डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से ऑनलाइन जाएगी दवाओं की डिमांड
दवाओं की ऑनलाइन कवायद से आएगी खरीद फरोख्त में पारदर्शिता
सप्लाई में देरी करने पर ब्लैक लिस्ट होगी कंपनीज, शासन की नजर
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BAREILLY: प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों के लिए दवा मुहैया कराने की शासन की योजना भी हाइटेक रंग में रंगने जा रही है। 1 अक्टूबर से सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद ऑनलाइन मोड में शुरू हो जाएगी। इसके लिए शासन स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बरेली डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भी आगामी अक्टूबर से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की साइट www.dghealth.up.nic.in पर डिमांड भेजी जाएगी। इस कवायद में हर हॉस्पिटल को एक यूजरआईडी और पासवर्ड दिया जाएगा। जिसके जरिए हॉस्पिटल अपनी डिमांड भेजेंगे।
तो ब्लैक लिस्ट होंगी कंपनीज
नई कवायद में दवाओं की खरीद फरोख्त की पूरी प्रक्रिया पर शासन की कड़ी नजर रहेगी। नई व्यवस्था में हॉस्पिटल्स की ओर से वेबसाइट पर डिमांड दे दी जाएगी। सरकार की ओर से दवाओं की सप्लाई के लिए टेंडर खोले जाएंगे। कम दरों पर दवा देने वाली कंपनियों को इनलिस्टेड किया जाएगा। हॉस्पिटल से डिमांड आने पर संबंधित दवा कंपनियों को तय समय में दवाओं की सप्लाई करनी होगी। समय पर दवाओं की सप्लाई न कर पाने वाली इनलिस्टेड कंपनीज का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। ऐसी कंपनीज को शासन की ओर से ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।
नहीं भेजनी होगी अलग डिमांड
पुरानी व्यवस्था में हॉस्पिटल्स को ईमेल या लेटर के जरिए दवाओं की डिमांड विभाग को भेजनी पड़ती थी। इसमें विभाग की ओर से अलग-अलग दवाओं की सप्लाई के लिए संबंधित कंपनीज से अलग अलग डिमांड रखी जाती थी। ऑनलाइन व्यवस्था में एक ही डिमांड लेटर पर सभी कंपनीज को दवाओं की मांग मिल जाएगी। जिन्हें उन्हें अपने कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक, हॉस्पिटल्स को दवाओं की सप्लाई भेजनी होगी। ऑनलाइन व्यवस्था से पेपर वर्क की बचत तो होगी ही साथ ही दवाओं की डिमांड भेजने से लेकर सप्लाई होने तक समय की बर्बादी को भी रोका जाएगा।
अलग से नहीं हो सकेगी खरीद
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिन कंपनीज के रेट कॉन्ट्रेक्ट, आरसी जारी कर दिए जाएंगे उन्ही की दवा की सप्लाई की जाएगी। पुरानी व्यवस्था में इनलिस्टेड कंपनीज से आरसी से इतर भी दवाओं की डिमांड और सप्लाई की जाती थी। जिसकी खपत खास लोगों के लिए की जाती है। इसी में कई बार बड़े पैमाने पर खेल भी होता है। वहीं कंपनीज भी टेंडर लेने के लिए तो दवाओं के रेट कम तय करती हैं, लेकिन टेंडर मिलने के बाद डिमांग के समय दवाओं की सप्लाई में ढिलाई करती है। ऐसे में मिली भगत के चलते कंपनीज आरसी में दर्ज दवाओं से इतर उसी सॉल्ट की महंगी दवाओं की सप्लाई कर सरकार को चूना लगाती हैं।
पारदशीर् होगी ऑनलाइन कवायद
दवाओं की खरीद फरोख्त की ऑनलाइन व्यवस्था किए जाने से यह पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी होगी। वेबसाइट के जरिए दवाओं की खरीद और सप्लाई में कम समय लगने से मरीजों को दवाओं के लिए किल्लत का सामना भी नहीं करना होगा। विभाग की वेबसाइट में फिलहाल क्78 बेहद जरूरी दवाओं की सूची दर्ज है, जिसे ब्00 तक किया जाना है। वहीं स्टेट रेट कॉन्ट्रेक्ट लिस्ट में ख्7फ् दवाओं को जगह दी गई है। जबकि भ्ब् रजिस्टर्ड कंपनीज है जिन पर दवाओं की सप्लाई की जिम्मेदारी है। ऑनलाइन व्यवस्था की प्रक्रिया समझने दो दिन पहले डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बरेली के चीफ फार्मासिस्ट आरके प्रसाद लखनऊ ट्रेनिंग लेने गए थे। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के लिए नोडल इंचार्ज की जिम्मेदारी एसीएमओ को दी गई है।
कोट
एक अक्टूबर से हॉस्पिटल की दवाओं की खरीद ऑनलाइन व्यवस्था के जरिए की जाएगी। शासन की ओर से इस बारे में नई व्यवस्था शुरू की गई है। ऑनलाइन खरीद से दवाओं की सप्लाई कम समय में हो सकेगी। वहीं कंपनीज की ओर से इसमें होने वाली गड़बडि़यों पर लगाम कसी जाएगी। - डॉ। आरसी डिमरी, सीएएमस