-टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने से भारतीय हाकी फारवर्ड सिमरनजीत सिंह की ननसाल में है उत्सव सा माहौल
बरेली:
गुरूवार भारतीय हाकी प्रेमियों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया। 41 साल बाद भारतीय हाकी टीम के हाथ ओलम्पिक में कोई पदक आया है। इसकी खुशी में जहां पूरा देश सरोबोर है तो वहीं बहेड़ी के सिमरा फार्म पर खुशियों का अलग ही नजारा है।
भारत की जीत में दो शानदार गोल करने वाले भारतीय हाकी टीम की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले सिमरनजीत सिंह की ननसाल इसी सिमरा फार्म में है। उनके नाना सरदार मुख्त्यार सिंह व उनके भाई सरदार दर्शन सिंह तथा मामा कुलजीत सिंह के यहां लोगों का बधाई देने का तांता लगा हुआ है। लोग उन दिनों को याद कर रहे है जब अपने बचपन के दिनों में सिमरनजीत सिंह ने यहां खेलना और कूदना सीखा था।
खेतों में सीखा बॉल को नियंत्रित करना
पीलीभीत के मझारा फार्म के रहने वाले इकबाल सिंह के बेटे सिमरनजीत सिंह की परवरिश बहेड़ी के सिमरा और रिछौला फार्म में हुई है। बहेड़ी के नेशनल पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले सिमरनजीत सिंह की शुरू से ही हाकी में रूचि रही थी। वह अपने नाना मुख्त्यार सिंह तथा भाई दर्शन सिंह के जुते खेतों में शुरू में डंडे और बाद में हाकी स्टिक से बॉल को नियंत्रित करने का प्रयास करता रहता था। हालांकि नाना-नानी उससे पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कहते थे पर वह खेल और शरारत में ही खोया रहता था।
ताऊ ने पहचानी प्रतिभा
एक दिन पंजाब के बटाला निवासी सिमरनजीत सिंह के ताऊ की नजर उसके द्वारा खेतों में बॉल को शानदार तरीके से नियंत्रित करने के हुनर पर पड़ी तो उनकी बांछे खिल गयी। उन्होने उसे पंजाब एकेडमी में भर्ती कराने की बात नाना-नानी से कही और उसे अपने साथ पंजाब ले गये। प्रतिभा के धनी सिमरनजीत सिंह ने पंजाब एकेडमी में भी धमाल मचा दिया।
जौहर कप में दिखाई प्रतिभा की पहली झलक
सिमरनजीत सिंह ने 2014 में मलेशिया में आयोजित जौहर कप में पाकिस्तान के खिलाफ पहला गोल दाग कर खूब वाही-वाही लूटी।
पदक जीतने पर मन रहा उत्सव
टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय टीम के कांस्य पदक जीतने और सिमरनजीत सिंह के दो विजयी गोल का उनकी ननसाल सिमरा में उत्सव मनाया जा रहा है। नाना दर्शन सिंह कहते है कि कोरोना कॉल से पहले सिमरनजीत सिंह बहेड़ी में चार दिन रहकर गया था। तब उसने बताया था कि भारतीय टीम का अब एक ही लक्ष्य है कि ओलम्पिक में भारत का खोया मान वापस लाना। इसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा है। आज भारत के पदक जीतने पर सिमरनजीत का ही नहीं हम लोगों व हर भारतीय का सपना पूरा हो गया। मामा कुलजीत सिंह, लख¨वदर सिंह अपने परिवारों के साथ सिमरनजीत के घर पीलीभीत मझारा फार्म को रवाना हो गये है। जहां पूरा परिवार मिलकर खुशियों को मनाते हुए सिमरनजीत सिंह से फोन पर बात करेगा।
क्या कहते हैं लोग
सिमरनजीत सिंह मेरे संसदीय क्षेत्र से है इस बात का मुझे व हर क्षेत्रवासी को गर्व हे। पूरी टीम इंडिया के साथ को जीत की बधाई। उम्मीद है कि सिमरनजीत सिंह से क्षेत्र की खेल प्रतिभाएं प्रेरणा लेकर भारत का नाम ऐसे ही रोशन करती रहेगी।
वरूण गांधी, सांसद पीलीभीत-बहेड़ी
सिमरनजीत सिंह बचपन से ही खेलकूद में आगे रहा। स्कूल समय में भी वह पढ़ाई की अपेक्षा खेलकूद पर ज्यादा ध्यान देता था। हाकी में भारत के पदक जीतने पर उसकी भूमिका को लेकर गर्व है।
सेठ प्रमोद अग्रवाल,कोषाध्यक्ष नेशनल पब्लिक स्कूल बहेड़ी
आज हर भारतवासी खुश है भारतीय टीम ने 41 साल बाद अपना सम्मान हाकी के क्षेत्र में वापस पा लिया है। हाकी खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह जिनका बहेड़ी से मजबूत संबंध रहा है उनको व उनके परिवार का देश की जनता कृतज्ञ रहेगी। बधाई सिमरनजीत बधाई टीम इंडिया
छत्रपाल सिंह गंगवार,क्षेत्रीय विधायक बहेड़ी