हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। सरकार की ओर से परिवार नियोजन को लेकर स्वास्थ्य केंद्रों पर नसबंदी कराई जा रही है। लेकिन, नसबंदी फेल होने के कारण लोगों की परेशानी बढ़ रही है। ऐसा ही एक मामला शहर के जिला अस्पताल सामने आया है। यहां चार साल पहले 2018 में नसबंदी कराने के बाद एक महिला प्रेगनेंट हो गई। डिलीवरी के दो माह बाद अब उसका पति जिला अस्पताल में मुआवजा पाने के लिए चक्कर लगा रहा है। महिला का यह छठा बच्चा है। मजदूरी करने वाले युवक के सामने परिवार को पालने संकट खड़ा हो गया है।
यह है मामला
नवाबान निवासी महिला के पति ने बताया कि सितंबर 2018 में नसबंदी कराई थी। लेकिन उसके तीन साल बाद उसकी पत्नी गर्भवती हो गई। उसने 2022 मेंंं बच्चे को जन्म दिया। महिला ने जिला अस्पताल में नसबंदी कराई थी। उसके पहले से ही पांच बच्चे थे। सबसे बड़ा बच्चा 13 साल का है। नसबंदी फेल होने के कारण महिला चार साल बाद बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के दो माह बाद महिला का पति पिछले 10 दिनों से जिला अस्पताल में चक्कर लगा रहा है। थर्सडे को वह जिला महिला अस्पताल की सीएमएस के पास पहुंचा, जहां डॉ। अल्का शर्मा ने बताया कि नसबंदी के फेल होने के चांसेस रहते है। वहीं महिला के पति को उन्होंने संबंधित अधिकारी के पास भेजकर डॉक्यूमेंट सबमिट कराएं।
मुआवजा का यह है प्रावधान
बता दें कि महिला की नसबंदी के बाद गर्भवती होने पर 90 दिनों के भीतर स्वास्थ्य विभाग को सूचना दिए जाने पर 60 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक मुआवजे के लिए 19 लोगों के नसबंदी फेल होने के आवेदन लखनऊ भेजे जा चुके हैैं।
पालने में होगी परेशानी
महिला का पति ठेला लगाकर परिवार का पालन-पोषण करता हैै। उसने बताया कि परिवार के सदस्यों की संख्या न बढ़े, इस कारण चार साल पहले नसबंदी कराई थी। लेकिन दो महीने पहले बच्चा हो गया। अब बच्चों की संख्या छह हो गई है। बढ़ती महंगाई में परिवार को पालना चुनौती साबित होगा।