BAREILLY: रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में ट्यूजडे को हुए थप्पड़कांड ने कर्मचारियों के बीच चल रही रस्साकशी की पोल खोलकर रख दी। ऊपरी तौर पर भले ही यह दो कर्मचारी नेताओं के बीच मामूली मारपीट लगे, लेकिन इसकी जड़ में मलाईदार पटल का खेल है। दरअसल, थप्पड़कांड के कथित पीडि़त मिनिस्टिरियल स्टाफ एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील कुमार यादव आरयू के बाबू नंबर वन हैं। अफसरों के प्रिय सुनील यादव के पास चार ऐसे पटल हैं, जिनसे करीब 60 करोड़ रुपए की फाइलें पास होती हैं। आरयू में किसी एक पटल से इससे ज्यादा रुपए की फाइलें पास करने का जिम्मा नहीं। सुनील यादव की अफसरों से नजदीकियों के चलते कोई इसका खुलकर विरोध तो नहीं कर सका, लेकिन स्टाफ में अंदर ही अंदर चिंगारी सुलग रही थी और ट्यूजडे को थप्पड़कांड के रूप में सामने आयी।
प्रमोशन के बाद भी नहीं बदला पटल
बीते 28 फरवरी को ही सुनील कुमार यादव को प्रमोट कर कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक बनाया गया। उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा अनुभाग 2 के शासनादेश के अनुसार प्रोमोशन के तुरंत बाद पटल परिवर्तन अनिवार्य है।
सुनील की कुर्सी यानि 60 करोड़ सालाना
वरिष्ठ सहायक सुनील यादव के पास आरयू के सबसे बड़े डिपार्टमेंट आईईटी, वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट, सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों समेत कई और महत्वपूर्ण पटल हैं।
1- इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पर कब्जा
वार्षिक बजट- 35-40 करोड़
इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) इसके अन्तर्गत बीटेक, बीफार्मा, एम फार्मा, एमएससी एप्लायड फिजिक्स, एमएससी एप्लायड मैथमेटिक्स जैसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट आते हैं। इन डिपार्टमेंट्स में से किसी में भी यदि एक कील भी लगती है तो उसका बजट सुनील यादव के पटल से जारी होता है।
2- वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट टीईक्यूआईपी-3
बजट : 12.5 करोड़
वर्ल्ड बैंक के टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (टीईक्यूआईपी-3) के तहत यूनिवर्सिटी के टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स जैसे इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में स्मार्ट लैब, स्मार्ट क्लासेस और अन्य उपकरण आदि के लिए फाइनेंस उपलब्ध किया जा रहा है। यह पूरा प्रोजेक्ट भी सुनील यादव के हवाले है।
3- 180 सेल्फ फाइनेंस कॉलेज
वार्षिक बजट: 6-8 करोड़
आरयू से कुल 524 महाविद्यालय अफिलिएटेड हैं। जिसमें तीन तरह के महाविद्यालय है, सेल्फ फाइनेंस, राजकीय और अनुदानित। इनमें राजकीय और अनुदानित महाविद्यालय की संख्या मात्र 53 है। जबकि 471 महाविद्यालय सेल्फ फाइनेंस हैं। इसमें भी सबसे अधिक 180 सेल्फ फाइनेंस कॉलेज बिजनौर में है। बिजनौर का भी प्रभार सुनील यादव के पास है।
सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में होने वाले एग्जाम का खर्च यूनिवर्सिटी उठाती है। इनमें सेंटर इंचार्ज, इंविजिलेटर, जेनरेटर, एग्जामिनर का टीए और डीए आदि का बिल भी सुनील यादव पास करते हैं। इनके अलावा इस पटल को देखने वाले बाबू को प्रति छात्र 10 रुपए का भी भुगतान परीक्षा कराने के एवज में होता है। वहीं अफिलिएशन की औपचारिकताएं भी इसी पलट से पूरी होती हैं।
4- यूजीसी से मिलने वाली रिसर्च स्कॉलरशिप
वार्षिक बजट - 1.5-2.0 करोड़
आरयू में यूजीसी से रिसर्च स्कॉलर को जब तक इस पटल पर बैठे क्लर्क प्रक्रिया पूरी कर सर्टिफिकेट जारी नहीं करते तब तक उनके अकाउंट में पैसा नहीं पहुंचता। फिलहाल आरयू में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कुछ वर्ष से नहीं हुई है, लेकिन इस वर्ष 550 स्टूडेंट्स पीएचडी के लिए इस वर्ष रजिस्टर्ड किए गए हैं।
ऐसे हुआ थप्पड़कांड
आरयू की मिनिस्टिरियल स्टाफ एसोसिएशन ने ट्यूजडे को अपनी कई लंबित मांगों को लेकर अफसरों का घेराव किया। इस दौरान अफसरों के बुलावे पर दोनों पक्षों में बातचीत शुरू ही हुई थी कि एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील कुमार यादव और वर्तमान उपाध्यक्ष रामप्रीत के बीच भिड़ंत हो गई। आरोप है कि बातचीत के दौरान सुनील लगातार यूनिवर्सिटी अफसरों के पक्ष में बोल रहे थे। दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि रामप्रीत ने सुनील यादव को थप्पड़ जड़ दिया। मौके पर पुलिस बुलानी पड़ी। बाद में दोनों ओर से बारादरी थाने में तहरीर दी गई।
आरयू मिनिस्टिरियल स्टाफ का मांगों के लिए बैठक में विवाद हो गया था। वेडनसडे सुबह वह मांगों को लेकर धरने पर भी बैठे। इसके अलावा तो और कोई बात मेरी नॉलेज में नहीं है।
अशोक कुमार अरविन्द, रजिस्ट्रार आरयू