सबसे कम अंतर से जीती पूजा पटेल
एसआरएस के इलेक्शन में पुस्तकालय मंत्री के लिए हुआ मुकाबला नजदीकी रहा। इस पद पर विजयी हुई पूजा पटेल को 335 वोट मिले, उन्होंने अपनी एकमात्र प्रतिद्वंद्वी विजेता राना को 39 वोट से मात दी। महामंत्री पद पर जीत हासिल करने वाली स्वाति अग्रवाल को 274 वोट मिले, उन्होंने पूजा देवी को 143 वोट से परास्त किया। पूजा को 131 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का अंतर 160 वोट का रहा। इसमें विजयी रही रजनी सिंह को 340 और समन को 180 वोट मिले। सबसे बड़े अंतर से जीत अध्यक्ष पूजा शर्मा को मिली। पूजा को 633 में से 476 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी कहकशां को 155 वोट ही मिल पाए। काउंटिंग के दौरान अध्यक्ष पद के लिए पड़े 2, उपाध्यक्ष पद के 4, महामंत्री पद के लिए 1 और पुस्तकालय मंत्री के लिए 2 वोट निरस्त किए गए।
किसे कितने वोट
अध्यक्ष : पूजा-476, कहकशां सिद्दीक-155
उपाध्यक्ष : रजनी सिंह-340, समन हुसैन- 180, कहकशां-109
महामंत्री: स्वाति अग्रवाल-274, पूजा देवी-131, मधु गंगवार-120, शिल्पा शर्मा-107
पुस्तकालय मंत्री : पूजा - 335,विजेता-296
साहू रामस्वरूप महिला महाविद्यालय में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हो गया है। इलेक्शन में पूजा शर्मा को अध्यक्ष, स्वाति अग्रवाल को महामंत्री, रजनी सिंह को उपाध्यक्ष और पूजा पटेल को पुस्तकालय मंत्री चुना गया है।
- डॉ। आशा पाटनी, चुनाव अधिकारी
पर voting के एग्जाम में girls हुईं fail
आम तौर पर क्लास में 75 परसेंट अटेंडेंस पूरी करनी वाली गल्र्स वोटिंग के दौरान फेल साबित हुईं। एसआरएस में केवल 31.04 परसेंट ही वोटिंग हुई। यहां टोटल 2039 वोटर्स थे, जिनमें से केवल 633 ने ही वोट कास्ट किया। नौ साल बाद हुए इलेक्शन में भी गल्र्स का वोटिंग के प्रति कोई खास रुझान नहीं दिखा। वहीं, कैंडीडेट्स ने इसकी वजह वेडिंग सीजन और वेकेशंस बताई। उनका कहना था कि पोलिंग के दो दिन पहले से कॉलेज बंद था, और दो दिन बाद भी बंद रहेगा। ऐसे में जो लोग शहर से बाहर थे, वह वोटिंग के लिए नहीं आ सके। पोलिंग के दौरान एसपी सिटी और सिटी मजिस्ट्रेट ने कॉलेज का जायजा लिया। सिटी मजिस्ट्रेट काउंटिंग के दौरान भी मौजूद रहे। सुरक्षा की दृष्टि से कॉलेज गेट पर भी गल्र्स की चेकिंग की गई।
सबसे लेजी रहे सीनियर्स
वोटिंग के दौरान कॉलेज के सीनियर्स सबसे ज्यादा लेजी रहे। वोटिंग के आंकड़ों पर ध्यान दें तो यह बात बिल्कुल क्लियर हो जाती है। ग्रेजुएशन फस्र्ट ईयर के लिए बने बूथ पर 526 वोटर्स को वोट कास्ट करना था। यहां 245 वोट पड़े। इसका वोटिंग परसेंटेज 46.57 रहा। वहीं बीए सेकेंड ईयर का वोटिंग परसेंटेज 33.69 परसेंट रहा। सेकेंड ईयर के टोटल 555 वोट्स में से केवल 187 वोट्स ही पड़े। बीए फाइनल ईयर के लिए यह परसेंटेज 28.54 परसेंट रहा। इसमें 459 में से 131 वोट कास्ट हुए। इनमें सबसे खराब परसेंटेज एमए के स्टूडेंट्स ने स्कोर किया। इनका परसेंटेज 13.80 परसेंट रहा। एमए के कुल 507 स्टूडेंट्स में से केवल 70 स्टूडेंट्स ने वोट कास्ट किए।
तो वापस लौट गए voters
