बरेली(ब्यूरो)।क्षेत्र में डेंगू एवं अन्य बुाार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। कारण यह कि यहां पर सफाई व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। चारों तरफ गंदगी के अंबार हैं। यह गंदगी बीमारियों को न्योता दे रही है। जिमेदारों की विफलता से क्षेत्र में डेंगू, वायरल व मलेरिया सहित कई अन्य मच्छरजनित रोगों का खतरा बढ़ गया है। दूसरी ओर प्रधान से लेकर बीडीओ तक सफाईकर्मियों के आगे घुटने टेके नजर आ रहे हैं। इसको लेकर क्षेत्रवासियों में आक्रोश का माहौल है। उन्होंने उच्च अधिकारियों से गंदगी दूर कर सफाई व्यवस्था सुचारू करवाने की मांग की है।
कीचड़-जलाराव से परेशानी
वर्तमान में ामोरा गांव की बात करें तो यहां पर गलियों में कीचड़ व सडक़ों पर जलभराव की समस्या बनी हुई है। परिणाम यह कि यहां लोग डेंगू व मलेरिया जैसे घातक रोगों से ग्रस्त हैं। सफाई के नाम पर सफाईकर्मी सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। यह ही कारण है कि लगभग हर घर में एक- दो मरीज बुखार से पीडि़त हैं। बाबजूद इसके सरकारी आंकड़ों में डेंगू के नाम पर खानापूर्ति के लिए दो केस ही दर्ज किए गए हैं। भमोरा गांव में ही करीब पांच सौ लोग बुखार से पीडि़त होकर अलग-अलग जगह उपचार करवा रहे हैं।
शासन की मंशा को पलीता
केंद्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। प्रधानमंत्री स्वयं स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का नारा दे कर लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर निचले स्तर पर जिमेदार अधिकारी सरकार की इस मंशा को पलीता लगाने में लगे हैं। सफाईकर्मी एडीओ पंचायत की सेवा कर अपनी डयूटी लॉक में ही पूरी कर लेते हैं। वे गांव जाकर सफाई करने की जहमत ाी नहीं उठाते।
व्यवस्थाएं सुधारे कौन
इसे सिस्टम का फेलियोर कहें या अधिकारियों की उदासीनता, गांव-गांव गंदगी फैली है। सरकार ने तो गांवों में सफाईकर्मी नियुक्त कर रखे हैं। लेकिन, वे अपनी डयूटी को निााते नहीं हैं। हद यह कि इसके बावजूद अधिकारियों के स्तर से उन पर कार्रवाई ाी नहीं की जाती। आलमपुर जाफराबाद में कई ऐसे सफाईकर्मी हैं, जिन्होंने अपनी जगह छह से आठ हजार रुपए में उस गांव के ही प्राइवेट व्यक्ति को रख रखा है, लेकिन वे ाी काी-काी मात्र औपचारिकता ही निाा कर चले जाते हैं। वहीं सब कुछ मालूम होने के बाद ाी उन पर अधिकारियों की कृपादृष्टि बनी रहती है। इस सब के बीच क्षेत्रवासियों को गंदगी का दंश झेलना पड़ता है।