-भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की परिवार ने उठाई मांग

-इराक में अमन व वहां फंसे लोगों की सलामती को हुई विशेष दुआ

SENTHAL : इराक के बदले हालात से सेंथल के बाशिंदे भी सदमे में हैं। शिया बाहुल्य इस कस्बे के आधा दर्जन लोग इस समय इराक में फंसे हैं। वे मुकद्दस रोजों की ज्यारत को वहां गए हैं। उनके परिजन उनको लेकर चिंतित हैं। फोन पर बात होने पर घरवालों के दिल को भले ही तसल्ली हुई है मगर वे भारत सरकार से हस्तक्षेप कर उनकी वापसी मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर काफी संख्या में लोग इराक में रोजों की जियारत जाने की तैयारी को अंतिम रूप दे चुके थे, उनको वहां के बदले हालात से गहरा आघात लगा है वह सोच रहे हैं कि उनकी दिली तमन्ना कब पूरी होगी तथा वहां के हालात जल्द साजगार हो जाए। कस्बे में दुआओं का दौर चल रहा है और सामूहिक रूप से नमाज के बाद दुआएं मांगी जा रही हैं।

सेंथल शिया बाहुल्य कस्बा है। इराक में जब तख्ता पलट हुआ और मुकद्दस रोजो की जियारत के दरवाजे सब के लिए पूरी तरह खुले तब यहां के लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्हें खुशी थी कि नवास-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन का गम उनके दर पर जाकर मनाएंगे और तब सेंथल से भारी संख्या में जायरीन वहां जाने लगे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। इस समय भी इस कस्बे से आधा दर्जन लोग मुकद्दस रोजों की जियारत को गए हुए हैं, जिनमे शिया बुद्धिजीवी शाहीन रजा, रिजविया खातून, जीनत जैदी, नसीर हैदर, रासिखा खातून एवं अली सरदार आदि शामिल हैं। इन लोगों ने फोन पर बताया कि यहां के हालात अच्छे नहीं है लेकिन सारे जायरीन सलामत हैं।