वोटिंग के समय कॉलेज ऐसे स्टूडेंट्स भी पहुंचे जिनके नाम वोटिंग लिस्ट में ही नहीं थे। हालांकि, इन स्टूडेंट्स के पास फीस की रिसिप्ट मौजूद थी। चुनाव अधिकारी डॉ। आशा पाटनी ने बताया कि अगर इन स्टूडेंट्स का नाम लिस्ट में नहीं है तो इन्हें इसके लिए आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी। अब इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। ऐसे में स्टूडेंट्स को बिना वोट कास्ट किए ही वापस लौटना पड़ा।
एक घंटे पहले ही पूरी हो गई polling
सुबह नौ बजे से चार बूथ पर शुरू हुई पोलिंग दोपहर दो बजे तक चलनी थी। यहां ग्रेजुएशन फाइनल ईयर और एमए के लिए बने बूथ पर तो सुबह से ही एक-दो गल्र्स ही आती रहीं। पर ग्रेजुएशन फस्र्ट ईयर और सेकेंड ईयर के लिए बनाए गए बूथ पर भी तकरीबन दोपहर 1 बजे पोलिंग कंप्लीट हो चुकी थी। एक घंटे का समय बूथ पर टीचर्स ने बमुश्किल पूरा किया।
ब्रेकफास्ट के लिए बंद हुई वोटिंग
ड्राइंग एंड पेंटिंग डिपार्टमेंट में बने एमए व डिप्लोमा कोर्सेस के बूथ पर सुबह तकरीबन 10 बजे बूथ पर तैनात टीचर्स क ो ब्रेकफास्ट करने के लिए पोलिंग आधे घंटे के लिए रोक दी गई। इस दौरान बूथ के बाहर गल्र्स की लाइन लगती गई। गल्र्स ने गपशप क रके अपना टाइमपास किया।
जब तक काउंटिंग चलती रही कैं डीडेट्स जीत के लिए प्रार्थना करते रहे। कि सी के लबों पर दुआ की सदाएं थीं तो कोई हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना कर रहा था। उनके चेहरे पर टेंशन साफ झलक रही थी। हालांकि यहां हर कोई एक-दूसरे क ो दिलासा देने में लगा था। आखिर, जीत तो किसी एक की ही होनी थी।
बाहर इंतजार करते रहे समर्थक
काउंटिंग के दौरान कैं डीडेट्स के समर्थक ों को कॉलेज के मेन गेट के बाहर रहने को कहा गया। इस दौरान इन समर्थकों ने रिजल्ट आने का इंतजार किया और रिजल्ट का पता लगते ही वह फूल-माला और मिठाई लेकर कॉलेज में पहुंच गए। उन्होंने विजेताओं का मुंह मीठा कराया और फूल-मालाओं से लाद दिया। कुछ विजेताओं के पेरेंट्स भी मौजूद रहे।
मौके पर बने आईडी काड्र्स
पोलिंग के दौरान कई ऐसे स्टूडेंट्स कॉलेज पहुंचे जिनके पास आई कार्ड तो था, पर उस पर कॉलेज की स्टैंप नहीं लगी थी। एक्चुअली, यह आई कार्ड तो फीस जमा क रने के साथ ही कॉलेज से दे दिया जाता है, पर स्टूडेंट्स को इसे फिलअप करके स्टैंप लगवानी होती है। पर कुछ गल्र्स के आई कार्ड पर आधा सेशन बीतने के बाद भी स्टैंप नहीं लगी थी। उनके आई काड्र्स पर पोलिंग के दौरान ही स्टैंप लगाई गई, तब वह वोट कास्ट कर पाईं। वोटर्स के आई काड्र्स पर स्टैंप लगवाने के लिए कैंडीडेट्स भी जुटे रहे।
सुबह से ही लगने लगी भीड़
एसआरएस की ओल्ड बिल्डिंग में बने ग्रेजुएशन फस्र्ट ईयर और सेकेंड ईयर बूथ पर सुबह से ही लाइनें लगी रहीं। वास्तव में पहली बार कॉलेज में कदम रखने वाली फस्र्ट ईयर की गल्र्स में इलेक्शन के प्रति क्रेज देखते ही बना। यहां गल्र्स की डबल लाइनें लगवाई गईं। वहीं सेकेंड ईयर के बूथ पर लाइन तो सिंगल ही रही पर क्रेज क म नहीं था। कैंडीडेट्स भी इन्हें क न्विंस करते नजर आए।
Admission form के लिए नहीं लगानी होगी लाइन
गल्र्स को कॉलेज में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम एडमिशन फॉम्र्स जमा करने के समय होती है। लंबी लाइनें लगानी पड़ती हैं। काफी देर तक खड़े रहना पड़ता है। इसके लिए फॉर्म जमा करने का शेड्यूल निर्धारित करवाऊंगी ताकि एक ही दिन सभी गल्र्स को फॉर्म जमा करने के लिए न आना पड़े। गल्र्स के बैठने के लिए फर्नीचर और जीसीआर की व्यवस्था भी मेरी प्रियॉरिटीज में शामिल रहेगी। इसके अलावा, गल्र्स की जो भी प्रॉब्लम्स आएंगी मैं उन्हें दूर करने की कोशिश करूंगी।
