- फर्जी रसीद के बाद निकला स्क्रैब घोटाले का जिन्न
- स्टोर से नए उपकरण लेने के बाद पुराने उपकरण नहीं होते हैं वापस
- हर साल लाखों रुपए का स्क्रैब 'गायब' कर रहे विभाग के कर्मचारी
BAREILLY: अब तक बिजली विभाग के कर्मचारी फर्जी रसीद के जरिए आम लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे। मगर अब उन्होंने खुद के 'घर' में भी सेंध लगाना शुरू कर दिया है। बिजली विभाग के स्टोर से अब 'स्क्रैब घोटाले' का जिन्न बाहर निकला है। दरअसल हर साल लाखों रुपए के पोल, वायर, केबल, मीटर सहित अन्य पुराने बिजली उपकरण स्क्रैब के रूप में निकलते हैं। खराब होने पर इन्हें विभाग द्वारा नए उपकरण से बदल दिया जाता है। मगर स्क्रैब स्टोर में जमा करने के बजाय कर्मचारी और ऑफिसर्स इन्हें बेच कर मोटी कमाई करते हैं। सोर्सेज की मानें तो हर साल लाखों का चूना बिजली विभाग को लग रहा है।
स्क्रैब वापस करना है जरूरी
स्क्रैब घोटाले के खेल में डिविजन लेवल के ऑफिसर्स कर्मचारियों का पूरा-पूरा साथ निभा रहे हैं। एसटीपी, गार्डिनिंग ऐंगल, इंसुलेटर, पिन इंसुलेटर, स्टील वायर, केबल, पोल यहां तक पुराने मीटर तक में विभाग द्वारा घोटालेबाजी जारी है। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक स्टोर से नया उपकरण जारी करवाने से पहले डिविजन के ऑफिसर्स को यह लिखकर देना होता है कि नए उपकरण के बदले में वे पुराना इक्विपमेंट देंगे। जितने नए उपकरण यूज में लिए जाएंगे, उतने ही पुराने इक्विपमेंट स्टोर को दिए जाएंगे। मगर ऑफिसर्स और कर्मचारी स्टोर को स्क्रैब लौटाने के बजाय उसे बेच कर अपनी जेबें भरने में लगे हैं।
करीब तीन करोड़ का स्क्रैब
एक अनुमान के मुताबिक रामपुर गार्डन स्थित बिजली विभाग के स्टोर में हर साल ब्0 करोड़ रुपए से अधिक के नए उपकरण आते हैं। साल भर पोल, वायर, मीटर, केबल और इंसुलेटर जैसे इक्विपमेंट्स के खराब होने का सिलसिला जारी रहता है। सबसे अधिक उपकरण बारिश और गर्मियों में खराब होते हैं। मगर ये खराब इक्विपमेंट्स नए उपकरणों से रिप्लेस होकर स्टोर तक नहीं पहुंच पाते। कर्मचारियों द्वारा सबसे अधिक घपला मीटर और वायर में किया जा रहा है। हर साल दो से तीन करोड़ रुपए का निकलने वाला स्क्रैब कहां जा रहा है, इस बात का किसी को कुछ पता नहीं।
सबसे अधिक ग्रामीण
सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक स्क्रैब के साथ सबसे अधिक गोलमाल ग्रामीण विद्युत निगम के कर्मचारी कर रहे हैं। हालांकि अर्बन विद्युत निगम भी इस खेल में कुछ कम नहीं है। इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जिसमें कर्मचारियों द्वारा नए उपकरण स्टोर से पास करा लिए जाते हैं पर लगाए नहीं जाते। मुख्यालय लेवल पर जो उपकरण डायरेक्ट डिविजन को प्रोवाइड कराए जाते हैं, उसमें ज्यादा घालमेल होने की संभावना नहीं रहती। मगर स्टोर के माध्यम से पास कराए गए 'महंगे' उपकरणों में बड़े लेवल पर घोटालेबाजी जारी है।
नीलामी नहीं होने का फायदा
स्क्रैब घोटाले के पीछे की सबसे बड़ी वजह स्क्रैब की नीलामी न होना है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 8 साल से स्क्रैब की नीलामी नहीं हुई। स्क्रैब का पूरा ब्यौरा स्टोर इंचार्ज को लिखकर मुख्यालय को भेजना होता है। इसके बाद मुख्यालय स्तर पर स्क्रैब की नीलामी ऑनलाइन होती है। स्क्रैब की नीलामी की जिम्मेदारी पॉवर कॉरपोरेशन द्वारा दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गयी है। मेटल स्क्रैब नाम की यह कंपनी ही ऑनलाइन नीलामी करवाती है।
कई बार ऐसा होता है कि पुराने स्क्रैब स्टोर को प्रोवाइड नहीं कराए जाते, जबकि नए उपकरण से कोई चीज बदले जाने के बाद पुराना उपकरण स्टोर को वापस कर देना चाहिए। डिविजन के लिखकर देने पर ही कोई सामान पास किया जाता है।
-धर्मेद्र कुमार, इंचार्ज, स्टोर, बिजली विभाग