(बरेली ब्यूरो)। कोविड संक्रमण कम होने के बाद सरकार ने क्लास एक से फिफ्थ तक के सभी स्कूल भले ही ओपन कर दिए हों, लेकिन कई बच्चे स्कूल जाना नहीं चाह रहे हैं। जी हां इस तरह के कई केसेस भी सामने आएं हैं, जिसमें बच्चे स्कूल ऑनलाइन क्लास से जुडक़र मोबाइल से गेम आदि तो खेलना पसंद कर रहे हैं लेकिन ऑफलाइन क्लासेस ज्वाइन करने के लिए तैयार नहीं है। स्कूल ओपन होने के बाद की बात करें तो काउसंलर के पास ऐसे चार से छह केस पहुंच रहे हैं जिसमें पेरेंट्स अपने बच्चे को स्कूल तो भेजना चाहते हैं लेकिन बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता है। ऐसे में परेशान होकर वह बच्चे की काउंसलिंग कराने के लिए काउंसलर के पास तक पहुंच रहे हैं ताकि वह स्कूल जाना शुरू कर दे। फिलहाल जो भी हो बच्चों का स्कूल लंबे समय से न जाना अब पैरेंट्स के लिए समस्या बन रहा है।
डिस्टेंस बना मेन रीजन
कोविड के दौरान स्टार्ट हुई ऑनलाइन क्लासेज की वजह से बच्चों में काफी चेंजेज देखने को मिले हैं। ऐसे में पैरेंट्स को भी काफी परेशानियां फेस करना पड़ रही हैं। क्योंकि छोटे बच्चे स्कूल नहीं जाना चाह रहे हैं। अगर जाते भी हैं तो जल्द ही स्कूल से घर जाने के लिए परेशान होने लगते हैं। सिचुएशन यह हो गई है कि ऐसे केसेस अब काउंसलर्स के पास पहुंचने लगे हैं। आई नेक्स्ट से बातचीत में काउंसलर डॉ। खुश अदा ने बताया कि काउंसलिंग के लिए ऐसे बच्चों के कैसेस उनके पास आ रहे हैं। जो स्कूल से भाग रहे हैं। कई बच्चे तो ऐसे हैं जो स्कूल में ऑफ लाइन क्लासेस नहीं बल्कि ऑनलाइन क्लासेस करना चाह रहे हैं।
पैरेंट्स की बढ़ी समस्या
बच्चों के स्कूल न जाने से पेरेंट्स की समस्या दे रही है, क्योंकि वह पूरी तरह मोबाइल और कंप्यूटर पर निर्भर हो चुके हैं। इससे पैरेंट्स को इस बात का डर है कि उनके किड्स का भविष्य अंधकार की ओर तो नहीं जा रहा है। ऐसे में स्कूल न जाने की वजह से उनके व्यवहार में काफी बदलाव भी देखने को मिला है। वहीं उनमें अनुशासन भी नहीं रहा है.ऑनलाइन क्लासेज के दौरान मोबाइल का प्रयोग करते हुए बच्चे उसके एडिक्ट हो चुके हैं। परेेशानी के कारण अब काउंसलिंग तक कराने के लिए पैरेंट्स पहुंच रहे हैं। काउंसलर डॉ। खुश अदा कहती हैं कि इस परिस्थिति से निकलने के लिए पैरेंट्स को उन्हें बहुत ही प्यार से डील करना होगा।
केस-1
राजेंद्र नगर के रहने वाले एक पैरेंट के अनुसार बच्चों को समझाना मुश्किल हो गया है कि उनका स्कूल जाना कितना जरूरी है। बच्चे का यह कहना कि वह ऑनलाइन क्लास ही लेगा, ऑफलाइन रूप से स्कूल में नहीं बैठ सकता। उनका कहना था कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इस प्रॉब्लम से कैसे निकलें।
केस-2
ऑनलाइन क्लास की वजह से बच्चे पूरी तरह पैरेंट्स की कंट्रोल से बाहर होते जा रहे हैं। प्रेमनगर निवासी पैरेंट्स का कहना है कि उनका बच्चा एक दिन स्कूल जाने के बाद दूसरे दिन स्कूल नहीं गया। वह ऑनलाइन ही क्लास ही लेना पसंद कर रहा है। उसकी काउंसलिंग कराई, तो थोड़ा चेंज देखने को मिला।
केस-3
कोविड की वजह से बच्चे इतने डिस्टर्ब हो गए हैं कि पैरेंट्स को डॉक्टर्स से उनकी काउंसलिंग करानी पड़ रही है। मॉडल टाउन की एक फैमिली में दो बच्चे हैं। एक क्लास 4 व दूसरा क्लास वन में पढ़ता है। उनका कहना है कि वे ऑनलाइन क्लास ही करेंगे। इससे परेशान होकर पैरेंट्स ने उनकी काउंसलिंग कराई तब जाकर बिहेव में बदलाव देखने को मिला।
वर्जन
बच्चों का व्यवहार तो पूरी तरह से बदल गया है। इसके साथ ही वे पढ़ाई से किनारा भी कर रहे हैं। ऐसे में इनके भविष्य को लेकर बहुत फिक्र हो रही है।
-सोनल
ऑनलाइन क्लास ने बच्चों को पूरी तरह मोबाइल पर डिपेंड कर दिया है। इसकी वजह से वे घर वालों से दूर हो रहे हैं। अब स्कूल भी नहीं जाना चाहतेे। -दीपांशी
बच्चों के फ्यूचर को लेकर बहुत समस्या हो रही है। क्योंकि ऑनलाइन स्टडी ने उन्हें पूरी तरह आलसी बना दिया है। ऐसे में वे अनुशासन पूरी तरह भूल गए हैं।
-कीर्ति
1 से 5 तक के बच्चों में थोड़ी समस्या हो रही है। इन क्लासेज में बच्चों की स्ट्रेंथ में कमी देखी गई है। क्योंकि ज्यादातर बच्चों ने ऑनलाइन क्लासेज ली हैं तो उन्हें वही रुटीन पसंद आने लगा है।
संयोगिता चौधरी, वाइस प्रिंसिपल, विद्या भवन
फस्र्ट व सेकेंड क्लास के बच्चों के साथ ज्यादा समस्या हो रही है। बाकी क्लासेज में सभी बच्चों की संख्या लगभग पूरी है। छोटे बच्चे लगातार घर पर रहे हैं, जिसकी वजह से स्कूल में रुकना उनके लिए थोड़ा असान नहीं है।
जसमीत साहनी, प्रिंसिपल, बेदी इंटरनेशनल स्कूल
बच्चों के बीहेव में बहुत चेंज देखने को मिल रहा है। पेरेंट्स के समझाने से भी वे नहीं समझ पा रहें हैं। अब नौबत यहां तक आ गई है कि उन्हे काउंसलिंग कराने की जरूरत पड़ रही है।
डॉ। खुश अदा, काउंसलर जिला अस्पताल