बरेली(ब्यूरो)। खाने के सामान को सुंदर और ताजा दिखाने के लिए बड़े पैमाने पर आर्टिफिशल कलर्स का यूज किया जाता है। लंबे समय तक सिंथेटिक कलर्स का इस्तेमाल करने शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती है। बीसीबी में जूलॉजी डिपार्टमेंट की डॉ। बीनम सक्सेना के दिशा-निर्देश में स्टूडेंट श्याम बाबू गंगवार ने ऐमिटोलॉजी पर रिसर्च की है। रिसर्च बताती है कि घर में इस्तेमाल होने वाले मसालों से सिंथेटिक कलर्स के नुकसान को कम किया जा सकता है।
सिंथेटिक कलर्स के साइड इफेक्ट
खाने के सामानों में बड़े लेवल पर सिंथेटिक कलर्स यूज किया जाता है। यह ही नहीं सब्जियों और फलों को ताजा दिखाने के लिए भी कलर्स यूज किए जाते हैैं। यह इतने नेचुरल नजर आते हैैं कि इसका अंदाजा भी नहीं हो पाता है। यह सिंथेटिक कलर्स लोगों के लीवर, किडनी और हार्ट से रिलेटेड परेशानियां पैदा करते हैैं। यह ही वजह है कि लोगों को लीवर, किडनी, हार्ट रिलेटिड कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नेचुरल कलर फायदेमंद
कुदरती तौर पर मिले रंग शरीर से कई रोगों को दूर करते हैैं। कलर थैरेपी में इन रंगों से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसके विपरीत लैब में बनाए गए कलर नुकसान पहुंचाते हैैं।
मेटानिल येलो बन रहा घातक
मेटानिल येलो सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सिंथेटिक डाई है, जो सामान को पीला रंग देती है। यह न केवल खाद्य उत्पादों में बल्कि फार्मास्यूटिकल्स में भी उपयोग किया जाता है। जैसे सिरप, लोशन, पीले रंग की गोलियों आदि में। मेटानिल पीला हेमोपोएटिक सिस्टम को डिस्टर्ब करता हैै। इसके अलावा यह एंजाइमैटिक को जन्म दे सकता है। मानव शरीर में कई तरह के चेंजेस भी करता है। मेटानिल येलो का यूज कुकिंग के लिए अधिक मात्रा में होता है।
चूहे पर किया गया प्रयोग
श्याम बाबू के अनुसार इस रिसर्च में मेटानिल येलो का उपयोग एक चूहे पर किया गया। इसमें उसे 24 हफ्तों तक सिंथेटिक कलर्स से बना सामान दिया गया। इसमें पाया गया कि चूहों के बॉडी वेट और ग्रोथ में कमी देखी गई। इसी तरह से सीरम, टोटल प्रोटीन, एलबुमिन और एलक्लिन फोस्फदेस का जब एक्सपेरिमेंट एनिमल पर किया गया, तो पता चला कि सीरम एलबोमिन और टोटल प्रोटीन में कमी दिखी। जबकि एलकलाइन फास्फेट और सीरम अधिकर दिखा। जब इन एनिमल में टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल और एचडीएल को टेस्ट किया गया तो कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल अधिक मिला। वहीं एचएलडी कम पाया गया। इसके साथ एलबीनो रेट के ऑक्सडेटिव स्ट्रैस मारकर को भी टेस्ट किया गया। तक पता चला कि सिंथेटिक फूड कलर्स का निगेटिव इफेक्च रेटर्स पर पड रहा है। उनका सेल्यूलर डैमेज हो रहा है। इसके अलावा इसे लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीसीज (आरओएस) का फॉरमेशन होता है, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज का मेन रीजन है।
क्या है उपाय
इन सभी सिंथेटिक कलर्स का यूज तो कम नहीं कर सकते लेकिन इससे सभी बच जरूर सकते हैैं। गारलिक, हल्दी, जीरा, अजवाइन का सही से और रेगुलर इस्तेमाल करने से सिंथेटिक कलर्स का असर कम किया जा सकता है। समय के साथ हमें काली मिर्च, घी, जीरा या अजवाइन जैसी चीजें नुकसान को कम करती हैैं। यह सभी मसाले कई सारे लाभ देते हैं.अदरख और अजवाइन यूरिक एसिड की परेशानी दूर करती है। इन दिनों कई लोग यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे हैैैं। यह एक ऐसी समस्या है जो आगे चलकर गठिया का रूप ले सकती है। ऐसे में गंभीर बीमारियों से बचने के लिए इसको रेगुलर यूज करना चाहिए।
किस स्पाइस में क्या क्वालिटी
अजवाइन: इसका पानी आपके पेट को साफ करने में मदद करता है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और पेट से जुड़ी कई समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है।
जीरा: यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो डाइजेशन में सुधार करने में मदद करता है और मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ाता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। जीरे का पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।