बरेली (ब्यूरो)। आरटीओ ऑफिस में रोज सैकड़ों लोगों का आना-जाना रहता है। कार्यालय में काफी काम रहता है। लेकिन, वर्तमान में यहां के कार्यालय में ंलोगों को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। इसका कारण है स्टाफ की कमी होना। 19 मई को परिवहन आयुक्त धीरज साहू व अपर परिवहन आयुक्त नरेंद्र सिंह के शासनादेश पर ऑफिस में लगे सभी प्राईवेट कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। इसके बाद ऑफिस के सात पटल खाली हो चुके हैं। यहां पर 50 कर्मियों की रिक्वायरमेंट के सापेक्ष मात्र 14 कर्मचारियों की तैनाती है। ऐसे में वर्क पेंडेंसी भी बढ़ गई है, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पांच मिनट के लिए घंटों वेट
प्रत्येक ऑफिस में अलग-अलग कार्यों के लिए पटल स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक पटल पर एक कर्मचारी निश्चित तौर पर रहता ही है। आरटीओ ऑफिस में सात पटल हैं। इन पर प्राइवेट कर्मचारी काम कर रहे थे। शासनदेश क बाद इन्हें हटा देने पर ऑफिस की कार्य व्यवस्था लड़खड़ा गई है। ऑफिस का शेड्यूल गई है। पूरी तरह बिगड़ कर रह गया है। ऐसे में लोगों को पांच मिनट के काम के लिए घंटो तक वेट करना पड़ रहा है।
एक कर्मचारी पर चार गुना काम
कार्यालय में वर्ष 1997 के बाद से कोई भर्ती नहीं हुई है। पूरे ऑफिस में 50 कर्मचारी होने चाहिए। स्टाफ की कमी के कारण प्राइवेट कर्मियों से काम लिया जा रहा था। उनके हटने के बाद मात्र 14 कर्मचारी रह जाने से सारे पटलों का काम देखना उनके लिए आसान नहीं है। रोज प्रत्येक पटल पर सैकड़ों लोग आते हैं। ऐसे में सभी को मैनेज कर पाना मुश्किल हो गया है। इस कंडीशन में वर्तमान में मौजूद कर्मचारियों पर काम का प्रेशर चार गुना तक बढ़ गया है। इसके बाद भी लोगों के काम समय पर नहीं हो पा रहे हैं।
दलालों की कट रही चांदी
यह बात किसी से छिपी नहीं कि इन ऑफिसेस में दलालों का काफी दखल रहता है। अब स्टाफ की कमी होने से उन लोगों की और भी चांदी कटने लगी है। स्टाफ की कमी के चलते लोगों के काम समय पर नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में दलाल उस व्यक्ति से मिलकर काम कराने का ठेका ले लेते हैं। विवश होकर लोगों को इसके लिए उनकी जेब भरनी पड़ रही है।
जब से स्टाफ कम हुआ है, काम का प्रेशर बढ़ गया है। एक साथ कई अभियान चलाना फिर सभी की सूचना शासन को देना। पूरा ऑफिस बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसे मे जल्दी में कोई सरकारी भर्ती होने की संभावना भी नहीं है, जिससे लोगों के काम भी प्रभावित हो रहे हैं।
दिनेश सिंह, आरटओ (ई)