- कैसे बढ़ेगी कोराना पशेंट्स की इम्यूनिटी

- 300 बेड हॉस्पिटल में डॉक्टर ने खाना की क्वालिटी पर उठाए सवाल

- मरीजों को दो घंटे देर से मिला खाना, पानी की बोतल की पेटी से एक्सपायरी डेट गायब

बरेली : 300 बेड कोविड अस्पताल में अव्यवस्था का क्रम अब जारी हो गया है। यहां का स्टाफ पूरी शिद्दत से मरीजों को इलाज और देखरेख कर रहा है। अभी अस्पताल में इस समय गिनती के ही मरीज भर्ती है। बावजूद इसके मरीजों के लिए खाने-पीने का भी ठीक इंतजाम नहीं है।

ये कैसा खराब खाना है

सैटरडे को सुबह के नाश्ते के बाद दोपहर करीब 12 बजे एल टू में एडमिट पेशेंट्स लंच का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन दो घंटे देरी होने के बाद लंच पहुंचा तो मरीज आग बबूला हो गए, स्टाफ से जानकारी ली तो पता चला कि यहां तैनात डॉक्टर ने खाना की क्वालिटी खराब बताई और खाने से इंकार कर दिया जिससे कैंटीन संचालक से नोकझोंक भी हो गई। जिस कारण खाना देरी से वितरित हो पाया।

पानी से आती है बदबू

यहां मरीजों को मिलने वाले बोतलबंद पानी से बदबू आती है। यही नहीं एक स्थानीय कंपनी के नाम से पंजीकृत पानी की बोतल के गत्ते पर बैच नंबर और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तक दर्ज नही। यही नहीं बोतलबंद पानी की पैकिंग कब हुई, इसका जिक्र भी कार्टन पर नहीं है। ये बदइंतजामी तब जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए गुणवत्ता युक्त भोजन और पानी होना जरूरी है।

स्टाफ को भी मालूम हकीकत

ऐसा नहीं है कि मरीजों को मिल रहे बोतलबंद पानी की हकीकत अस्पताल के स्टाफ को मालूम नहीं है। पानी बदबूदार है, ये स्टाफ भी जानता है। इसलिए सभी अपना पानी अलग से मंगवाते या लाते है। लेकिन मरीजों को मिलने वाले पानी की चिंता किसी को नहीं है।

ऊंची पहुंच वाला है ठेकेदार

300 बेड अस्पताल में जिस ठेकेदार के पास खाना-पानी का ठेका है, उसकी मंडल के कद्दावर माननीय तक पहुंच है। जिले ही नहीं प्रदेश में कुछ और कैंटीन भी चलती है। ऊंची पहुंच की वजह से ठेकेदार धड़ल्ले से दोयम दर्जे का पानी बेच रहा है और स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी खामोश हैं।

अस्पताल में बदबूदार पानी के संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है। फिर भी संडे को पानी चेक किया जाएगा। खामी मिलने पर कार्रवाई होगी।

- डॉ.वागीश वैश्य, सीएमएस, 300 बेड कोविड अस्पताल