बरेली(ब्यूरो)। पर्यावरण संरक्षण की कड़ी में सरकार द्वारा आज से सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। दरअसल सिंगल यूज प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल से मनुष्य से लेकर जलीय जीव तक सभी के जीवन पर इसका दुष्प्रभाव दिखने लगा है। वहीं इसका कभी न समाप्त होने की प्रवृत्ति मिट्टïी की उर्वरता को भी कम कर रही है। शहर में इस प्रतिबंध को सफलतापूर्वक जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी नगर निगम के साथ ही हर नागरिक की है। इसको लेकर लोगों को अवेयर करने का कार्य भी किया जा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से पब्लिक को अवेयर करने व उनकी समस्याओं को जिम्मेदारों तक पहुंचाने के क्रम में अभियान चलाया जा रहा है।
ये है बेहतर विकल्प
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध होने के बाद मिट्टी, कागज, कपड़ों के बने उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा। इनके इस्तेमाल से एक प्रकार से पर्याïवरण संरक्षण में भी योगदान दिया जा सकता है। पॉलीथिन व पेपर बैग व्यापारी का कहना है कि पेपर बैग विकल्प हो सकता है, लेकिन, वह पॉलीथिन से थोड़ा महंगा होगा। एक पेपर या कैरी बैग एक रुपए का पड़ता है। लेकिन, पेपर बैग इस्तेमाल में पॉलीथिन को मात नहीं दे सकता है। क्योंकि पॉलीथिन पानी से सामान को बचाती है, साथ ही कैरी करने में इजी है। लेकिन, यह स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण की दुश्मन है इसलिए इसका इस्तेमाल नुकसानदेह है। लोगों में धीरे-धीरे इसको लेकर अवेयरनेस बढ़ेगी। सरकार की ओर से सराहनीय कदम उठाया गया है। इसके लिए समाज के हर व्यक्ति की भागीदारी अहम हैै।
अवेयरनेस के बाद होगी कार्रवाई
नगर निगम की ओर से तीन जुलाई तक शहर में स्कूल, चौराहों व वार्डों में व्यापारियों के साथ आमजन को जागरूक करेगा। इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल व बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए निगम प्रशासन ने आठ टीमों को गठन किया है। पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान ने बताया कि बाजार में व्यापारियों को ङ्क्षसगल यूज प्लास्टिक के बदले में बांस से बनी परंपरागत मिट्टी के पात्र, पत्तो से निर्मित उत्पाद, कागज व कपड़े से झंडे, लकड़ी व बांस की स्टिक, कागज के स्ट्रॉ, कपड़े व जूट के बैग का उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है। बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्लास्टिक का उपयोग करने पर पांच साल तक की सजा व पांच सौ से एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।