्शियन डिपार्टमेंट के इस कोर्स में 40 वर्ष बाद आमूलचूल बदलाव किया गया है। फस्र्ट ईयर का कोर्स पूरी तरह से बदल दिया गया है। इसके अलावा सेकेंड और थर्ड ईयर का बदला हुआ कोर्स भी नेक्स्ट ईयर से लागू हो जाएगा। लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने कोर्स में बदलाव किया है। जिसके बुक्स की एडिटिंग शाहजहांपुर के जीएफ कॉलेज के टीचर ने किया है।

मॉडर्न इंडियन और पर्शियन पोयट्री कोर्स में

पुराने कोर्स में स्टूडेंट्स अभी तक क्लासिकल पोयट्री और प्रोज को पढ़ते आए थे। खासकर इरानियन पोयट्री एंड प्रोजेज। लेकिन नए बदले हुए कोर्स में क्लासिकल पोयट्री को पूरी तरह से हटा दिया गया है। 1837 के बाद की मॉडर्न पर्शियन और ईरानियन पोयट्री व प्रोज को कोर्स में इंक्लूड किया गया है। नए कोर्स में लैंग्वेज और हिस्ट्री पर खास जोर दिया गया है। लेटेस्ट ट्रेंड को दर्शाने वाली मॉर्डन पोयट्री को खास त्वज्जो दी गई है। पोयट्री में मेंहदी अखवान, सालिम और अहमद शबलू पोयट्स की पोयट्री इंक्लूड की गई है। वहीं इरज मिर्जा और मेंहदी जादे की पोयट्री को हटा लिया गया है।

पढ़ेंगे अकबरनामा

पर्शियन के स्टूडेंट्स अभी तक अकबर के इतिहास के अंजान थे। उनके संबंध के साहित्य को भी इंक्लूड किया गया है। अकबरनामा और आइना अकबरी को भी कोर्स में इंक्लूड किया गया है। वहीं मिर्जा गालिब की दस्तंबू और 1857 की गदर की डायरी भी पढ़ेंगे। गदर की यह दास्तां पर्शियन में ही लिखी गई है।

नई बुक्स और गाइड भी जारी

सिलेबस चेंज होने के साथ ही इसके रिलेटेड बुक्स और गाइड भी जारी हो गए हैं। मार्केट में नए कोर्स के रिलेटेड बुक्स आसानी से अवेलेबल हैं। साथ ही एग्जाम के प्रिपरेशन के लिए नए कोर्स पर आधारित गाइड्स भी जारी हो गए हैं। जिसके सहारे स्टूडेंट्स नोट्स तैयार कर सकते हैं।

पर्शियन का सिलेबस 40 वर्ष बाद चेंज किया गया है। इसमें मॉर्डन पर्शियन और इंडियन पोयट्री पर ज्यादा जोर दी गई है। लैंग्वेज और हिस्ट्री पर खास ध्यान दिया गया है। खास बता यह है कि नए कोर्स में अकबर और 1857 के गदर की हिस्ट्री भी पढ़ाई जा रही है।

- मोहम्मद सादरे आलम, हेड पर्शियन डिपार्टमेंट, बीसीबी