स्पेशल स्टोरी नवरात्र
BAREILLY:
करीब सौ वर्ष पूर्व बरगद के पेड़ के नीचे देवी मां की प्रतिमा स्वत: प्रकट हुई थी। किवदंती है कि लोगों ने समझा था कि यह प्रतिमा खेल-खेल में किसी ने गाड़ दी है, लेकिन जब प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया गया तो कोई हिला नहीं सका। वर्षो तक लोग मां की पूजा करते रहे। एक दिन फेम डायरेक्टर प्रकाश मेहरा के बाबा को स्वप्न आया कि यहां एक मठिया बनवाएं और शीतला माता नामकरण करें, उन्होंने वैसा ही किया और मठिया बनवा दी। जो आज साहूकारा की मठिया वाली मां शीतला माता के नाम से जानी जाती है।
मां देती हैं संतानसुख
पं। अरविंदकांत शर्मा ने बताया कि इस मंदिर पर वर्षो से लोग संतान सुख प्राप्त करने या मानसिक रोगों से पीडि़त लोग पहुंचते हैं। यहां मां का पारंपरिक प्रसाद दोनों को ही दिया जाता है। दंपत्तियों को वापस घर भेज दिया जाता है। जबकि मानसिक रोगों से पीडि़त और ऊपरी चक्कर से ग्रस्त लोगों को मंदिर प्रांगण में झाड़ू लगाने का निर्देश दिया जाता है। मान्यता है कि करीब ब्0 दिन बाद बीमारी से राहत और ऊपरी बाधा दूर होना शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। तो दूसरी ओर, संतानसुख प्राप्त कर दंपत्ति दोबारा यहां मन्नत पूरी होने पर कुछ न कुछ मां को अर्पित करते हैं।
मंदिर में नहीं होता जलभराव
साहूकारा से गुजरने वाले दो बड़े नाले अक्सर चोक रहते हैं, जिसकी वजह से बारिश में यहां जलभराव हो जाता है, लेकिन जब से मंदिर का निर्माण हुआ है मंदिर की ड्योढ़ी से ऊपर जलभराव कभी नहीं हुआ। स्थानीय निवासी इसे मां शीतला माता का चमत्कार मानते हैं। बताया गया कि मठिया को बनाने वाले डायरेक्टर प्रकाश मेहरा का खानदान बरेली में साहूकारा में है। लेकिन कुछ वर्ष पहले सभी यहां से शिफ्ट हो गए। उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वह हो नहीं सका। यहां चैत्र में मनाए जाने वाली नवरात्र पर बड़ा मेला भी लगता है।