- स्वाति अग्रवाल, महामंत्री
Sports faculties पर रहेगा special focus
मैं जीत के बाद कॉलेज में सबसे पहले स्पोट्र्स फै कल्टी का अरेंजमेंट करवाऊंगी, ताकि एसआरएस की गल्र्स स्पोट्र्स की फील्ड में भी आगे आ सकें। तमाम ऐसी गल्र्स हैं, जिन्हें स्पोट्र्स में इंट्रेस्ट है और वे इस फील्ड में नाम रोशन कर सकती हैं। एकेडमिक्स के क्षेत्र में गल्र्स हर दिन जिन प्रॉब्लम्स से रूबरू होती हैं, मैं उन्हें भी दूर करने की कोशिश करूंगी। वहीं मेरे पास जो भी स्टूडेंट्स अपनी प्रॉब्लम्स लेकर आएंगी, मैं उसका समाधान कराने का हर संभव प्रयास करूंगी।
- पूजा शर्मा, अध्यक्ष
Furniture on first priority
कॉलेज में गल्र्स के बैठने के लिए फर्नीचर की कमी को सबसे पहले दूर करवाऊंगी। कॉलेज में एटलीस्ट बैठने की व्यवस्था तो चकाचक होनी चाहिए। फिर गेम्स कोच के लिए प्रयास करूंगी ताकि स्पोट्र्स कॉम्पिटीशन के लिए गल्र्स कॉलेज में गेम्स की प्रैक्टिस कर सकें। फ्री पीरियड्स में गल्र्स के बैठने के लिए जीसीआर ओपन करवाऊंगी। एनसीसी की ड्रिल ठीक तरह से हो सके। इसके लिए ग्राउंड में बिखरे मलवे क ो हटवाऊंगी। इससे गल्र्स को स्पोटï्र्स में भी फायदा होगा।
- रजनी सिंह, उपाध्यक्ष
Systematic होगी कॉलेज की library
जीतने के बाद मैं सबसे पहले लाइब्रेरी को सिस्टमेटिक करवाऊंगी। लाइब्रेरी में नए-नए ऑथर्स की बुक्स मंगवाने की कोशिश करूंगी, वहीं कॉम्पिटीशंस की प्रिप्रेशन के लिए भी लाइब्रेरी को रिच करने का प्रयास रहेगा। लाइब्रेरी में लिटरेचर की बुक्स होना बहुत जरूरी है। कॉलेज की लाइब्रेरी में जो बुक्स मौजूद हैं, वह ढूंढने पर भी बहुत मुश्किल से मिलती हैं, उन्हें ठीक से एक रो में लगवाऊंगी। कॉलेज आने का मेन परपज तो पढ़ाई ही है।
- पूजा पटेल, पुस्तकालय मंत्री
काउंटिंग पर उठे सवाल
आम तौर पर काउंटिंग रूम टेबल्स के आस-पास कैंडीडेट्स और उनके काउंटिंग एजेंट्स की भीड़ नजर आती है पर एसआरएस में हुई काउंटिंग में कैंडीडेट्स तो काउंटिंग रूम में एंट्री ही नहीं कर पाए। वहीं काउंटिंग एजेंट्स को काउंटिंग टेबल से तकरीबन चार मीटर की दूरी पर बैठाया गया। जहां से वह बैलेट पेपर्स को नहीं देख सकते थे। कब, कौन सा वोट कैंसिल हुआ, कौन सा वोट किस कैंडीडेट के हक में गया कोई नहीं जानता। कैंडीडेट्स ने दबी आवाज में इसका विरोध तो किया पर कोई वहां मौजूद पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों और टीचर्स के सामने अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
और रो पड़े हारने वाले
पोलिंग के दौरान कैंडीडेट्स उत्साह से लबरेज थीं, काउंटिंग के दौरान चेहरों पर चिंता की रेखाएं थीं पर जिनके पक्ष में जनादेश नहीं आया, बरबस ही उनकी आंखें छलक उठीं। पुस्तकालय मंत्री की कैंडीडेट विजेता राना तो रिजल्ट डिक्लेयर होते ही रुंआसी हो गईं और काफी देर तक अकेले बैठकर रोती रहीं। वहीं महामंत्री पद की प्रत्याशी पूजा देवी के चेहरे की खुशी भी अचानक नदारद हो गई। वह भी एक कोने में रोती हुई दिखाई दीं। हालांकि, इन प्रत्याशियों को उनके दोस्तों ने काफी समझाने की कोशिश की।