- मार्कशीट में गलतियों की जिम्मेदारी नहीं ले रहा आरयू

- स्टूडेंट्स को सुधार का चार्ज भी देना पड़ रहा है और चक्कर भी काट रहे हैं

<- मार्कशीट में गलतियों की जिम्मेदारी नहीं ले रहा आरयू

- स्टूडेंट्स को सुधार का चार्ज भी देना पड़ रहा है और चक्कर भी काट रहे हैं

BAREILLY:

BAREILLY: एक तो चोरी उपर से सीनाजोरी। यह तो कोई आरयू से सीखे। इंप्रूवमेंट का रिजल्ट डिक्लेयर होने के बाद मार्कशीट में इतनी गड़बडि़यां निकलीं की आरयू को जवाब देते नहीं बन रहा। इन गड़बडि़यों पर अब आरयू ने चुप्पी साध ली है। मार्कशीट के सुधार के लिए आरयू में स्टूडेंट्स का तांता लगा है। यहां चौकाने वाली बात यह है की आरयू इन गड़बडि़यों की जिम्मेदारी नहीं लग रहा है। गलती आरयू ने की, लेकिन अब भुगतना स्टूडेंट्स को पड़ रहा है। एक तरफ वे अपनी मार्कशीट के सुधार के लिए आरयू का चक्कर काट रहे हैं तो दूसरी तरफ इसके लिए उन्हें चार्ज भी देना पड़ रहा है। जबकि होना यह चाहिए था कि आरयू को ऐसी सभी मार्कशीट को खुद ही कॉलेजेज से मंगवा कर उसे रेक्टिफाई कराकर नई मार्कशीट जारी कर देनी चाहिए थी।

गलतियों की भरमार

आरयू ने इंप्रूवमेंट एग्जाम से पहली बार ऑनलाइन एग्जाम फॉर्म भरने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी। जब रिजल्ट डिक्लेयर हुआ तो उसमें गलतियों भरमार हो गई। जैसे-जैसे स्टूडेंट्स को मार्कशीट मिलने लगी आरयू की पोल खुलने लगी। बीकॉम के अधिकांश मार्कशीट में आरयू ने टोटल मा‌र्क्स से ज्यादा प्राप्त मा‌र्क्स शो कर दिए। यही नहीं अधिकांश स्टूडेंट्स की मार्कशीट में उस सब्जेक्ट के मा‌र्क्स ही नहीं दिए जिस सब्जेक्ट का उन्होंने एग्जाम दिया। एग्जाम किसी और का और मा‌र्क्स शो कर रहा है किसी और सब्जेक्ट का। इसके अलावा ऐसे स्टूडेंट्स की भरमार है जो एग्जाम में अपीयर हुए लेकिन उनकी मार्कशीट में अब्सेंट शो कर रहा है।

भुगत केवल स्टूडेंट्स रहे

आरयू की इस तमाम गड़बडि़यों पर भुगतना केवल स्टूडेंट्स को पड़ रहा है.आरयू के अधिकारी इसकी जिम्मेदारी नहीं ले रहे। न तो इस गड़बड़ी के लिए किसी को दोषी ठहरा रहा हे हैं। जबकि वे इसमें भी अपनी झोली भरने में लग गए। स्टूडेंट्स अपनी मार्कशीट के सुधार के लिए कॉलेज से लेकर आरयू का चक्कर काट रहे हैं। पहले वे कॉलेज से सबूत जुटाते हैं कि उन्होंने किस सब्जेक्ट का एग्जाम दिया और फिर बाद में आरयू के सिंगल विंडो सिस्टम पर सुधार के लिए जूझ रहे हैं। सिंगल विंडो सिस्टम पर पहले क्00 रुपए का फॉर्म खरीदते हैं फिर मार्कशीट के सुधार के लिए सारे डाक्यूमेंट्स जमा कर सुधार का शुल्क भी जमा कर रहे हैं।

सिंगल विंडो सिस्टम से भी नहीं िमल रही मदद

उन स्टूडेंट्स के लिए तो सिंगल विंडो सिस्टम भी मदद नहीं कर पा रहा जिन्होंने एग्जाम दिया। लेकिन मार्कशीट पर अब्सेंट शो कर रहा है। ऐसे स्टूडेंट्स आरयू के कई विभागों का चक्कर काट कर अपने प्रेजेंस को प्रूव करने में जुटे हुए हैं। उन्हें खुद ही एक-एक विभाग में जाकर कर्मचारियों को पकड़ना पड़ रहा है। स्टूडेंट्स का आरोप है कि कर्मचारी अपनी कमाई के चक्कर में उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। वहीं आरयू के रजिस्ट्रार एके सिंह का कहना है कि सिंगल विंडो सिस्टम पर इस तरह के सभी काम हो सकते हैं। खुद ही विभागों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होती।