बरेली(ब्यूरो) । किसी का आशियाना 20 लाख का, किसी का 15 तो किसी का 10 लाख का, किसी की झोपड़ी ही उसके लिए लाखों की। जीवन भर की कमाई को जोडक़र किसी तरह से बनाए गए यह आशियाने एक-एक कर उजड़ते गए और वे सिर्फ धूल का गुबार ही देखते रह गए। करना तो बहुत कुछ चाहते थे, पर सरकारी दल-बल के सामने बेबस होकर कभी किस्मत को, कभी सरकारी सिस्टम को कोसते रहे। आसमान से बरस रही आफत के बीच घर से बेघर होकर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हुए यह लोग रामगंगा आवासीय योजना के लिए अधिग्रहित भूमि में वर्षों से रह रहे बिचपुरी के लोग हैं। इस भूमि में काबिज लोगों को हटाने लिए बीडीए की ओर से चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान में ट्यूजडे को दर्जनों पक्के मकान बुलडोजर से जमीदोज कर दिए गए। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में चलाए गए इस अभियान में बीडीए की टीम को लोगों का भारी आक्रोश भी झेलना पड़ा।
सेक्टर वन हुआ कब्जामुक्त
बीडीए की रामगंगा नगर आवासीय योजना के लिए अर्जित भूमि पर से अतिक्रमण हटाए के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है। इस क्रम में ट्यूजडे को सेक्टर एक में ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव व साबरमती एन्क्लेव में बीडीए ने अर्जित भूमि पर किए गए अनाधिकृत कब्जों को पूरी तरह ध्वस्त किया। इस दौरान बेघर हुई महिलाएं रोती-बिलखती रहीं तो पुरुष भी टीम के सामने गिड़गिड़ाते नजर आए।
आत्मदाह का भी हुआ प्रयास
उजड़ते आशियानों को बचाने के लिए आक्रोश तो सभी पीडि़तो ने दिखाया पर एक ने तो अचानक अपने ऊपर कैरोसिन ऑयल डालकर आत्मदाह का प्रयास तक कर डाला। मौके पर अलर्ट एक पुलिस अधिकारी ने उसे तत्काल अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस दौरान पुलिस अधिकारी की वर्दी भी कैरोसिन ऑयल से भीग गई। गनीमत रही कि इस दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई। इस घटना के बाद मौके पर पुलिस और भी अलर्ट हो गई।
100 करोड़ की भूमि कब्जामुक्त
रामगंगा नगर आवासीय योजना की भूमि को कब्जामुक्त कराने के लिए चलाए गए ध्वस्तीकरण अभियान में अब तक बीडीए ने कई घरों को ध्वस्त कर दिया है। ट्यूजडे को इस अभियान में बीडीए ने 100 करोड़ की भूमि को कब्जामुक्त कराने का दावा किया। इससे पहले भी बीडीए यहां पर कई कब्जेदारों के मकान बुलडोजर से ध्वस्त कर चुका है।
दिया गया था मौका
बीडीए के अधिशासी अभियंता आशू मित्तल ने बताया कि बीडीए की भूमि पर काबिज अवैध कब्जेदारों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पूर्व में इन अवैध कब्जेदारों को रियायती दरों पर प्राधिकरण के प्लॉट प्राप्त करने का अवसर दिया गया था। इन अवैध कब्जेदारों को बिना डाउन पेमेंट के 10 वर्षो में भुगतान करने की सुविधा भी प्रदान की गई थी। जो लोग प्लॉट लेने के इच्छुक नहीं थे, उनसे भी बार-बार अनुरोध किया गया था कि वह अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर लें, ताकि अवैध कब्जों को हटवाकर आवंटियों को भूखंड दिया जा सके। इनकी वजह से पूरा भुगतान करने के बाद भी बड़े पैमाने पर आवंटियों को भूखंड देने में समस्या सामने आ रही थी।