बरेली (ब्यूरो)। पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा था कि सपने बड़े होने चाहिए। जब सपने बड़े हों तो कदम छोटे हों तो भी फर्क नहीं पड़ता। सिटी में कुछ ऐसे यूथ हैैं जिन्होंने हाईली क्वालिफाइड होने के बावजूद चाय बेचना शुरू किया है। वह बातचीत में कहते हैैं कि यह उनका स्टार्टअप है। एक दिन वह इससे ही अपनी बड़ी पहचान बनाएंगे। इनमें कोई बीटेक है तो किसी ने होटल मैनेजमेंट किया है। इंटरनेशनल यूथ डे पर पेश है उनकी स्टोरी
उड़ी बाबा बीए चाय वाली
चांदनी सिंह झूलेलाल द्वार के पास फुटपाथ पर टी स्टॉल लगाती हैैं। उनके स्टाल पर शाम को काफी रौनक रहती है। वजह चाय का बेहतरीन स्वाद है। वह 12 तरह के फ्लेवर की चाय बेचती हैैं। इस फ्लेवर की वजह से ही दूर से भी लोग चाय की चुस्की के लिए खिंचे चले आते हैैं। उनके स्टॉल का नाम उड़ी बाबा बीए चायवाली है। वह मैरिड हैैं। हसबैैंड हर कदम पर काम में साथ दे रहे हैैं।
पांच का पंच
क्वेश्चन: कहां तक पढ़ाई की है?
आंसर: मैंने बरेली कॉलेज से बीए किया है।
क्वेश्चन: चाय बेचने का ख्याल कैसे आया मन में?
आंसर: सरकारी जॉब की तैयारी की थी, वह मिली नहीं। प्राइवेट जॉब करने में इंट्रेस्ट नहीं था। फैमिली को सपोर्ट करना था, इसलिए अपना काम स्टार्ट कर दिया।
क्वेश्चन: घर वालों का रिएक्शन क्या था?
आंसर: घरवालों ने काफी सपोर्ट किया। हसबैंड भी लगातार मोटिवेट करते रहते हैैं। स्टॉल चलाने के साथ टाइम मिलने पर पढ़ाई भी करती रहती हूं।
क्वेश्चन: काम में कितनी समस्याएं आईं?
आंसर: काम स्टार्ट किया था तो काफी अच्छा रिस्पांस मिला। काफी कस्टमर्स आते हैैं। समाज के कुछ लोगों को तरक्की अच्छी नहीं लगती। कई बार स्टॉल को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा चुका है, लेकिन हौसले बड़े हैैं। कई बार लडक़ी होने के कारण नेगेटिव कमेंट्स का सामना भी करना पड़ता है।
क्वेश्चन: लाइफ का टारगेट क्या है?
आंसर: सबसे पहले स्टॉल का अच्छी तरह से संचालन करना है। अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। ऐसे में उत्साह बरकरार है। साथ में सरकारी जॉब की तैयारी भी कर रही हूं। घरवालों को सपोर्ट करना ही उद्देश्य है।
सडक़ छाप चाय वाला
सलेक्शन प्वॉइंट चौराहे के पास &सडक़ छाप चायवाला&य का एक स्टाल है। वहां पर पारस तोमर चाय बनाते दिख जाते हैैं। अपने स्टाल के खास नाम और चाय के जायके की वजह से वह लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैैं, लेकिन बात सिर्फ इतनी भर नहीं है। वह बीटेक पासआउट हैैं। जब ग्राहकों को उनके बारे में यह बात पता चलती है तो उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव फैल जाते हैैं। पारस के चेहरे और हावभाव में कॉन्फिडेंस है। यह कॉन्फिडेंस उनके भीतर से पैदा हुआ है। उन्हें खूब पता है कि वह क्या कर रहे हैैं और उन्हें आगे कहां जाना है।
पांच का पंच
क्वेश्चन: कितनी पढ़ाई की है?
आंसर: मैंने बंगलुरु से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है।
क्वेश्चन: चाय बेचने का ख्याल कैसे आया मन में?
आंसर: कई कंपनियों में जॉब कीं। फिर अपना काम करने की इच्छा हुई। सोचा टी स्टॉल लगाता हूं। इसमें इन्वेस्टमेंट और रिस्क दोनों कम है। सबसे बड़ी बात है कि बॉस का टेंशन नहीं है।
क्वेश्चन: घर वालों का क्या रिएक्शन था?
आंसर: फादर गवर्नमेंट ऑफिसर थे। ऐसे में जब यह काम स्टार्ट किया तो घरवाले इसके लिए राजी नहीं हुए। हालांकि सिस्टर ने सपोर्ट किया।
क्वेश्चन: काम शुरू करने पर कितनी समस्याएं आईं?
आंसर: किसी भी काम को करने में प्रॉब्लम आती है। काफी चुनौतियां आईं, लेकिन खुशी है कि अपना वर्क कर रहा हंू। अभी यंग हूं रिस्क ले सकता हूं। हार नहीं माननी है।
क्वेश्चन: लाइफ में टारगेट क्या है?
आंसर: टी स्टॉल चल रहा है। सिटी में अन्य स्टॉल स्टार्ट करने का प्लान है। फिलहाल अभी एक स्टॉल पर ही पूरा फोकस कर रहा हूं।
बेवफा चाय वाला
बरेली कॉलेज के विकास भवन रोड वाले गेट पर &बेवफा चायवाला&य नाम से विवेक शर्मा टी स्टॉल लगाते हैैं। स्टॉल लगाए हुए चार माह का समय हुआ है। काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। कुछ हटकर नाम रखने के सवाल पर वह बताते हैैंं कि स्टार्टिंग में स्टॉल का नाम डिसाइड नहीं किया था। बाद में स्टॉल पर काम करने वाले एक साथी के साथ एक घटना हुई। पत्नी से विवाद हो गया, जिस पर उसने कहा कि स्टॉल का नाम चेंज कर दीजिए। काफी विचार किया, उसके बाद स्टॉल का नाम बेवफा चायवाला रखा। इसे लोगों ने काफी पसंद किया।
पांच का पंच
क्वेश्चन: कितनी पढ़ाई की है?
आंसर: मैैंने होटल मैनेजमेंट किया है।
क्वेश्चन: यह आइडिया कहां से आया?
आंसर: जॉब की, लेकिन उसमें मन नहीं लगा। अपना काम करने की ठानी। खाना बनाने का शौक था, इसलिए टी स्टॉल शुरू किया।
क्वेश्चन: घरवालों का क्या रिएक्शन था?
आंसर: घरवालों को बताया था कि जॉब में क्या समस्याएं आती हैं। सब ने सपोर्ट किया। अब लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।
क्वेश्चन: काम करते वक्त कितनी समस्याएं आईं?
आंसर: स्टॉल शुरू करने के बाद स्टार्टिंग में काफी समय तक अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा था। उसके बाद कारीगर की स्टोरी से प्रेरित होकर स्टॉल का नाम बदला। क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया। अब लोग आते हैैं। गपशप करते हैैं चाय की चुस्कियों के साथ।
क्वेश्चन: आगे टारगेट क्या है?
आंसर: स्टॉल का विस्तार करने का प्लान है। फिलहाल इस पर ही फोकस कर रहा हूं। क्वालिटी को और बेहतर करेंगे, ताकि कस्टमर्स की संख्या बढ़ती रहे।