- 12 से 15 हजार पर स्टूडेंट के हिसाब से उठा था नकल का ठेका

- एलएलबी के सॉल्वर को मिलने थे 20 से 25 हजार रुपए

- नकल नहीं हुई तो अब स्टूडेंट्स मांग रहे हैं ठेका लेने वालों से रुपए

BAREILLY: एलएलबी के इंट्रेंस एग्जाम में मास चीटिंग की पूरी बिसात पहले से ही बिछाई जा चुकी थी। बिना मेहनत पास होने की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स के बाकायदा ठेके उठे थे। ठेके का ये खेल लाखों में पहुंच गया, बिहार से सॉल्वर को भी फिक्स कर लिया गया, लेकिन फिर एग्जाम का दिन आया और पूरी प्लानिंग पर ही पानी फिर गया। सॉल्वर का रूम अचानक बदल गया। जिन स्टूडेंट्स को पास कराने का ठेका उठाया गया था वे मुंह ताकते रह गए। रत्ती भर नकल नहीं कर पाए। अब ये स्टूडेंट्स ठेका लेने वालों की जान के पीछे पड़े गए हैं। अपना रुपया वापस मांग रहे हैं। उधर सॉल्वर भी अपना बकाया लेने के लिए भी लाइन में हैं। सोर्सेज की मानें तो नकल का ठेका उठाने वाले लोग कोई और नहीं बरेली कॉलेज के जाने-माने स्टूडेंट्स लीडर्स हैं। अब ये यही आस लगाए बैठे हैं किसी तरह से इंट्रेंस एग्जाम कैंसिल हो जाए।

RU से सेट कराए थे roll no।

बीसीबी के स्टूडेंट्स लीडर्स ने जिन स्टूडेंट्स को पास कराने का ठेका लिया था, उनका रोल नम्बर अलग से यूनिवर्सिटी से फिक्स कराया गया था। मोडस ओपरेंडी ऐसी थी कि कम से कम 20 स्टूडेंट्स का रोल नम्बर एक ही सीरीज का हो और वह एक ही रूम में हों। ऐसे हर 20 स्टूडेंट्स के ग्रुप में एक सॉल्वर का फॉर्म भराया गया। एक सॉल्वर के ऊपर 20 स्टूडेंट्स को नकल कराने का जिम्मा था। इस काम के लिए यूनिवर्सिटी के कर्मचारी को 1,500 रुपए दिए गए थे।

25 हजार में फिक्स थे solver

इस खेल के मास्टरमाइंड स्टूडेंट्स लीडर्स ने इंट्रेस एग्जाम से पहले ही लाखों रुपए के वारे न्यारे कर लिए थे। हर फिक्स स्टूडेंट्स से उन्होंने 12 से 15 हजार रुपए में ठेका उठाया था। उन्हें नकल कराने के लिए बिहार से सॉल्वर बुलाया। उससे 20 से 25 हजार रुपए में सौदा तय किया। उनके आने-जाने और ठहराने का पूरा खर्चा स्टूडेंटस लीडर्स के ऊपर था। एडमिट कार्ड भी उन्होंने ही मुहैया कराया। सॉल्वर को एडवांस में 3 से 4 हजार रुपए दिए गए थे। बाकी का रुपया काम हो जाने के बाद तय किया गया था। इलाहाबाद से भी सॉल्वर बुलाने की बात हो रही थी लेकिन उनका रेट डबल से भी ज्यादा था इसलिए बात नहीं बनी।

ऐसे होनी थी नकल

एक कमरे में 20 स्टूडेंट्स के बीच एक सॉल्वर को बिठाना था। स्टूडेंट्स के बीच इंट्रेंस टेस्ट के चार सेट बांटे जाते हैं। हर सेट में क्वेश्चन सेम होते हैं बस उनकी सीरीज डिफरेंट होती है। सॉल्वर हर सेट के क्वेश्चंस के आंसर नोट कर उसकी पर्ची बना देता है। फिर उसे स्टूडेंट्स के बीच बंटवा दिया जाता है। पर्ची के अलावा ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी भी बंटवाई जाती है। ऐसे तो इंट्रेंस टेस्ट तीन घंटे का होता है, लेकिन औसतन डेढ़ घंटे में स्टूडेंट्स अपना टेस्ट खत्म कर देते हैं। तीन घंटे में सभी स्टूडेंट्स को आराम से नकल कराई जा सकती है।

ऐसे फेल हुई मोडस ओपरेंडी

नकल की ताक में लगे ज्यादातर स्टूडेंट्स का सेंटर महाराजा अग्रसेन कॉलेज में रखा गया। जैसे पहले से फिक्स था कमरा नम्बर 4 और 11 में जमकर नकल कराने का पूरा प्लान था, लेकिन ऐन मौके पर ठेका लेने वाले स्टूडेंट्स लीडर्स की मोडस ओपरेंडी फेल हो गई। जिस सॉल्वर को कमरा नम्बर 4 में बिठाना था उसे कमरा नम्बर 11 मिल गया। फिर क्या था कमरा नम्बर 4 में नकल नहीं हो पाई। तब जाकर नकल का ठेका लेने वालों की पोल खुल गई।

Students वापस मांग रहे रुपए

ऐसे में जिन स्टूडेंट्स ने नकल कराने के लिए हजारों रुपए दिए थे वे ठगा महसूस कर रहे हैं। इंट्रेंस एग्जाम खत्म होने के बाद संडे को ऐसे स्टूडेंट्स ने हंगामा भी काटा था। वे अपना रुपया मांगने के लिए स्टूडेंट्स लीडर्स से भिड़ गए। वहीं सॉल्वर भी अपना बकाया लेने के लिए उनसे तकाजा करने लगे। अब स्टूडेंट्स लीडर्स की गले की फांस बन गया है नकल का ठेका। नकल हुई नहीं और रुपया पहले ही वे हजम कर चुके हैं।

Exam cancel करने की मांग

अब जब हर कोई अपने रुपए के लिए स्टूडेंट्स लीडर्स से तकाजा कर रहा है। ऐसे में स्टूडेंट्स लीडर्स उनको यह दिलासा दे रहे हैं कि इंट्रेंस एग्जाम कैंसिल करा देंगे। वे सब यूनिवर्सिटी पर एग्जाम कैंसिल करने के लिए तमाम दबाव भी बना रहे हैं। यही नहीं कुछ स्टूडेंट्स लीडर्स तो कोर्ट की भी जाने की तैयारी कर रहे हैं।

M.Sc में भी बिठाएंगे solver

आरयू के एमएससी में भी स्टूडेंट्स लीडर्स ने नकल का ठेका लेकर सॉल्वर बिठाने की तैयारी कर ली है। इसकी भी रणनीति उन्होंने तैयार कर ली है। ठेका लेने वाले बरेली कॉलेज के साथ आरयू के भी स्टूडेंट्स लीडर्स हैं। एमएससी का इंट्रेंस टेस्ट क्8, क्9 और ख्0 मई को कंडक्ट किया जाएगा।