बरेली (ब्यूरो)। पितृ पक्ष बीतने के बाद 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत होगी। इस बार खास बात यह है कि तीस साल बाद चित्रा नक्षत्र, बुधादित्य और वैधृति योग बन रहा है। यह जानकारी बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा ने दी, उन्होंने बताया कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी मां दुर्गा गज पर सवार होकर ही भक्तों के पास आएंगी। इस पर्व को लेकर लोगों ने घरों की साफ सफाई शुरू कर दी है। इस पर्व के नौ दिनों तक भक्त व्रत में रहेंगे।
पंडित जी की मानें तो
पंडित विष्णु शुक्ला का मत है कि हाथी ज्ञान, सुख-समृद्धि, उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। हाथी का संबंध विघ्नहर्ता गणेश और महालक्ष्मी से भी है। इस कारण पूरे वर्ष शुभ और मांगलिक कार्यों के साथ ही पर्याप्त वर्षा भी होगी। इस बीच शारदीय नवरात्र की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। शहर के सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा स्थापना के लिए पंडाल भी सजाएं जाएंगे। इस बार आठ से दस मंदिरों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी।
ये भी हैं माता के वाहन
पंडित विष्णु शुक्ला के अनुसार नवरात्र का प्रथम दिन मंगल और शनिवार हो तो माता अश्व में सवार होकर आएंगी, बुधवार हो तो नाव, गुरुवार और शुक्रवार होने पर डोली में सवार होकर आती हैं। अश्व और डोली में सवारी को शुभ नहीं माना जाता है। इन दो सवारी पर आगमन से प्राकृतिक आपदाओं की आशंका अधिक रहती है। अर्थ व्यवस्था बिगडऩे की आशंका रहती है। वहीं मां दुर्गा का हाथी पर आना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है।
23 को रवि योग में विदाई
यह भी संयोग है कि 15 अक्टूबर को नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र, बुधादिय और वैधृति योग में शुरुआत होगी, जो उत्तम और शुभ रहेगी। यह संयोग करीब तीस साल बाद बन रहा है। समापन पर 23 अक्टूबर को रवि योग रहेगा। इससे भी दिवस का शुभता बढ़ेगी।
माता की सवारी से भविष्य संकेत
पंडित रवि कुमार शर्मा ने बताया कि देवी भागवत और अन्य शास्त्रों में उल्लेख है कि अमावस्या पर जब पितृ गण धरती से वापस लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने गणों के साथ पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती हैं। माता हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर बैठकर आती हैं। यह भविष्य के लिए संकेत भी करता है कि आगमी वर्ष कैसा होगा। वैसे माता दुर्गा का वाहन शेर है, पर नवरात्र में उनका वाहन बदलता रहता है।