बरेली (ब्यूरो)। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शासन स्तर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चलते करीब तीन साल पहले कायाकल्प योजना शुरू की गई, जिससे स्कूलों की दशा सुधार कर वहां पढऩे वाले बच्चों को बेहतर माहौल मिल सके। लेकिन आज भी शहर के ज्यादातर स्कूलों में योजना का काम पूरा नहीं हो सका है। वहीं कई स्कूलों में काम अधूरा छोड़ दिया गया है। थर्सडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के कुछ स्कूलों का रियलिटी चेक किया तो ज्यादातर स्कूलों की जो तस्वीर दिखाई दी वह कायाकल्प पर सवालिया निशान लगा रही है।
केस- 1 : रोहली टोला, प्राथमिक विद्यालय
यहां कायाकल्प का कार्य ज्यादातर पूर्ण होने के बाद भी विद्यालय में लाइट की व्यावस्था नहीं है। जबकि कनेक्शन हो एक महीना हो गया, मीटर अभी तक नहीं लगा। बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर भी नहीं है। बच्चे आज भी मैट पर ही बैठ रहे हैं। विद्यालय के आगे पार्किंग न होने के बाद भी बाइक खड़ी करते हैं।
केस-2 : जोगी नवादा, उच्च प्राथमिक विद्यालय
स्कूल की हालत देखकर लगता ही नहीं है कि यहां आज भी कक्षाएं लगती हैं, क्योंकि पूरी बिल्डिंग जर्जर हो गई है। यहां न टॉयलेट है न पीने का पानी और न बैठने की जगह। ऐसेे में बच्चे पढ़ाई कर रहें है। विद्यालय में गंदगी की वजह से यहां कुछ देर खड़ा होना भी मुश्किल है।
केस -3 : हरूनगला, प्राथमिक विद्यालय
मॉडल स्कूल तो बन गया, लेकिन बच्चे बैठें कहां यह सबसे बड़ी समस्या है। विद्यालय में 287 बच्चे पंजीकृत हैं। इनके बैठने के लिए एक छोटा सा कमरा है। ऐसे में बच्चे धूप में बैठकर पढ़ते हैं। अगर बारिश का मौसम हो तो बच्चों को घर भेजना पड़ता है। गर्मियों में बच्चों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता।
दिव्यांगों के लिए रैंप तक नहीं
दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए भी शासन स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सभी स्कूलों में रैंप बनाए जाने का आदेश कई साल पहले दिया गया था, लेकिन शहर के ज्यादातर स्कूलों में रैंप ही नहीं बनाए गए हैं।
सफाई का भी नहीं इंतजाम
एक ओर स्कूलों के कायाकल्प के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। स्कूलों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी तक तैनात नहीं हैं, ऐसे में स्कूल परिसर के साथ ही क्लास रूम्स के अंदर भी कचरा पड़ा रहता है।
विद्यालय में पर्याप्त जगह नहीं है जिसकी वजह से बच्चों को परेशानी होती है। उनकी पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती है। गर्मी में तो बच्चे कम आते हैं या कुछ बच्चों की छुट्टी कर देते हैं। उसके बाद अन्य बच्चों को पढ़ाते हैं। - जाकिर हुसैन, प्रधानाध्यापक, मॉडल स्कूल, हरूनगला
एक महीना पहले बिजली का कनेक्शन तो हो गया, लेकिन अभी तक मीटर नहीं लगा है। गर्मी का पूरा सीजन ऐसे ही निकल गया। वहीं 6 महीने पहले फर्नीचर के लिए कहा लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। बच्चे आज भी मैट पर बैठ रहे हैं। - बाबू अंसारी, प्रधानाध्यापक, रोहली टोला, प्राथमिक विद्यालय
विद्यालय में 2020 दिसम्बर में कायाकल्प के लिए टीम आयी। कुछ तोड़-फोड़ की इसके अलावा कोई काम नहीं किया और आज तक वापस नहीं आये। स्कूल में पानी ,टॉयलेट कोई भी सुविधा नहीं है। बिल्डिंग की हालत भी बहुत जर्जर है। - कमाल मिया नियाजी, प्रधानाध्यापक, जोगी नवादा, उच्च प्राथमिक विद्यालय