खास-खास
6-वाटिका बनेंगी रामायण वाटिका के अंदर
51 फीट ऊंची बनेगी भगवान राम की प्रतिमा
9.5 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी भगवान राम की प्रतिमा
10 से अधिक रेयर प्रजाति के पौधे साउथ से लाकर रोपे गए
4 पंपा सरोवर पर बनाए जाएंगे सेल्फी प्वाइंट


बरेली: बीडीए रामगंगा नगर में लगभग 33000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में रामायण वाटिका को विकसित करेगा। इसमें भगवान राम ने वनवास के दौरान जिन-जिन स्थानों से गुजरे या जिन स्थानों पर विश्राम किया आदि स्थानों से संबंधित परिकल्पनाओं को दर्शाया जाएगा। रामायण में उल्लेखनीय रेयर प्रजाति के वृक्षों भी वाटिका में रोपा जाएगा। इनमें कुछ साउथ से भी मंगाए जाएंगे। यह शहर के आकर्षण का मुख्य केंद्र होगी। साथ ही इससे शहर के पर्यटन को एक नई पहचान मिलेगी। दूर दराज से रामायण वाटिका को देखने आने वाले दर्शक शहर के विकास का हिस्सेदार होंगे।

बनेंगी वाटिकाएं
वनवास के दौरान भगवान श्रीराम जहां जहां से गुजरे उससे संबंधित वाटिकाओं का निर्माण किया जाएगा। साथ ही उनके जीवन से संबंधित कलाकृतियों को भी उकेरा जाएगा।

चित्रकूट वाटिका
रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के 14 वर्षों मेें से कुछ समय चित्रकूट में बिताया था। यहां आज भी कई ऐसे स्थान हैं। जो राम के जीवन से जुड़े हुए हैं। जैसे रामघाट, जानकी कुंड और भरत मिलाप।

दण्डकारण्य वाटिका
रामायण के अनुसार यह एक प्रमुख वन है। यहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण यह वन विंध्याचल पर्वत से लेकर गोदावरी नदी तक फैला हुआ था। यहां कई वर्षों तक भगवान राम ने वनवास का जीवन बिताया था।

पंचवटी वाटिका
यह स्थान गोदावरी नदी किनारे स्थित है। वनवास के दौरान भगवान राम ने वनवास का कुछ समय यहां बिताया था। यह क्षेत्र प्राकृति सुंदरता के लिए जाना जाता था। यहां राम ने रहने के लिए एक सुंदर कुटी भी बनाई थी।

किष्किंधा वाटिका
रामायण के अनुसार यहां वानरों का राज था। जिसके शासक पहले बाली और बाद में सुग्रीव हुए। किष्किंधा आजकल कर्नाटक के हम्पी शहर के आसपास का क्षेत्र माना जाता है। सीता को खोजते हुए यहीं भगवान राम हनुमान से मिले थे।

अशोक वाटिका
यह रामायण का एक प्रमुख हिस्सा है। हरण के बाद रावण ने माता सीता को यहीं बंदी बनाकर रखा था। यह रावण द्वारा बनाई गई एक अत्यंत सुंदर वाटिका थी। हनुमान सीता को खोजते हुए यहां पहुंचे थे।

द्रोणागिरी वाटिका
द्रोणागिरी हिमालय का एक महत्वपूर्ण पर्वत हैं। जिसका रामायण में उल्लेख किया गया है। हनुमान लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेने यहां आए थे। द्रोणागिरी पर्वत उत्तराखंड में स्थित है।

साउथ की रेयर प्रजाति
रामायण से संबंधित कई ऐसे रेयर प्रजाति के पौधे हैं जिनका रामायण में उल्लेख किया गया है। इसमें कई पेड़ रेयर प्रजाति के हैं जो साउथ से मंगाए गए हैं। इनमें कई पौधे ऐसे हैं जिनका औषधीय महत्व भी है। रामायण वाटिका में इन पेड़ों को उनसे संंबंधित अलग अलग वाटिकाओं में लगाया जाएगा।

चित्रकूट वाटिका: असना, आन, मोलश्री आदि.
दण्डकारण्य वाटिका: शाल, वकली, महुआ, अर्जन, पड़ल और गाब आदि।
पंचवटी वाटिका: बेल पत्थर, बर्गद, पीपल, आंवला और अशोक आदि।
किष्किंधा वाटिका: लाल चंदन, ढाक, पलास, सफेद चंदन और कटहल आदि।
अशोक वाटिका: दाल चीनी, चंपा और मोलश्री आदि।

बनेगा ओपन थिएटर
रामायण वाटिका में दर्शकों के लिए ओपन थिएटर का निर्माण कराया जाएगा। जहां दर्शक भगवान राम के जीवन से संबंधित झलकियां देख सकेंगे। यह दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा।

पंपा सरोवर में श्रीराम की प्रतिमा
रामायण वाटिका में 9.5 करोड़ रुपए की लागत से 51 फीट ऊंची भगवान राम की प्रतिमा लगाई जाएगी। यह प्रतिमा रामायण वाटिका का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। जो दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगी। यह प्रतिमा पंपा सरोवर में स्थापित की जाएगी। प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी प्रसिद्ध मर्तिकार रामसुतार को दी गई है।

भगवान राम संग सेल्फी
पंपा सरोवर में भगवान राम की प्रतिमा के साथ फोटो क्लिक के लिए चार सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे। इन सैल्फी प्वाइंट से दर्शक भगवान राम की प्रतिमा के साथ सेल्फी क्लिक कर सकेंगे।

किड्स और फूड जोन
वाटिका में नन्हें दर्शकों के किड्स जोन का निर्माण किया जाएगा। यहां छोटे बच्चों के खेलने के लिए झूले आदि का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा आने वाले दर्शकों के लिए भोजन करने के लिए कैंटीन भी तैयार की जाएगी। जहां दर्शक बैठकर भोजन कर सकेंगे।

प्रसंगों को पत्थरों पर उकेरा जाएगा
वाटिका में भगवान राम से जुड़ संकल्पना में चित्रकूट, दण्डकारण्य, पंचवटी, माता सबरी आश्रम, किष्किन्धा, अशोक वाटिका, पम्पा सरोवर आदि से संबंधित भगवान राम के जीवन सें जुड़े प्रसंगों को दीवारों और पत्थरों पर उकेरा जाएगा।

संस्कृति से होंगे परिचित
वाटिका में इन संकल्पनाओं को दर्शाने का मुख्य उद्देश्य हमारी प्रचीन संस्कृति से आम अवगत कराना है। वाटिका में दुर्लभ वृक्षों और वनस्पतियों को संरक्षित भी किया जाएगा। इसके माध्यम से हमारी आने वाली पीढिय़ों को भगवान राम के जीवन अवगत होंगे।