Poverty का हवाला
मिली जानकारी के अनुसार लास्ट वीक जब इन बीटेक में रजिस्ट्रेशन की प्रॉसेस शुरू हुई तो लाखों की गड़बड़ी का पता चला। फाइनल इयर में पढऩे वाले करीब 30 स्टूडेंट्स ऐसे थे जिन्होंने फस्र्ट इयर के बाद बाकी के 6 सेमेस्टर्स की फीस ही जमा नहीं की थी। फैमिली की फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स का बहाना बनाकर ये फीस देने में टालमटोल करते रहे। फाइनल इयर के रजिस्ट्रेशन के समय जब इसका खुलासा हुआ तो एकेडमिक कोऑर्डिनेटर अतुल कटियार ने इन स्टूडेंट्स के पेरेंट्स से बात की। तब पता चला कि पेरेंट्स तो बराबर फीस दे रहे हैं। बीच में स्टूडेंट्स ही फीस को अपने खर्चों पर उड़ा देते हैं।
40 लाख की वसूली
पेरेंट्स को जब पता चला कि उनके लाडलों ने फीस नहीं जमा की है तो उन्होंने दुबारा उतनी फीस भरी। फिलहाल फीस जमा करने का सिलसिला जारी है। अब तक 15 लाख रुपए आ चुके हैं। अगर सभी पेरेंट्स फीस जमा कर देते हैं तो आईटी को 40 लाख रुपए का फायदा होगा। ये रुपए डिपार्टमेंट के डेवलपमेंट में लगाए जाएंगे।