क्या है स्पेशल इंप्रूवमेंट
स्पेशल इंपू्रवमेंट एक ऐसी व्यवस्था है जो स्टूडेंट्स को अपने माक्र्स इंप्रूव करने का अवसर देती है। यह केवल पास स्टूडेंट्स के लिए होनी है और केवल एक बार ही अवसर मिलता है। स्टूडेंट्स अपने अनुसार कोर्स का कोई भी सबजेक्ट एग्जाम के लिए सेलेक्ट कर सकता है। यह व्यवस्था मेरठ, बुंदेलखंड, पूर्वांचल समेत स्टेट के दूसरे यूनिवर्सिटीज में भी लागू है। लेकिन आरयू में यह व्यवस्था कभी लागू नहीं की गई।
काफी वर्षों से थी मांग
स्टूडेंट्स इस व्यवस्था को लागू करने की कई वर्षों से मांग कर रहे हैं। खासकर वे स्टूडेंट्स जो पीएचडी और नेट क्वालीफाई हैं या फिर जो पीएचडी या नेट क्वालीफाई करना चाहते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा है, जिनके किसी जॉब या फिर प्रोफेशनल एग्जाम में अपीयर होने के लिए एलिजिबल माक्र्स से कम माक्र्स हैं। स्टूडेंट्स ने कई बार यूनिवर्सिटी से मांग की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
लिया कोर्ट का सहारा
आरयू एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा स्टूडेंट्स की मांग नकारे जाने पर परीक्षा सुधार संघर्ष समिति के बैनर तले सभी स्टूडेंट्स लामबंद हुए। समिति के प्रेसीडेंट डॉ। नरेंद्र सिंह और सहसंयोजक डॉ। आनंद मलिक समेत कई स्टूडेंट्स ने व्यवस्था लागू करने के लिए हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी।
स्टूडेंट्स के पक्ष में निर्देश
सभी पक्षों और पहलुओं पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने स्टूडेंट्स के पक्ष में निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया है कि यह व्यवस्था लागू करने के लिए ऑर्डिनेंस में जो भी बदलाव किए जाएं उस प्रक्रिया को कंसीडर करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्टूडेंट्स के हित में इस मैटर को एकेडमिक और ईसी की मीटिंग में पॉजीटिव एप्रोच के तहत रखा जाए।
संघर्ष समिति ने की मांग
कोर्ट के निर्देश आने के बाद संघर्ष समिति के प्रेसीडेंट डॉ। नरेंद्र सिंह, सहसंयोजक डॉ। आनंद मलिक, स्टूडेंट लीडर विशाल यादव सहित कई स्टूडेंट्स ने फ्राइडे को वीसी प्रो। मुहम्मद मुजम्मिल से मुलाकात की। उन्होंने कोर्ट की कॉपी सौंपी और व्यवस्था को लागू करने की मांग की।
हाईकोर्ट के निर्देश की कॉपी मिली है। कोर्ट के निर्देशानुसार स्टेप उठाया जाएगा। इस मैटर को ईसी की मीटिंग में रखकर सभी मेंबर्स के बीच विचार किया जाएगा। उसके बाद ही कोई डिसीजन लेने की स्थिति में हम होंगे।
- प्रो। मुहम्मद मुजम्मिल,वीसी, आरयू